दुर्ग-भिलाई के निजी स्कूलों की आने वाली है शामत…क्याेंकि शिक्षा मंत्री के पास उनकी हो गई भारी शिकायत, हर पैरेंट्स को जानना चाहिए निजी स्कूल क्या कर रहे उनके साथ…

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24 जून 2019 भिलाई। एजुकेशन हब दुर्ग-भिलाई के अधिकांश स्कूलों की मुश्किलें बढ़ सकती है। ये बात हम यूं नहीं कर रहे। निजी स्कूलों के कारनामों का एक बड़ा पुलिंदा सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय टेकाम तक पहुंच गया है। शिकायत करने वाले कोई और नहीं। एक स्कूल के खिलाफ 111 करोड़ रुपए का जुर्माना लगवा चुके दुर्ग-भिलाई पालक संघ है। संघ के अध्यक्ष नासिर खोखर का कहना है कि दुर्ग-भिलाई के स्कूलों की मनमानी बढ़ती जा रही है। पैरेंट्स की कोई सुनने वाला नहीं है। सरकार आदेश दे रहा है मगर अधिकारी उसका क्रियान्वयन नहीं करवा रहे हैं। दुर्ग शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारी पैरेंट्स को प्रताड़ित और निजी स्कूलों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। खोखर ने बताया कि शिक्षा मंत्री को जो शिकायतों का पुलिंदा दिया है। उसमें जांच होगी तो अधिकांश स्कूलों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई होगी। स्कूलों ने अपनी मर्जी से फीस बढ़ा दी है। आरटीई के नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है। ऐसी शिकायत बहुत है। जिसकी जांच होनी है। शिक्षा मंत्री ने आश्वास्त किया है कि जल्द ही डीईओ से रिपोर्ट मांगी जाएगी। इसके बाद विभाग के अन्य अफसरों से जांच करवाई जाएगी।

‘शिक्षा मंत्री को दुर्ग-भिलाई पालक संघ के पदाधिकारी ज्ञापन सौंपते हुए।

शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपने वालों में दुर्ग-भिलाई पालक संघ के अध्यक्ष नासिर खोखर, प्रकाश भारद्वाज, अनिल जयसवाल, ज्योति शर्मा, विकास यादव, रविशंकर सिंह, सुरेश शर्मा, ट्रेसा डेविड, भगवान दास जामुलकर, कमलेश सिंह आदि मौजूद रहे।

निजी स्कूलों की मनमानी तो जानिए…

  • नियामक आयोग की घोषणा हो गई है। बावजूद स्कूल प्रबंधन मनमाने रूप से फीस बढ़ाए जा रहे हैं। इसलिए जब तक आयोग का गठन नहीं हो जाता तब तक कोई भी स्कूल फीस न बढ़ाए। जो बढ़ा दिए है वह कैंसिल हो जाए।
  • नियमों के विपरीत डीईओ और नोडल अधिकारियों के संरक्षण में पिछले 4 सालों से बिना पालकों की सहमति के बिना कलेक्टर की अनुसंशा से हर साल 10 से 30% फीस बड़ाई गई है। 4 सालों की बढ़ी हुई फीस की जांच की जाए।
  • सभी स्कूलों में प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन कर पालक समिति का गठन किया जाए। अभी स्कूल प्रबंधन ने अपने हिसाब से समिति का गठन कर लिया है। कई समिति तो पैरेंट्स तक नहीं है। पालकों से सुझाव भी लेना चाहिए।
  • नो लास नो प्रॉफिट की शर्तो पर शासन से ज़मीन प्राप्त स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोत्तरी कर लाभ अर्जित किया गया है। अन्य संपत्ति भी बनाई गई है। ऐसे स्कूलों की आय, संपत्ति की जांच की जाए। ऐसे स्कूलों से ज़मीन व अन्य सहायता वापस लिया जाए।
  • नियामक आयोग में पालकों की और से एक प्रतिनिधि लिया जाए।
  • निजी स्कूलों द्वारा हर साल कोर्स बदलने पर रोक लगाई जाए। इससे पैरेंट्स को परेशानी होती है।
  • आरटीई के प्रवेशित बच्चो को गणवेश को पाठय सामग्री के लिए 650 रुपए भत्ता दिया जाता है। जिसे बढ़ाकर 1500 रुपए किया जाए।
  • आरटीई शिक्षा के अधिकार में ऑनलाइन लॉटरी से कई स्कूलों में आरक्षित सीट खाली रह गई है। इसके लिए अधिकारियों ने संरक्षण दिया। खाली सीटों में वंचित छात्रों को मेंनुअल लॉटरी कर प्रवेश दिलाया जाए।
  • (ऊपर की सभी शिकायत पालक संघ ने मंत्री से की है)

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