भाजपा का गढ़ रहे दुर्ग लोकसभा सीट पर ताम्रध्वज साहू ने तोड़ा था अभेद किला, क्या अब प्रतिमा चन्द्राकर बरकरार रख पाएगी..

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रायपुर। स्टील सिटी भिलाई की पहचान विश्वव्यापी है। यह इलाका दुर्ग संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है जो भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ों में से एक कहा जाता रहा है। यही वजह है कि दुर्ग का किला फतह करने में कांग्रेस को 23 वर्ष लग गए। 1996 से 2009 तक लगातार पांच चुनावों में भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की। इस दौरान 2009 में इस सीट और यहां की सांसद सरोज पांडेय के नाम पर एक अनोख वर्ल्ड रिकार्ड दर्ज हुआ।
ऐसा नहीं है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब था। पार्टी इस संसदीय क्षेत्र में शामिल नौ विधानसभा सीटों में से कुछ पर लगातार जीत दर्ज करती रही है। इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में बढ़त नहीं बना पा रही थी। इस बार कांग्रेस ने प्रतिमा चंद्राकर के स्र्प में महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्तेदार और परंपरागत प्रतिद्वंद्वी विजय बघेल को टिकट दिया है।

ताम्रध्वज ने खत्म किया था वनवास

दुर्ग संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के वनवास को ताम्रध्वज साहू ने 2014 के आम चुनाव में खत्म किया था। साहू ने लोकसभा चुनाव में नौ में से पांच सीटों पर बढ़त के साथ जीत दर्ज की थी।

भाजपा ने बघेल पर खेला दांव

भाजपा ने इस बार इस सीट से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्तेदार विजय बघेल को मैदान में उतारा है। विजय 2008 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल को हरा चुके हैं।

विधानसभा में बराबरी, लोकसभा में एकतरफा

2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की कुल आठ सीटें थीं। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के खाते में चार-चार सीट थीं, लेकिन लोकसभा में भाजपा ने एकतरफा आठों सीटों पर बढ़त बनाई। 2008 में कांग्रेस चार और भाजपा पांच विधानसभा सीट जीती, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल तीन सीटों पर बढ़त मिली

ताराचंद ने बनाया भाजपा का अभेद किला

दुर्ग संसदीय क्षेत्र को ताराचंद साहू ने भाजपा के लिए अभेद किला बना दिया। साहू 1996 में कांग्रेस के प्यारेलाल बेलचंद को हरा कर संसद पहुंचे। इसके बाद से लगातार चार बार चुने गए और 2009 तक सांसद रहे। 2009 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया।

बघेल से लेकर चौबे तक सब हारे

भाजपा के ताराचंद साहू ने इस सीट से कांग्रेस के भूपेश बघेल (मौजूदा मुख्यमंत्री) से लेकर प्रदीप चौबे (मंत्री रविंद्र चौबे के भाई) तक को मात दी। प्रदीप चौबे पहले 1999 में ताराचंद से फिर 2009 में सरोज पाण्डेय से परास्त हुए।

गिनीज और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ नाम

दुर्ग लोकसभा सीट और वहां से 2009 में सांसद बनी सरोज पांडेय के नाम एक अनोख रिकार्ड है। यह रिकार्ड गिनीज और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड दर्ज है। दरअसल दुर्ग की महापौर रहते सरोज पांडेय ने 2008 का विधानसभा चुनाव लड़ा। वैशालीनगर सीट से वे चुनकर विधानसभा पहुंचीं। इसके चार-पांच महीने के बाद हुए लोकसभा चुनाव (2009) में पार्टी ने उन्हें दुर्ग लोकसभा से टिकट दे दिया। इस चुनाव में भी सरोज जीत गईं। एक ही समय पर महापौर, विधायक और सांसद रहने वाली वे पहली महिला बन गईं।
यह रहा था परिणाम

विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की सीट

वर्ष 2003 2004 2008 2009 2013 2014 2018
भाजपा 04 08 05 06 07 04 01
कांग्रेस 04 00 04 03 02 05 08

लोकसभा चुनावों में वोट शेयर
वर्ष भाजपा कांग्रेस
2004 50.24 42.17
2009 31.27 30.17
2014 44.43 45.79

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