जीडीपी के इन आंकड़ों का सबको बेसब्री से इंतजार था. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के द्वारा ये आंकड़े जारी किए गए….

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मंदी के दौर का सामना करने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आखिर अच्छी खबर आ गई. दिसंबर तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 0.4 फीसदी की बढ़त हुई है. यानी भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से बाहर निकल गई है.

पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 8 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है. जीडीपी के इन आंकड़ों का सबको बेसब्री से इंतजार था. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के द्वारा ये आंकड़े जारी किए गए. अप्रैल से जनवरी के दौरान राजकोषीय घाटा 12.34 लाख करोड़ रुपये का रहा है.

कुल कितने रुपये की जीडीपी?

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर की तीसरी तिमाही की कुल जीडीपी 36.22 लाख करोड़ रुपये की रही. साल 2019-20 की तीसरी तिमाही में यह 36.08 लाख करोड़ रुपये की थी.

संशोध‍ित अनुमान के मुताबिक इस साल कुल जीडीपी 134.09 लाख करोड़ रुपये का ही रह सकती है. साल 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 4 फीसदी की बढ़त हुई थी.

मंदी का दौर

गौरतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना की वजह से इतिहास में पहली बार तकनीकी रूप से मंदी के दौर में पहुंची थी. जब कोई अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाही गिरावट में रहती है, तो यह मान लिया जाता है कि वह तकनीकी रूप से मंदी के दौर में पहुंच चुकी है.

कोरोना संकट की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था गिरावट के दौर में है. इसकी वजह से ही इस वित्त वर्ष की जून में होने वाली पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की गिरावट आई.

इसकी वजह यह थी कि उस दौरान देश में काफी सख्त लॉकडाउन लगा था और इकोनॉमी पूरी तरह से ठप थी. इसके बाद फिर सितंबर की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट आई.

ये था अनुमान

ICICI सिक्यूरिटीज द्वारा 1722 कंपनियों के तिमाही रिजल्ट के डेटा के आधार पर किए गए एक विश्लेषण से भी यह बात सामने आई थी कि इकोनॉमी में तेज सुधार हो रहा है.

कई एजेंसियों और संस्थाओं ने यह उम्मीद जताई थी कि तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था पॉजिटिव जोन में जाएगी. भारतीय रिजर्व बैंक की दिसंबर में जारी ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ बुलेटिन में कहा गया था कि ऐसे पॉजिटिव संकेत मिल रहे हैं कि अर्थव्यवस्था गहरी खाई से अब रोशनी की तरफ बढ़ रही है.