छत्तीसगढ़ : विधानसभा में मत विभाजन की नौबत….चंदूलाल मेडिकल बिल संशोधन विधेयक पर मत विभाजन.. मत विभाजन के बाद संशोधन प्रस्ताव ख़ारिज…..

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रायपुर 29 जुलाई 2021। छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद पाँचवी विधानसभा के कार्यवाही काल में यह पहला मौक़ा है जबकि संशोधन विधेयक पर मत विभाजन की स्थिति आ गई। चंदूलाल मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विधेयक पर चर्चा के दौरान संशोधन प्रस्ताव भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने दिया।

दरअसल सत्तापक्ष ने निजी महाविद्यालय के शासकीयकरण संबंधी प्रस्ताव पेश किया तो विपक्षी विधायकों ने इस पर आपत्ति जताते हुए अपनी बात रखी और संशोधन विधेयक पेश कर दिए लेकिन सत्तापक्ष ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। भारतीय जनता पार्टी के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर दो प्रस्ताव प्रस्तुत करके इस पर संशोधन प्रस्ताव रख दिया।

बृजमोहन का पहला संशोधन प्रस्ताव यह था कि अस्पताल के कर्मचारियों का सरकारी करण किया जाए और दूसरा प्रस्ताव यह था कि हितग्राहियों के लोन की राशि का भुगतान किया जाए सत्ता पक्ष ने इन दोनों प्रस्तावों को खारिज कर दिया यानी अमान्य कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने इस पर मत विभाजन की मांग कर डाली जिसे सुनकर सत्तापक्ष सकते में पड़ गया क्योंकि उसके आधे से ज्यादा विधायक सदन से बाहर थी इसके बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने इस पर मत विभाजन की व्यवस्था देते हुए कहा कि जो लोग संशोधन के पक्ष में है मेरे दाएं और आ जाएं और जो संशोधन के विपक्ष में हैं वे मेरे बाएं ओर आ जाएं। स्पष्ट कर दें कि यह मत विभाजन की व्यवस्था दी गई थी।

इसके बाद सरकार के मंत्री थोड़ा असहज हो गए। मत विभाजन हुआ तो जल्द ही रिजल्ट भी सामने आ गया प्रस्ताव के पक्ष में यानी विपक्ष के 16 मत पड़े जबकि प्रस्ताव के विपक्ष में यानी सत्ता पक्ष के 56 वोट पड़े यानी कि विपक्ष द्वारा पेश किया गया संशोधन बहुमत से खारिज कर दिया गया।

हालांकि इसके बाद भी सत्ता पक्ष की मुश्किलें कम नहीं हुई। विपक्ष के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह जो मत विभाजन हुआ है यह एक संशोधन के लिए हुआ है दूसरे संशोधन के लिए नहीं। इसके बाद अध्यक्ष महंत जी ने विपक्ष को समझाया कि इसे हम ठीक कर लेंगे लेकिन अग्रवाल ने कहा कि हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन यदि सबकुछ विधि सम्मत होगा तो भविष्य में कोई समस्या नहीं है इसके बाद लगा कि मत विभाजन होगा लेकिन अध्यक्ष के समझाने के बाद विपक्ष ने इस पर सहमति दे दी और ध्वनि मत से संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गया।