20 अगस्त 2019, कोरबा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा लेमरू में घोषित हाथी अभ्यारण्य का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। ग्राम लेमरू सहित पांच ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने कलेक्टर के समक्ष अभ्यारण्य स्थापना पर अपनी असहमति जताई है। मंगलवार को कलेक्टोरेट पहुंचे ग्रामीणों ने कलेक्टर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा।
छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी द्वंद की वजह से जान-माल की बड़ी हानि अक्सर होती रहती है। राज्य में जंगली हाथियों की बड़ी तादात और जंगल का दायरा घटने के कारण यह संघर्ष और भी गंभीर होता जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार हमेशा से इस समस्या के समाधान की तलाश में रही है।
इसी दिशा में चिंतन करते हुए राज्य में हाथियों को सुरक्षित आवासीय क्षेत्र प्रदान करने के लिए कोरबा के लेमरू वन क्षेत्र में हाथी अभ्यारण्य की स्थापना का प्रस्ताव सरकार ने तैयार किया था। यह महत्वपूर्ण घोषणा स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की थी। अब इस प्रस्तावित अभ्यारण्य के विरोध में ग्रामीण लामबंद हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हाथी अभ्यारण्य बनने से उन्हें अपनी जमीन से बेदखल होना पड़ेगा।
उत्तर छत्तीसगढ़ में सरगुजा, कोरिया, कोरबा, बलरामपुर, सूरजपुर, जशपुर, रायपुर, धमतरी और महासमुंद सहित राज्य के कई जिले हाथी समस्या से प्रभावित हैं। पिछले तीन साल के दौरान करीब 200 लोगों की मौत हाथियों के हमले की वजह से हुई है।
71 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले घनघोर वनों वाले लेमरू फारेस्ट को हाथियों के प्राकृतिक आवास के रूप में विकसित किए जाने का प्रस्ताव बना है, लेकिन इस क्षेत्र में कई गांव भी बसे हैं जहां ग्रामीण रहते हैं। ग्रामीण इस अभ्यारण्य की स्थापना की बात से नाखुश हैं और उन्हें डर सता रहा है कि यदि अभ्यारण्य अस्तित्व में आया तो उनके पूर्वजों की जमीन उनसे छिन जाएगी।