मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेड़ा के निधन पर जताया दुःख..

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23 सितंबर 2019,रायपुर। प्रसिद्ध समाज सेवी एवं शिक्षाविद् डाॅ.प्रभुदत्त खैरा का आज सुबह लंबी बीमारी के बाद अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। उनका जन्म 13 अप्रैल 1928 को हुआ था। उनका अंतिम संस्कार कल 24 सितंबर को सुबह 11 बजे मुंगेली जिले के लमनी गांव में किया जाएगा।

डाॅ.खैरा पिछले 35 वर्ष से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र अचानकमार के जंगलों के बीच लमनी गांव में आदिवासी बच्चों को शिक्षित कर रहे थे।

वे दिल्ली विश्वविद्यालय में 15 साल तक समाजशास्त्र पढ़ाते रहे हैं. उनका सन 1983.84 में बिलासपुर आना हुआ. इस दौरान वे अचानकमार के जंगल घूमने गए। वहां पर आदिवासी बच्चों को शिक्षा से दूर देखकर उनका मन काफी व्यथित हुआ और उन्होंने वर्तमान मुंगेली जिले के लमनी गांव में ही बसने का फैसला कर लिया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अचानकमार के जंगलों में बैगा आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए लंबे समय से कार्य कर रहे प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेड़ा के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है।

मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट संदेश में कहा है कि अचानकमार के घने जंगलों के बीच 30 साल तक कुटिया बनाकर बैगा आदिवासियों के बीच शिक्षा का उजियारा फैलाने वाले, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेड़ा के निधन की खबर सुनकर मन दुखी है।

डॉ. खेड़ा त्याग, संकल्प और निःस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति थे। बघेल ने स्वर्गीय प्रोफेसर खेड़ा के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।