छत्तीसगढ़ में 18+ उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन पर लगी रोक, जानिए बढ़ते कोरोना संकट के बीच क्यों लिया भूपेश सरकार ने ये फैसला?

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी टीकाकरण के बारे में अंतिम फैसला करेगी।

वैक्सीनेशन के नियमों में होंगे बदलाव

बढ़ते कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार वैक्सीनेशन पर जोर दे रही है। एक मई से वैक्सीनेशन के लिए 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों पर भी फोकस किया जा रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने अंत्योदय कार्डधारियों को टीका लगाने के मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वैक्सीनेशन के नियमों में बदलाव जरूरी है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने 75 लाख टीकों का दिया ऑर्डर

स्वास्थ्य विभाग में सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किया है कि टीकाकरण करने से हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी। ऐसे में 18 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग वालों के टीकाकरण पर रोक लगा दी जाए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में 18 वर्षों से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाने के लिए 75 लाख टीका का ऑर्डर दिया गया है।

बीजेपी और जोगी कांग्रेस ने सरकार पर वर्ग विशेष को आरक्षण देने का लगाया आरोप

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 मई से 18 से 45 साल की उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन शुरू कर दिया था। वैक्सीनेशन में सरकार ने अंत्योदय कार्डधारकों को प्राथमिकता दी और सबसे पहले इस वर्ग का टीकाकरण शुरू किया। सरकार के इस फैसले के बाद बीजेपी और जोगी कांग्रेस ने सरकार पर वर्ग विशेष को आरक्षण देने का आरोप लगाया।

सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गया विपक्ष

बीजेपी और जोगी कांग्रेस ने सराकर के खिलाफ आक्रामक रुख अपना लिया। इस बीच इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका भी लगा दी गई। याचिका पर हाई कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को वैक्सीनेशन की स्पष्ट पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए। इसकी अगली सुनवाई सात मई को होगी। हाई कोर्ट की इस सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने टीकाकरण स्थगित कर दिया। सरकार ने अपने आदेश में यह स्पष्ट लिखा कि राज्य सरकार ने कोर्ट को जवाब प्रस्तुत करने में संभावित देरी को देखते हुए यह फैसला लिया है।

विभाग के आदेश में लिखी ये बातें

बता दें, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के जारी आदेश में कहा गया है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की है। न्यायालय ने विभाग के 30 अप्रैल के आदेश को संशोधित करने को कहा है। कोर्ट के निर्देश के अनुसार राज्य शासन को पूरी जानकारी तैयार करने में समय लगने की संभावना है, ऐसे में यदि टीकाकरण जारी रखा गया तो यह न्यायालय की अवमानना होगी। इसलिए आदेश को संशोधन किए जाने तक टीकाकरण को स्थगित किया जाता है। इससे पहले याचिकाकर्ताओं द्वारा इसे संवैधानिक अधिकारों के विपरीत बताया था।

वैक्सीनेशन का निर्णय कैबिनेट को करना चाहिए था- हाई कोर्ट

राज्य शासन के जवाब पर हाई कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि पूरे राज्य में लॉकडाउन है, ऐसे में गरीब तबके को बाहर निकलने से रोकना शासन की जिम्मेदारी है। हाई कोर्ट ने कहा- कोरोना गरीब और अमीर देखकर संक्रमित नहीं कर रही है। यह आदेश कैबिनेट के निर्णय से होना था न किसी अधिकारी द्वारा किया जाना था। इस मामले में हाईकोर्ट ने शासन से दो दिन में जवाब मांगा था। गौरतलब है कि कांग्रेस लगातार कह रही थी- चूंकि टीके बहुत कम थे, इसलिए ऐसा वर्ग जो निजी अस्पतालों में टीके नहीं लगवा सकता उसे सुरक्षित करने की प्राथमिकता थी। वहीं यह वर्ग ऑन लाइन पोर्टल में खुद के टीकाकरण को लेकर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाता। कांग्रेस का कहना था कि बीजेपी और उसकी बी टीम लगातार सरकार के एक अच्छे निर्णय पर अफवाह फैला रही है