शाम तक सुबह की नजरों में उतर जाते हैं… इतने समझौतों पर जीते हैं कि मर जाते हैं…

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वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय की कलम से…

उत्तरप्रदेश में रामराज्य स्थापित करने का प्रयास हो रहा है। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रशस्त हो गया है, बाबरी मस्जिद का तथाकथित ढांचा धरासायी करने के मामले में 28 साल बाद फैसले में भाजपा के वरिष्ठ नेता विहिप के पदाधिकारी, संत-सन्यासी सभी बरी हो गये हैं। भाजपा की केंद्र में सरकारहै और उत्तरप्रदेश में एक योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री है बस रामराज्य आने को है पर जो वहां हो रहा है क्या वह प्रजातांत्रिक व्यवस्था है?
हाथरथ की एक बेटी की बलात्कार (उ.प्र. पुलिस के अनुसार नहीं) के बाद मारपीट, रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद मौत हो जाती है। रात के अंधेरे में बिना पीडि़त के माता-पिता की सहमति और अनुमति से चोरी-छिपे, पुलिस के संरक्षण में शव को जला दिया जाता है। यह फैसला हाथरथ के कलेक्टर/एसपी के दिमाग से उपजा आइडिया था या सरकार में बैठे राजनेताओं का था? वैसे भी हिन्दू धर्म में सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच किसी भी तरह का दाह संस्कार प्रतिबंधित है। इधर इस घटना के बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी को हाथरथ जाने से बलात रोकना, धक्का मुक्की (राहुल गांधी के गिरने का वीडियो भी वायरल हुआ है) बाद में गिरफ्तारी आखिर क्या साबित करता है क्या राम राज्य ऐसे ही आएगा…? हाथरथ गांव में डीएम का धमकीनुमा, आदेश, मीडिया को धमकाना, मीडिया को वहां जाने से प्रतिबंधित करना क्या स्वस्थ प्रजातंत्र कहा जा सकता है? हाथरथ हादसे में मृत लड़की का बलात्कार होने का मर्ज उल मौत (मृत्यु शैय्या पर दिया गया बयान) को न्यायालय भी सही मानता है पर उत्तरप्रदेश की पुलिस दिल्ली के अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर बलात्कार नहीं होने की बात करती है जबकि पहले के अस्पताल में बलात्कार की बात स्वीकार की गई थी, सवाल फिर है कि यदि बलात्कार नहीं हुआ था तो उक्त बेटी को इतनी बूरी तरह मारने का क्या कारण था? कुल मिलाकर यह प्रकरण शर्मनाक तो है हीसाथ ही हिन्दू राष्ट्र की पैरवी करने वालों की नियत पर उनकी कथनी, करनी के अंतर को स्पष्ट करता है।

शौर्य दिवस पर सवाल?

6 दिसंबर को जिस दिन बाबरी ढांचा धरासायी किया गया था उस दिन को भाजपायी, संघी लोग शौर्य दिवस के रूप में कई सालों से मनाते आ रहे हैं। पर अब अगले 6 दिसंबर को क्या होगा क्योंकि बाबरी ढांचा मामले में भाजपा के सबसे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी सहित अधिकांश आरोपी ने मस्जिद ढांचा गिराने में अपनी जिम्मेदारी तथा भूमिका से ही इंकार कर दिया है, जब बाबरी मस्जिद गिराने में जब भूमिका से ही कोर्ट में पलट गये तो फिर क्या शौर्य बचा और क्या शौर्य दिवस?

वैसे बाबरी ढांचा गिराने के मामले में हिन्दुओं में सिर्फ एक ही शेर थे बाबा साहेब ठाकरे/जिन्होंने 56 इंच की छाती ठोंक कर कहा था कि हां, हमने बाबरी मस्जिद गिराई है। इस स्वीकारोक्ति के बावजूद बाल ठाकरे पर इसलिए मामला नहीं बनता था क्योंकि वे उस दिन मौका ए वारदात अयोध्या में मौजूद नहीं थे, उन पर मामला बना कि उनके आव्हान पर मस्जिद गिराने भीड़ एकत्रित थी, उनके उकसावे में भीड़ ने वह सब कुछ किया जो वे चाहते थे। बहरहाल न्यायालय ने अपने फैसले में माना कि बाबरी ढांचा गिराने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। सब कुछ अनायास हो गया…? वैसे बाबरी मस्जिद ढांचा तोडऩे के मामले में फैसला अप्रत्याशित नहीं है। यदि इस मामले में विध्वंस के दोषियों को सजा हो जाती तो नि:संदेह उनका कद मोदी जी से उपर हो जाता, क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा में बतौर सारथी कुछ दूर तक चलने तक ही नरेन्द्र मोदी का योगदान था, आडवाणी की बिहार में गिरफ्तारी के समय तथा कारसेवा के समय भी नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी नहीं रही…? क्या कारण था कि बीच में ही मोदी ने आडवाणी की रथयात्रा छोड़ दी तथा कारसेवा में 6 दिसंबर को अयोध्या क्यों नहीं गये इस बाबत न तो उनसे किसी ने पूछा? और न ही कभी मन की बात में ही उन्होने इसका खुलासा किया…। बहरहाल पाकिस्तान में अल्लाह के नाम पर वोट नहीं मागे जाते, ब्रिटेन में यीशु, जापान में बुद्ध के नाम पर वोट नहीं मांगे जाते है बस भारत ही है जहां श्रीराम के नाम पर बार-बार वोट मांगे जाते हैं…। चलो श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग न्यायालय द्वारा प्रशस्त होने, बाबरी मस्जिद ढांचा गिराने के मामले में सभी आरोपी बरी होने के बाद श्रीराम भी चैन की सांस लेते होंगे वैसे अब श्रीराम को पूरी तरह आराम दिया जाएगा ऐसा लगता तो नहीं है क्योंकि अब श्रीकृष्ण को लेकर भी एक वर्ग माहौल बनाने का प्रयत्न शुरू कर चुका है वहीं काशी विश्वनाथ और उस मंदिर के बगल की मस्जिद को लेकर भी कुछ लोग नया बखेड़ा शुरू करने की जुगत भिड़ा रहे हैं।

सिंधिया और अमित की प्रतिष्ठा दांव पर…?

म.प्र. की 28 तथा छत्तीसगढ़ एक विधानसभा में 3 नवंबर को उपचुनाव होना है। म.प्र. में 28 में 16 सीटें ग्वालियर, चम्बल क्षेत्र की है और इस क्षेत्र में प्रत्याशियों की जीत-हार निश्चित ही महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया की आगामी भाजपा राजनीति की दिशा तथा दशा तय करेगी वहीं बची 12 सीटों की जीत- हार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। वैसे म.प्र. में भाजपा की सरकार बचाने केवल 9 सीटें ही चाहिये और यह आसान भी लग रहा है वहीं कांग्रेस को फिर अपनी सरकार बनाने ढाई दर्ज सीटें जीतना जरूरी है निश्चित ही कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। जनता दलबदलुओं को फिर चुनती है कि नहीं यह खुलासा 10 नवंबर को हो सकेगा।
इधर छत्तीसगढ़ में एक मात्र मरवाही विधानसभा उपचुनाव होना है जो छग के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के कारण रिक्त हुई है। वैसे यहां से कभी विधायक रहे अमित जोगी, जोगी कांगे्रस की तरफ से उतर रहे हैं। वैसे 2001 से यानि लगभग 19 साल में मरवाही विधानसभा सीट जोगी परिवार के कब्जे में ही रही है। अमित जोगी की हार/जीत छग की आगामी राजनीति की दिशा तय करेगी। जहां तक कांग्रेस की बात है तो यहां जीत होने पर 70 तथा भाजपा में यहां जीत होने पर 15 सीट हो सकती है। कांग्रेस/भाजपा जरूर इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुकी है पर यहां के परिणाम निश्चित ही जोगी कांग्रेस और जोगी परिवार के लिए निर्णायक मोड़ साबित होगा यह तय है..?

और अब बस….

  • 0 छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव आर.पी.मंडल के सेवावृद्धि के प्रस्ताव पर अभी तक केंद्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है…।
  • 0 म.प्र. के पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी का 2 साल का कार्यकाल मार्च 22 में पूरा होगा और वे उसी दिन सेवानिवृत्त होंगे।
  • 0 छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी 20 दिसंबर 2018 को कार्य सम्हाला था और उनके कार्यकाल का दिसंबर 20 में 2 साल पूरा होगा।
  • 0 पुलिस अधीक्षकों की एक सूची कभी भी जारी हो सकती है जिसमें बस्तर, बिलासपुर संभाग के कुछ एसपी प्रभावित हो सकते हैं।
  • 0 कांग्रेस कार्यसमिति से मोतीलाल वोरा, ताम्रध्वज साहू को हटाने पर टिप्पणी करने वाले भाजपाई अपनी पार्टी में राष्ट्रीय पदाधिकारी सरोज पांडे, राम विचार नेताम को हटाने पर चुप्पी साधे हैं।