BIG BREAKING: संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मी भी शामिल होंगे कल के हड़ताल में..

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन ने सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कल 1 फरवरी को वादा निभाओ रैली का आयोजन किया है। इस रैली को लेकर उस समय दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई जब संविलियन संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष के नाम से शिव डडसेना नामक शिक्षाकर्मी ने यह बयान जारी कर दिया कि प्रदेश के 48000 संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों का इस आंदोलन को कोई समर्थन नहीं है और वह पूरी तरीके से कल के कार्यक्रम से दूर रहेंगे। मीडिया में यह खबर वायरल होते ही संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों में शिव डडसेना के इस बयान को लेकर नाराजगी छा गई जहां कुछ लोग इसका समर्थन करते हुए नजर आए वहीं कुछ ने इसका विरोध करते हुए इसे शिक्षाकर्मियों की एकता को तोड़ने वाला बयान बताया। बहुत से लोगों ने यह साफ तौर पर लिखा कि हम कल हड़ताल में जा रहे हैं और यह हमारा व्यक्तिगत निर्णय है और प्रदेश का हर शिक्षाकर्मी अपना निर्णय लेने में सक्षम है। 

देखते ही देखते इस विचार को समर्थन मिलने लगा और सबसे अधिक आक्रमक और बुद्धिजीवी माने जाने वाले शिक्षाकर्मी संवर्ग में ही इस निर्णय को लेकर बहस होने लगी अधिकांश शिक्षाकर्मियों का यह कहना है कि किसी भी शिक्षाकर्मी को खास तौर पर इस प्रकार के मुद्दे में अपने व्यक्तिगत बयान को सभी लोगों के अधिकृत बयान के तौर पर जाहिर नहीं करना चाहिए इससे शिक्षाकर्मियों में ही मतभेद उत्पन्न हो रहा है वह भी तब जब शिव डडसेना ने खुद को स्वयं से प्रांतअध्यक्ष घोषित कर दिया है। ऐसे भी प्रदेश में सभी संगठन के पदाधिकारी स्वयंभू नेता घोषित हुए हैं  फिर खुद को पूरे प्रदेश के शिक्षाकर्मियों का रहनुमा बताते हुए ऐसा बयान जारी करना कहीं से भी उचित नहीं माना जा सकता खासतौर पर तब जब वह सरकार के प्रति कम और अपने ही शिक्षाकर्मियों के प्रति ज्यादा विरोध की भावना हो।

इस निर्णय से एक बार फिर यह साबित हो गया कि प्रदेश के आम शिक्षाकर्मी अपने हितों को लेकर सबसे अधिक सजग हैं और भेड़चाल में विश्वास नहीं रखते क्योंकि ऐसे ही जब पिछले बार 5 संगठनों ने मोर्चा बनाकर हड़ताल की घोषणा की थी तो 8 संगठन हड़ताल के विरोध में खड़े होकर सरकार के साथ नजर आने लगे थे ऐसे में आम शिक्षाकर्मियों ने उन पांच संगठनों का साथ देते हुए अपनी आवाज बुलंद किया था और अब एक बार फिर यही स्थिति बन रही है की आम शिक्षाकर्मी अपने हितों को लेकर फिर से मुखर हो चुके हैं और शिव डडसेना के बयान को एक सिरे से उन्होंने खारिज कर दिया है।

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