शीत लहर से बचने आपदा प्रबंधन विभाग ने जारी की ये सलाह…..

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रायपुर, 21 दिसम्बर 2021। इस समय देश एवं प्रदेश के विभिन्न भागों में शीत लहर चल रही है। अतः आम जनों को शीत-घात से बचाव हेतु आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जनसामान्य को सलाह दी गई है कि आपातकालीन आपूर्ति जैसे भोजन, पानी, ईधन, बैटरी चार्जर, आपातकालीन प्रकाश और साधारण दवाओं की पहले से ही व्यवस्था कर ली जाए। घर मे ठंडी हवा के प्रवेश रोकने हेतु दरवाजों तथा खिड़कियों को ठीक से बंद रखे। फ्लू, नॉक बहना, भरी नाक या नाक बंद जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना आमतौर पर ठंड में लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं। इस तरह के लक्षणों से बचाव हेतु आवश्यक सावधानी बरते तथा स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों या डॉक्टर से परामर्श लें।

शीत-घात के दौरान, मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करे एवं शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करें। जितना हो सके घर के अंदर रहे और ठंडी हवा, बारिश, बर्फ के संपर्क को रोकने के लिए कम यात्रा करें। एक परत वाले कपड़े की जगह ढीली फिटिंग वाले परतदार हल्के कपड़े, हवा रोधी, सूती बाहरी आवरण तथा गर्म ऊनी भीतरी कपड़े पहने। तंग कपड़े खून के बहाव को रोकते है इनसे बचें। खुद को सूखा रखे शरीर की गरमाहाट बनाये रखने हेतु अपने सिर, गर्दन, हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढके। गीले कपडे तुरंत बदले। बिना उंगली वाले दस्ताने का प्रयोग करें। यह दस्ताने उँगलियों कि गरमाहट बचाये रखने में मदद करते हैं। अपने को बचाने के लिए मुंह तथा नाक ढक कर रखें।

कोविड-19 तथा अन्य संक्रमण से बचने लिए बाहर जाते समय मास्क का उपयोग करें।

शरीर कि गर्मी बनाये रखने के लिए टोपी, हैट, मफलर तथा आवरण युक्त एवं जल रोधि जूतों का प्रयोग करें। सिर को ढकें क्योंकि सिर के उपरी सतह से शरीर की गर्मी की हानि होती है। स्वास्थ्य वर्धक भोजन करें। पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं। गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पीए, इससे ठंड से लड़ने के लिए शरीर की गर्मी बनी रहेगी। तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से नियमित रूप से अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज करें। बुजुर्ग लोगों, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का ध्यान रखें एवं ऐसे पडोसी जो अकेले रहते हैं विशेषकर बुजुर्ग लोगों का हाल चाल पूछते रहे। आवश्यकता अनुसार जरूरी सामग्री का भंडारण करें। जरूरी मात्रा में पानी भी रखें, पाईप मे पानी जम सकता है। ऊर्जा बचाएँ। आवश्यकता अनुसार रूम हीटर का उपयोग कमरे के अंदर ही करें। रूम हीटर के प्रयोग के दौरान पर्याप्त हवा निकासी का प्रबंध रखें। कमरों को गर्म करने के लिए कोयले का प्रयोग न करें। अगर कोयले तथा लकड़ी को जलाना आवश्यक है, तो उचित चिमनी का प्रयोग करें। बंद कमरों में कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है। क्योंकि यह कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा करती है, जो किसी की जान भी ले सकती है। गैर औद्योगिक भवनों में गर्मी के बचाव हेतु गाइडलाइन अनुसार रोधन का उपयोग करें। ज्यादा समय तक ठंड के संपर्क में न रहे। शराब न पीएँ। यह शरीर की गर्माहट को कम करता है, यह खून की नसो को पतला कर देता है, विशेषकर हाथों से जिसमें हाईपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। शीत में क्षतिग्रस्त हिस्सो की मालिश न करें यह त्वचा को और नुकसान पहुँचा सकता हैं। अचेतावस्था में किसी को कोई तरल पदार्थ न दें। शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणों जैसे कि संवेदनशून्यता) सफेद अथवा पीले पडे हाथ एव पैरों की उँगलियाँ, कान की लौ तथा नाक की उपरी सतह का ध्यान रखें।

शीत लहर अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य तथा लाल फफोले पड़ सकते हैं।

यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अतः शीत लहर के पहले लक्षण पर ही चिकित्सक की सलाह लें। तब तक अंगों को तत्काल गर्म करने का प्रयास करें। ज्यादा गर्मी से इन अंगों के जलने की संभावना होती है। शीत से प्रभावित अंगों को गुनगुने पानी (गर्म पानी नहीं) से इलाज करें। इसका तापमान इतना रखें की यह शरीर के अन्य हिस्से के लिए आरामदायक हो। कंपकंपी को नजर अंदाज ना करें। यह शरीर से गर्मी के हास का पहला सकेत है कि तत्काल गर्मी प्राप्त करने लिए भवन के अंदर चले जाएँ। प्रभावित व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएँ तथा उनके गीले तथा ठंडे कपड़ों को बदलें। प्रभावित व्यक्ति को त्वचा से त्वचा मिलाकर, कंबल, कपड़ों तौलियों तथा चद्दरों की परतों द्वारा गर्म करें। उसको हीटर अथवा आग के आसपास रखें। उसको गर्म पेय पदार्थ दें जिससे शरीर में गरमाहट बनाए रखने में मदद मिले। शराब न दें इससे शरीर की गरमाहट कम होती है। शीत लहर के प्रभाव से होईपोथर्मिया हो सकता है। शरीर में गर्मी के हास से कंपकपी, बोलने में दिक्कत, अनिद्रा, मासपेशियों में अकडन, सांस लेने में दिक्कत एवं निश्चेतन की अवस्था हो सकती है। होईपोथर्मिया एक खतरनाक अवस्था है जिसमे तत्काल चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता है। शीत लहर/हाईपोथर्मिया से प्रभावितों को तत्काल चिकित्सीय सहायता प्रदान कराएँ। कोविड-19 के दौरान नाक बहने/भरी नाक के लक्षण दिखने पर चिकित्सक अथवा स्वास्थ्य कर्मियों की सलाह ले। प्राथमिक चिकित्सा हेतु एनडीएमए के फास्ट एप का अनुसरण करें।