विद्युत विधेयक में संशोधन, से निजीकरण को रोकने 15 लाख बिजली कर्मचारि करेंगे आंदोलन

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रायपुर : कुछ दिनों पहले सरकार ने विद्युत विधेयक संशोधन को लेकर 3 जुलाई को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ बैठक की थी। इसमें दो केंद्र शासित समेत 13 राज्यों ने इस संशोधन का विरोध किया था। इस पर केंद्रीय मंत्री ने यह घोषणा की कि राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए संशोधन विधेयक के मसौदे में बदलाव किया जाएगा। लेकिन डेढ़ माह बाद भी संशोधित प्रारूप को विद्युत मंत्रालय ने सार्वजनिक नहीं किया है। जिसके बाद बिजली क्षेत्र में निजीकरण के चल रहे प्रयासों से भड़के देशभर के बिजली इंजीनियर और कर्मचारी ने मंगलवार को प्रदर्शन करने का एलान किया है ।

15 लाख कर्मियों को शामिल करने किया दवा
अखिल भारतीय पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार विद्युत विधेयक में संशोधन कर रही है। इसके जरिये बिजली सेक्टर में निजीकरण की तैयारी में है। जिसको रोकने के लिए बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों राष्ट्रीय समन्वय समिति के साथ मिल कर जिसके विरोध आंदोलन करेंगी| जिस विरोध में उन्होंने करीब15 लाख कर्मियों के शामिल होने का दावा किया है
जिसमे सभी कर्मचारी काली पट्टी लगाकर काम करेंगे।

कोविड-19गाइड लाइन का पालन करते हुए करेंगे विरोध
कुछ राज्यों में कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन करते हुए भोजन अवकाश के दौरान प्रदर्शन किया जाएगा। जिसमे कर्मचारी काली पट्टी लगाकर अपना विरोध जताएंगे वही कर्मचारी कहा कहना है कि इस आंदोलन की वजह से बिजली व्यवस्था प्रभावित नहीं होगी। लेकिन सरकार नहीं मानी तो आंदोलन तेज कर दिया जाएगा।

असफल साबित हो चुका है निजीकरण
बिजली इंजीनियरों के अनुसार निजीकरण का यह प्रयोग ओडिशा, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, आगरा, उज्जौन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर आदि कई स्थानों पर पूरी तरह से विफल साबित हुए है। इसके बावजूद केंद्र सरकार इसे थोप रही है।

केंद्र शासित समेत 13 राज्य कर रहे विरोध
केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार, लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर में निजीकरण की प्रक्रिया तेजी से चलाई जा रही है। वहीं, उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजी करण के प्रस्ताव पर कार्य प्रारंभ हो गया है।