कैट ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमाटो और स्विगी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग.. जानें क्या हैं पूरा मामला…

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रायपुर 24 जनवरी, 2021। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि अमेजॅन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी,और अन्य विभिन्न ई -कॉमर्स कंपनियों पर सीधा आरोप लगाते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा की ये कंपनियां अपनी हठधर्मी के चलते उपभोक्ता संरक्षण (ई कॉमर्स) कानों, 2020 , लीगल मैट्रोलोजी (पैकेज्ड कमोडिटी) कानून, 2011 तथा फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी द्वारा जारी दिशा निर्देशों का जमकर और खुले आम उल्लंघन कर रही हैं।

उपरोक्त कानूनों में स्पष्ट रूप से कहा गया है की ई कॉमर्स पोर्टल पर अनिवार्य रूप से विक्रेता एवं वस्तु से सम्बंधित प्रत्येक जानकारी को स्पष्ट रूप से प्रत्येक उत्पाद के साथ लिखना अनिवार्य है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल को आज भेजे एक पत्र में कैट ने अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमाटो, स्विगी सहित अन्य ई कॉमर्स कंपनियों पर इन तीनों कानूनों का उल्लंघन करने का आपरोप लगाते हुए मांग की है की इन कंपनियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। यह एक तरीके से भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों और ऑनलाइन वितरण तंत्र द्वारा दिन के उजाले में लूट का मामला है।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने पीयूष गोयल को भेजे पत्र में कहा कि भारत में अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई कॉमर्स कंपनियां खुले रूप से देश के कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं और किसी भी सरकारी विभाग ने इसका आज तक संज्ञान ही नहीं लिया जिससे इन कंपनियों के होंसले मजबूत होते जा रहे हैं और देश के कानूनों की इनको कोई परवाह नहीं है जिसके चलते भारत का ई-कॉमर्स व्यापार भिंडी बाजार बन गया है।

अमर पारवानी ने कहा कि लीगल मैट्रोलोजी कानून,2011 के नियम 10 में यह प्रावधान है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने पोर्टल पर बिकने वाले प्रत्येक उत्पाद पर निर्माता का नाम और पता, मूल देश का नाम, वस्तु का नाम, शुद्ध मात्रा, किस तिथि से पहले उपयोग (यदि लागू हो), अधिकतम खुदरा मूल्य, वस्तु का साइज आदि लिखना अनिवार्य है । यह नियम जून 2017 में लागू किया गया था और नियम की पालना के लिए 6 महीने कीअवधि दी गई थी ताकि 1 जनवरी, 2018 से इसका कार्यान्वयन हो सके। लेकिन तीन साल के बीत जाने के बाद भी इन नियमों का पालन ई-कॉमर्स कंपनियों जिनमें मुख्य रूप से अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई कॉमर्स कंपनियां सीधे दोषी हैं और इस लिहाज से यह अपराध गैर मानक पैकेज देने का है जिसके तहत किसी के भी द्वारा उल्लंघन करने पर जुर्माना या कारावास अथवा दोनों सजा एक साथ दी जा सकती हैं।

अमर पारवानी ने आगे कहा कि 2 फरवरी, 2017 को खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा इसी प्रकार के दिशा-निर्देश जारी किये गए थे जिसके अंतर्गत फूड बिजनेस ऑपरेटर को उपरोक्त शर्तों का पालन करना अनिवार्य है किन्तु इसको धता बताते हुए जोमाटो, स्विगी सहित बड़ी संख्या में ई-कॉमर्स कंपनियों जिसमें मुख्य रूप से जोमाटो एवं स्विगी शामिल हैं खुल कर उल्लंघन कर रहे हैं जो बेहद चिंताजनक है।

अमर पारवानी ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण (ई कॉमर्स) नियम, 2020 के नियम 4 (2) के तहत, यह प्रदान किया गया है कि प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई अपने प्लेटफॉर्म पर स्पष्ट और सुलभ तरीके से प्रत्येक वस्तु के साथ निम्नलिखित जानकारी प्रदान करेगी, जिसमें वस्तु का कानूनी नाम, उसके मुख्यालय का पता, पोर्टल का नाम एवं विवरण, ईमेल, फैक्स, लैंडलाइन और कस्टमर केयर नंबर देना अनिवार्य है। इस कानून के द्वारा हर पोर्टल को अपने यहाँ एक शिकायत अधिकारी भी नियुक्त करना आवश्यक है। इसी तरह के प्रावधानों को एफडीआई नीति, 2016 के प्रेस नोट 2 में भी दिया गया है।

उन्होंने कहा की उनकी जानकारी के अनुसार किसी भी ई-कॉमर्स इकाई ने उपरोक्त प्रावधानों का अनुपालन करते हुए एक नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया है। उपभोक्ताओं के महत्वपूर्ण अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि वे ई-कॉमर्स पोर्टल्स से उत्पादों की खरीद के समय उत्पाद के विक्रेता या विवरण के बारे में नहीं जानते हैं लिहाजा इन पोर्टल के खिलाफ कार्रवाई होना बेहद आवश्यक है।