छत्तीसगढ़ : गोंडवाना टाइम्स’ की ये खास घड़िया दिशा में घूमती है उल्टी, वजह जान कर आप भी हो जाएंगे हैरान…

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रायपुर, 30 अक्टूबर 2021। यह घड़ी कोई साधारण घड़ी नहीं है। इसकी चाल देखकर आप चौंक जाएंगे। दरअसल यह घड़ी एन्टीक्लॉक चलती है। इसकी सुई आम घड़ियों के विपरीत दाएं से बाएं दिशा की ओर घूमती है। टिक-टिक चलती सेकंड, मिनट और घंटा बताने वाली घड़ी के कांटे को जरा गौर से देखिए। यह उल्टी दिशा में घूमकर भी सही (परफेक्ट) समय बता रही है। हमारी नजर में भले ही यह घड़ी उल्टी चल रही है, लेकिन देशभर में रहने वाले गोंड़ आदिवासियों की नजर में यह बिल्कुल सही दिशा में घूम रही है। उनका तर्क है यह प्रकृति की दिशा में चलने वाला घड़ी ही सही है। घड़ी की खोज करने वाले ने इसकी दिशा बदल दी। उनका तर्क भी सत्य की कसौटी पर शत प्रतिशत खरा उतरने वाला है।

इन तर्कों को सत्य की कसौटी पर परखिये

धरती अपनी धुरी पर दाएं से बाएं घूमती है। धरती पर जितनी भी लताएं हैं सेमी, लौकी, करेला, कद्दू के नार किसी पेड़-पौधे अथवा झाड़ी पर दाएं से बाएं लिपटकर चढ़ती है। खेतों की जोताई करने किसान हल भी दाएं से बाएं ही चलाते हैं। धान की मिजाई करने में उपयोग होने वाला दौरी, बेलन भी कुछ ऐसी ही चलती है। तेल निकालने में उपयोग होने वाली घानी (कोल्हू) में भी बैल दाएं से बाएं ही घूमता है।

और तो और शादी के सात फेरे भी प्रकृति की इसी दिशा में पूरे होते हैं। तब घड़ी की सुई को बाएं से दाएं दिशा में क्यों घुमाया जा रहा है? यह सवाल अनुत्तरित है। छत्तीसगढ़ के मूल निवासी गोंड़ आदिवासियों के प्राय: हर घर की दीवार में यह घड़ी टंगी मिलेगी।

दुनिया चले अगाड़ी, हम चले पिछाड़ी

यह घड़ी दुनिया की उन तमाम घड़ियों की चाल को चुनौती दे रही है, जो बाएं से दाएं चल रहे हैं। आदिवासी इसे अपनी प्राचीन संस्कृति और गोंडवाना साम्राज्य के आस्था का प्रतीक मानते हैं। यूं तो छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में यह घड़ी मिल जाएगी। महासमुन्द और कोरबा जिले में इसकी बहुतायत है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, मध्यप्रदेश सहित उन सभी राज्यों में भी प्रचलन में है, जहां गोंड़ जनजाति के लोग निवास करते हैं।

सामान्यत: इसे एन्टी क्लॉक कहकर लोग नकार देते हैं, वहीं गोंड़ आदिवासियों के हर घर और परिवार में प्रकृति के नियमों के अनुरूप चलने वाली इस घड़ी को खासकर सहेजकर रखा जा रहा है। महासमुन्द के एसपी ध्रुव कहते हैं कि पानी और हवा में उठने वाली भंवर (बाइंडर) की दिशा भी तो दाएं से बाएं होती है। तब भला यह घड़ी उल्टी कैसे हो गई?

घड़ी की यह है ऐतिहासिक खासियत

आदिवासी गोंड़ समाज धरती पर अपने को मूल निवासी मानते हैं। वनवासी और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में गोंडवाना साम्राज्य रहा है। प्रकृति की गोद में जीवन बसर करने जंगली जानवरों का शिकार, खेती आदि उनके आजीविका का साधन था। तकनीकी ने प्रगति की, विज्ञान के युग में अमूलचूक बदलाव भी हुए, लेकिन गोंड़ आदिवासी अपनी मूल संस्कृति के साथ ही प्रकृति से जुड़े रहे।

जब उन्होंने जास बर्गी द्वारा बनाई गई घड़ी को देखा तो यह उन्हें रास नहीं आया। उन्होंने प्रकृति की दिशा (दाएं से बाएं) चलने वाली अपनी घड़ी बना ली। इसे नाम दिया गोंडवाना टाइम्स। इस घड़ी की सुई भले ही एंटी घूमती है, लेकिन समय बिल्कुल सही बताती है। इसका उपयोग आदिवासी वर्ग के 750 गोत्र के लाखों लोग कर रहे हैं।