ऑनलाइन होंगी रायपुर के सरकारी स्कूलों में 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं, स्मार्ट फोन पर भेजे जाएंगे प्रश्नपत्र

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रायपुर। राजधानी रायपुर में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए छत्तीसगढ़ बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है। जिसके मुताबिक राजधानी रायपुर में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाएंगी। जबकि छात्रों को मार्कशीट मोबाइल पर भेजा जाएगा। वहीं, बाकी जिलों की परीक्षाएं ऑफलाइन मोड में ही आयोजित की जाएंगी। अब स्कूल प्रबंधन अपने-अपने स्तर पर परीक्षाएं लेंगे। तारीख से लेकर समय सब स्कूल प्रबंधन ही तय करेंगे। सीबीएसई के स्कूलों में ऑनलाइन परीक्षा का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है।

ऑनलाइन परीक्षा q पीछे हट रहे थे शिक्षा विभाग के अफसर

शिक्षा विभाग के अफसर अब तक इसलिए ऑनलाइन परीक्षा से पीछे हट रहे थे, क्योंकि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के पैरेंट्स के पास स्मार्ट फोन नहीं है। दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या भी रहती है। इसलिए भी परीक्षाएं ऑफलाइन लेने की तैयारी थी। मार्च के शुरुआती दिनों से अचानक ही कोरोना के केस बढ़ गए हैं। इस वजह से अब स्कूल में परीक्षाएं आयोजित करना जोखिम भरा हो गया है।

जल्द जारी की जा सकती है परीक्षा की डेट

स्थिति को देखते हुए फिलहाल रायपुर में सीजी बोर्ड के स्कूलों में परीक्षाएं ऑन लाइन लेने का निर्णय हुआ है। अफसरों के अनुसार बाकी जिलों में स्थिति की समीक्षा के बाद निर्णय लिया जा सकता है। रायपुर बोर्ड के अधिकारियों के मानें तो 9वीं और 11वीं की परीक्षाओं की लेकर तारीखों का ऐलान 20 मार्च तक जारी किया जा सकता है। वहीं, बाकी जिलों में स्थिति की समीक्षा के बाद निर्णय लिया जा सकता है।

स्मार्ट फोन पर भेजेंगे प्रश्नपत्र जवाब लिखकर जमा करेंगे

ऑनलाइन परीक्षा के लिए पैरेंट्स के स्मार्ट फोन पर प्रश्नपत्र भेज जाएंगे। उनके जवाब छात्रों को घर से लिखकर स्कूल में जमा करना होगा। ऑनलाइन परीक्षा के लिए स्कूल प्रबंधन को पूरी तरह से फ्री हैंड कर दिया गया है। वे अपनी सुविधा के अनुसार टाइम टेबल तय करेंगे। परीक्षा के बाद पर्चे जांचने से लेकर रिजल्ट जारी करने तक सबकुछ स्कूल प्रबंधन को करना होगा। पिछले साल कोरोना संक्रमण की वजह से मार्च 2020 में स्कूल बंद हुए थे। करीब 11 महीने के बाद 15 फरवरी 2021 को 9वीं-11वीं के लिए स्कूल खोले गए। कोरोना का डर अभी खत्म नहीं हुआ। इसलिए शुरुआत से ही स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम रही।