तेलंगाना से 100 किमी पैदल चली 12 बच्ची ने घर से मजह 14 किमी दूर तोड़ा दम.. मुख्यमंत्री बघेल ने जमलो मड़कम की मौत पर जताया गहरा दुख.. परिजनों को 5 लाख की आर्थिक सहायता मंजूर..

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रायपुर, 21 अप्रैल 2020। छत्तीसगढ़ के बीजापुर से मज़दूरी करने ये बच्ची तेलंगाना के पेरुर गांव गयी थी। लॉकडाउन 2.0 लगने के बाद 3 दिनों से 100 किमी का सफर जंगली और पहाड़ी रास्ते से तय करते हुए पैदल ही अपने गांव लौट रही थी। गर्मी की वजह से इलेक्ट्रोल इमबेलेन्स और शरीर मे पानी की कमी की वजह से सफर के दौरान ही उस मासूम की मौत हो गयी। उसके साथ गांव के 11 दूसरे लोग भी थे, लेकिन जंगल के रास्ते उसे किसी तरह का इलाज नहीं मिल सका। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस खबर की जानकारी लगते ही उन्होंने तत्काल कलेक्टर को आर्थिक मदद के निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजापुर जिले के ग्राम आदेड़ की 12 वर्षीय कुमारी जमलो मड़कम की मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने गहरी संवेदना प्रकट करते हुए तात्कालिक सहायता के रूप में कुमारी मड़कम के परिवारजनों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से एक लाख रूपए की सहायता राशि स्वीकृत की थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री बघेल ने आज कलेक्टर से चर्चा उपरांत मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान कोष से 4 लाख रूपए की अतिरिक्त स्वीकृति दी। इस प्रकार कुमारी मड़कम के परिवारजनों को कुल 5 लाख रूपए की आर्थिक सहायता मंजूर की गई है। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर बीजापुर को इस मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं।

मजदूरों की हरसंभव मदद कर रही सरकार

  • लॉकडाउन से प्रभावित श्रमिकों को राज्य सरकार के द्वारा हर संभव मदद दी जा रही है। मनरेगा और तेंदूपत्ता संग्रहण और गौठान के कार्य प्रारंभ किए जा रहे हैं। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा।
  • उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में तथा देश के अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों के लिए राज्य सरकार द्वारा संकटग्रस्त एक लाख 85 हजार से अधिक श्रमिकों को भोजन, रहने की व्यवस्था सहित अन्य समस्याओं का त्वरित समाधान किया गया। छत्तीसगढ़ से बाहर अन्य राज्यों में फंसे 81 हजार 711 श्रमिको को राहत पहुंचायी गयी।
  • अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों में से सात हजार 384 श्रमिकों के खाते में तात्कालिक व्यवस्था के लिए लगभग 24 लाख 31 हजार रूपए भी जमा करवाया गया है। 
  • राज्य सरकार द्वारा देश के अन्य राज्यों में श्रमिकों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए अधिकारियों का दल गठित कर सतत् निगरानी की जा रही है।
  • इसके लिए श्रम विभाग द्वारा राज्य स्तर पर हेल्पलाईन नम्बर 0771-2443809, 91098-49992, 75878-22800 सहित जिला स्तर पर भी हेल्पलाईन नम्बर स्थापित किए गए हैं। हेल्पलाईन नम्बर के माध्यम से प्राप्त श्रमिकों की समस्याओं को पंजीबद्ध कर तत्काल समाधान किया जा रहा है।

क्या था मामला

तेलंगाना के पेरूर गांव से 12 साल की मासूम पैदल अपने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गांव आदेड़ के लिए चली। रास्ते में तबीयत बिगड़ गई, फिर भी तीन दिन में करीब 100 किमी का सफर पूरा किया। लेकिन अपने गांव से महज 14 किमी पहले बच्ची ने दम तोड़ दिया। उसके साथ गांव के 11 दूसरे लोग भी थे, लेकिन जंगल के रास्ते उसे किसी तरह का इलाज नहीं मिल सका।

साथ के लोग यही बता सके कि बच्ची के पेट में दर्द हो रहा था। बीजापुर के आदेड़ गांव की जमलो मड़कम अपने ही गांव के कुछ लोगों के साथ रोजगार की तलाश में दो महीने पहले तेलंगाना के पेरूर गांव गई हुई थी। वहां उन्हें मिर्ची तोड़ने का काम मिला। लाॅकडाउन में काम बंद हो गया, इन्होंने कुछ दिन तो वहीं बिताए। किसी तरह खाने-पीने का इंतजाम किया। लेकिन लॉकडाउन लंबा खिंचने के बाद इनके सामने रोटी का संकट खड़ा हाे गया, तब 16 अप्रैल को जमलो और गांव के 11 दूसरे लोग तेलंगाना से वापस बीजापुर के लिए पैदल ही निकले। दूसरे दिन जमलो की तबीयत बिगड़ी, किसी तरह 17 तारीख बीती, यह दल करीब 100 किमी चलकर 18 अप्रैल को मोदकपाल इलाके के भंडारपाल गांव के पास ही पहुंचा था कि जमलो ने दम तोड़ दिया। जमलो अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।

इकलौती बच्ची के लौटने का इंतजार था, घर पहुंची मौत की खबर

बच्ची की मौत की खबर मिलने के बाद प्रशासन की टीम गांव पहुंची। एहतियातन अन्य मजदूरों को क्वारैंटाइन किया गया है। उन्हीं लोगों में से किसी ने गांव पहुंचकर इकलौती बेटी की मौत की खबर दी तो पिता आंदोराम मड़कम और मां सुकमती जिला अस्पताल पहुंचे। सोमवार को बीजापुर में पोस्टमार्टम के बाद जमलो का शव माता-पिता को सौंपा दिया गया। पिता आंदोराम ने कहा कि उन्हें तो अपनी बेटी के लौटने का इंतजार था, लेकिन घर उसकी मौत की खबर पहुंची। साथ आए सभी लोगों को अलग रखा गया है, इसलिए यह भी नहीं पता चल सका है कि बच्ची को हुआ क्या था।