भाजपा नेता युद्धवीर सिंह ने की सीएम भूपेश बघेल की तारीफ.. सियासत के गलियारों में अब हो रही है इस बात की चर्चा..

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में कुछ बदलाव के संकेत मिल रहे हैं माना जा रहा है कि भाजपा के आईकॉन कहे जाने वाले जशपुर जुदेव परिवार के छोटे सरकार यानी चंद्रपुर से 2-2 बार भाजपा की ओर से विधायक रहे युद्धवीर सिंह जूदेव के भाजपा छोड़ने की चर्चा तेज हो गई है। युद्धवीर ने मीडिया को एक बयान देकर पूरे प्रदेश की सियासत में खलबली मचा दी है। उन्होंने मीडिया को दिये एक वन टू वन साक्षत्कार में भाजपा को व्यापारियों की पार्टी और प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल को मेहनतकश और छत्तीसगढ़िया संस्कृति और माटी से प्रेम करने वाला मुख्य्मंत्री बताया है। उन्होंने अपने साक्षत्कार में कहा कि उन्होंने मेहनत करना भूपेश बघेल से सीखा है ।

यह पहली दफा नहीं है कि युद्धवीर अपनी ही पार्टी के विरुद्ध तंज कस रहे हैं।इससे पहले भी वो कई बार पार्टी के बड़े नेताओं को अपने निशाने में ले चुके है और पार्टी को जवाब देना मुश्किल हो गया है लेकिन इस बार जो उन्होंने अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जिस तरह से मीडिया के सामने व्यापारियों की पार्टी कहा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की खुलकर तारीफ की उससे कहीं न कहीं यह लगने लगा है कि अब पानी सिर के उपर से जा गुजरा है और युद्धवीर कभी भी बड़ा निर्णय लेकर बीजेपी के सामने सियासी संकट खड़ा कर सकते हैं।

यह भी बता दें कि युद्धवीर 2018 के विधानसभा चुनाव से पूर्व भी अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी से खुलकर नाराज चल रहे थे और उनकी नाराजगी का नतीजा यह हुआ कि जशपुर जिले में भाजपा का सुपडा साफ हो गया। जिले की एक भी सीट भाजपा को हाथ नही लगी और भाजपा के तीनों विधायक चुनाव हार गए। करीब 35 वर्षों बाद जिले की तीनों सीटो पर काँग्रेस का कब्जा हो गया। हांलाकि युद्धवीर को नाराज करके हार की सजा भुगतने के बाद पार्टी की आँख खुली और पार्टी ने इन्हें लोकसभा चुनाव में इनके कहने पर गोमती साय को लोकसभा का टिकट दिया और इन्हें जीताने की जिम्मेदारी भी दी। पार्टी द्वारा दी गयी जिम्मेदारी को युद्धवीर ने बखूबी निभाया।

गोमती साय को रायगढ़ लोकसभा में बड़ी जीत हासिल हुई और यह कहा जाने लगा कि जिस युद्धवीर के चलते भाजपा को जिले में 3 सीट गंवाने पड़े उसी युद्धवीर ने लोकसभा में भाजपा को वापस लिया दिया बल्कि पंचायत चुनाव में काँग्रेस को जीत के लिए नाकों चने चबाने पड़े । कुछ समय के लिए ऐसा लगा कि युद्धवीर और बीजेपी के बीच की खाई खत्म हो गयी और सब कुछ बेहतर हो गया लेकिन इन सब कयासों के बीच फिर से युद्धवीर की नाराजगी सामने आ गयी और इस बार ऐसा लग रहा है कि यह नाराजगी आर पार की है। आरपार की नाराजगी केवल इसलिए नही कि उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तारीफ कर दी बल्कि इसलिए कि उन्होंने मुख्यमंत्री को मेहनतकश इंसान और छत्तीसगढ़िया संस्कृति के सबसे बड़े हिमायती कहने के साथ साथ भाजपा को सीधे तौर पर वयापरियो की पार्टी कह दिया। इतना ही नहीं जब मीडिया ने बेहतर मुख्य्मंत्री कौन साबित हुआ डॉ. रमन या भूपेश बघेल इस सवाल का जवाब भी उन्होंने कुछ ऐसा दिया कि उनकी पार्टी से नाराजगी और पार्टी से बाहर जाने के कयास तेज हो गए।उन्होंने इस सवाल का सीधा जवाब तो नहीं दिया लेकिन टेढ़ा मेढ़ा ही सही उन्होंने भूपेश बघेल को ही श्रेष्ठ मुख्यमंत्री बता दिया ।

एक डेढ़ माह पूर्व भी युद्धवीर ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री भुपेश बघेल की तारीफ की थी और उन्हें एक पत्र का त्वरित जवाब दिए जाने को लेकर धन्यवाद कहा था और ठीक इसके कुछ दिन बाद ही उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय को लेकर सोशल मीडिया में बड़ा बयान जारी कर खलबली मचा दी थी। उन्होंने अपने फेसबुक वॉल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को कुनकुरी से चुनाव लड़ने की मंशा त्यागकर मारवाहि से चुनाव लड़ने की सलाह दे डाली थी इसके अलावे उन्हीने काफी कुछ ऐसा कहा जिसे पढ़कर और सुनकर यह तो साफ हो गया कि बीजेपी और युद्धवीर के बीच खाई पटने के बजाय और गहरी होती जा रही है और कभी भी कुछ भी हो सकता है ।

राजनीति से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषकों को याद होगा कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पूर्व युद्धवीर काँग्रेस के कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव को कई बार कुशल नेतृत्व वाला नेता बताया था और टीएस सिंहदेव ने भी यह साफ कर दिया था कि युद्दवीर के चुनाव क्षेत्र में वह काँग्रेस का प्रचार करने नहीं जाएँगे। दो पार्टी ने दो दिग्गज नेताओं के ऐसे बड़े बयानों के बाद से ही अनुमान लगाया जाने लगा था कि युद्धवीर और काँग्रेस याने टीएस बाबा के बीच पॉलीटिकल फिक्सिंग हो गयी है और चुनाव के बाद अनुमान सच भी साबित हो गया जब भाजपा का जशपुर में पूरी तरह सफाया हो गया ।

बहरहाल भाजपा और युद्दवीर के बीच यह कोई पहली बार ऐसा द्वंद नहीं देखा जा रहा । इससे पूर्व भी युद्धवीर कई बार पार्टी के बड़े नेताओं के बारे में सोशल मीडिया में कई ऐसे बयान जारी किए जिससे पार्टी के अंदर अस्थिरता की स्थिति उतपन्न हो चुकी है ।हालात उस वक़्त भी बिगड़ते नजर आए थे जब इन्होंने अपना एक अलग से हिन्दू संगठन तैयार कर लिया जिसका नाम “बहुजन हिन्दू परिषद” है लेकिन यह भी सच है कि जब जब पार्टी से इनकी नाराजगी उभरकर सामने आयी इन्हें मनाने की भी कोशिश की गई और कुछ दिनों के लिए फिर से सब कुछ ठीक हो गया परन्तु इस बार की नाराजगी पूरे सतह पर दिखाई दे रही है क्योंकि इससे पहले युद्धवीर ने पार्टी को इशारों में भले ही कुछ कह हो परन्तु मीडिया के सामने सीधा तंज नहीं कसा था इसलिए कुछ भी संभव है , बात कहीं तक भी जा सकती है ।