मानदेय बढ़ने के बाद भूपेश सरकार के बारे में क्या कहती हैं आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता और सहायिका…पढ़िए

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दुर्ग, 01 जुलाई 2019। बालपन की शिक्षा, संस्कार, सीख व समझ जीवन भर काम आती है। व्यक्ति जो कुछ बचपन में सीखता है, वह गुण उसके आदत-स्वभाव में रचा-बसा होता है। उसके यही गुण, स्वभाव से समाज में पहचान बनती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, उन छोटे-छोटे बच्चों की जिसे आंगनबाड़ी केन्द्र में रखकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका बच्चों में शिक्षा, संस्कार एवं अन्य गतिविधियों का संचार करती हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका जो कुछ भी सीखाती हैं, वह बच्चों की आगे की राह और दिशा तय करती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका एक-एक बच्चों से बहुत ही बारीकी से, नजदीक से रू-ब-रू होती हैं। बच्चों की कमजोरी, कमी और उनकी समझ शक्ति के आधार पर उनमें उन कमियों को दूर करने का बीड़ा उठाती है। छोटे बच्चें अपने शरारत की चरम पर होते है। इन्हें संभाल सकना अभिभावकों के लिए भी मुश्किल होता है। ऐसे में बच्चों के झुंड को संभालना, उन्हें स्नेह देना बहुत धैर्य का काम होता है। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका पूरी शिद्दत के साथ सहृदयता से सभी बच्चों को अपने बच्चों जैसा दुलार और प्यार देती हैं। जरा भी बीना खींच के सभी बच्चों को संभालने के साथ-साथ निर्धारित समय तक देखभाल करती हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका का काम केवल आंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन करने तक सीमित नहीं हैं। समय-समय पर कई महती जिम्मेदारी का निर्वहन भी भली-भांति करती हैं। गांव की सभी गर्भवती महिला एवं नवजात बच्चों की सतत् स्वास्थ्य जांच, टीककरण का दायित्व भी निभाती हैं। शासन-प्रशासन द्वारा समय-समय पर सौंपे गए अन्य दायित्वों का निर्वहन भी जिम्मेदारी से करती हैं। निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान भी अपना दायित्व निभाती है।

छत्तीसगढ़ शासन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के काम को सही मायने में परखा है। मुख्यमंत्री बघेल ने आंगनबाड़ी केन्द्र की महत्ता को जाना, परखा और समझा है। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के मानदेय में बढ़ोत्तरी कर महिलाओं के सम्मान में वृद्धि तो की ही है, साथ ही साथ बरसों से बहुत ही कम दर में कार्यरत् कार्यकर्ता और सहायिका को असल मायने में काम के अनुपात में सम्मानजनक मान देने का काम भी किया है। मानदेय में बढ़ोत्तरी होने से प्रदेशभर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका में खुशी का माहौल स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

दुर्ग जिले में संचालित 1487 आंगनबाड़ी केन्द्र में 1467 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका कार्यरत् हैं। साथ ही जिले में संचालित 20 आंगनबाड़ी केन्द्र में कार्यकर्ता कार्यरत् हैं। इस तरह केवल दुर्ग जिले में ही 2 हजार 954 कार्यकर्ता व सहायिका की मानदेय में वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार ने कार्यकर्ता के मानदेय में 1500 रूपए, मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र के कार्यकर्ता के मानदेय में 1250 रूपए व सहायिका के मानदेय में 750 रूपए की बढ़ोत्तरी की है।

बरसों की मांग पूरी होने पर काम को सम्मान मिला है- हेमलता साहू

दुर्ग विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कोलिहापुरी में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र में कार्यरत् हेमलता साहू ने कहा कि वह पिछले 20 वर्ष से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत् हैं। अपने घर के काम-काज के साथ-साथ नियमित रूप से आंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन मन लगाकर कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कम मानदेय मिलने से कभी-कभी निराशा होती थी। लेकिन जब से मानदेय बढ़ाने की खबर सुनी है तो बहुत प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देने का कार्य करते हैं। आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ, कक्षा पहली के लिए तैयार करते हैं। सभी बच्चों का मन लगाकर देख-भाल करते हैं। छोटे-छोटे बच्चों को संभालना इतना आसान नहीं होता है, फिर भी केन्द्र के बच्चों में अपने बच्चों का चेहरा व भविष्य देखकर उनकी सही देखभाल व एक दिशा देने में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं।

मानदेय बढ़ाकर सरकार ने बढ़ाया मान- लता देशमुख

दुर्ग की कोलिहापुरी आंगनबाड़ी केन्द्र में कार्यरत कार्यकता हेमलता देशमुख ने मानदेय बढ़ाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा आज की मंहगाई में इतने कम पैसे में गुजारा करना मुश्किल होता है। ऐसे में सरकार ने एक साथ 1500 रूपए बढ़ाकर सभी कार्यकर्ताओं का मान बढ़ाया है। यह सभी कार्यकर्ता के लिए खुशी का विषय है। बढ़े हुए मानदेय से उसके बचत में बढ़ोत्तरी होगी। अब तक पूर्व में जो भी मानदेय मिलता था, उससे बचत करना मुश्किल था।

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