भिलाई प्रेस क्लब को रायपुर से सीखना चाहिए एकजुटता और पत्रकार साथियों के न्याय के लिए लड़ना, भिलाई के भाजपा नेताओं ने जब मारपीट की तो निंदा प्रस्ताव तक पारित नहीं कर सके…आखिर क्यों, जानना जरूरी है…

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03 फरवरी 2019 भिलाई@ CG METRO.COM के लिए वरिष्ठ पत्रकार खिलावन सिंह चौहान। भाजपा के लोग गुंडागर्दी पर आ गए है। पहले भिलाई के पत्रकारों के साथ गुंडागर्दी हुई और अब रायपुर के पत्रकारों के साथ। दोनों में मारपीट, धक्कामुक्की और दुर्व्यवहार समान चीज है। लेकिन एकजुटता के मामले में रायपुर के पत्रकारों ने दिल जीत लिया। उनकी एकजुटता और एकता की वजह से ही सुमन पांडेय व अन्य पीड़ित पत्रकार आखिरी समय तक डटे रहे। रायपुर के पत्रकार और वहां के प्रेस क्लब ने पीड़ितों के साथ खड़े रहे। लेकिन दुर्भाग्य तो भिलाई के पत्रकारों के साथ है। भाजपा के नेता कन्हैया सोनी और सत्येंद्र सिंह जैसे छुटभैया नेताओं ने नवभारत के फोटो जर्नलिस्ट रवि दहाट, ईटीवी के पत्रकार मिथलेश यादव, अनुभूति भाखरे, दैनिक भास्कर के यशवंत साहू, सीनियर फोटो जर्नलिस्ट अजीत सिंह भाटिया, नई दुनिया के संतोष यादव, हरिभूमि के मनोज साहू समेत अन्य पत्रकारों के साथ जो दुर्व्यवहार किया। इसमें भिलाई का प्रेस क्लब भी खड़ा नहीं हुआ। मैंने तो अपनी ओर आव्हान किया। मगर प्रेस क्लब की नींद नहीं खुली। अपने पत्रकार साथियों का साथ देने की बजाए वो भाजपा नेताओं की चमचागिरी करने में लगे रहे।
वरना जो घटना रायपुर में हुई। उससे पहले भिलाई में यह 10 दिन पहले हो चुकी थी। मगर किसी ने आवाज नहीं उठाई।

यहां के पीड़ित पत्रकारों ने उस दिन अपने अखबारों में इसकी खबर तो छाप दी लेकिन प्रेस क्लब ने उस पर संज्ञान तक नहीं लिया। कन्हैया सोनी और सत्येंद्र सिंह ने तो माफी तक नहीं मांगी और न इन्हें माफी मंगवाना हमारे प्रेस क्लब के लोगों ने सही समझा। इससे पत्रकार साथियों का मनोबल टूटा और आगे भी ऐसे ही रहा तो और टूटेगा।
(लेखक छत्तीसगढ़ प्रगतिशील पत्रकार कल्याण संघ के महासचिव है और ये लेखक के निजी विचार है)

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