पुरातत्व विभाग ने राजिम में शुरू की खुदाई.. मौर्य काल और सोमवंशी काल के अवशेष मिले, खुदाई में 1800 साल पुरानी ईट भी मिली..

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09 जून 2019, रायपुर। छत्तीसगढ़ में 1800 साल पुरानी प्राचीन काल की सभ्यता के रहस्य से पर्दा उठने की संभावना जताई जा रही है। यहां पुरातत्व विभाग द्वारा मौर्य काल तथा सोमवंशी काल के अवशेष मिलने की संभावना है। राजधानी से सटे ग्राम रीवा में प्राचीन दीवार की खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया। संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा पुरावशेषों के अन्वेषण के लिए शुरू किए गए इस उत्खनन में एक फीट की खुदाई पर ही 18 सौ साल पुरानी ईटें मिली। मौके पर विभाग के संचालक अनिल साहू ने प्राचीन राजिम-सिरपुर पथ पर स्थित स्थल पर पारंपरिक रूप से श्रीफल अर्पित कर खुदाई प्रारंभ की।

  • गौरतलब है कि संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद इस स्थल का चयन किया है।
  • यहां प्रथम-द्वितीय सदी के अवशेष मिलने की व्यापक संभावनाएं दिखी थीं।
  • रीवा ग्राम में मिट्टी के प्रकार तथा परिखायुक्त प्राचीन गढ़ तथा बसाहट के विलुप्त अवशेष भी बचे हुए मिले थे।
  • स्थल को देख लगभग 6वीं सदी ईसवी में महत्वपूर्ण प्रशासनिक तथा व्यापारिक स्थल की संभावनाएं लगाई गई थी, जो सही साबित हुई।
  • उत्खननकर्ता निदेशक पद्मश्री सम्मान प्राप्त डॉ. अरूण कुमार शर्मा ने दावा किया है कि उत्खनन करते समय एक फीट की गहराई में तीन तरह की ईटें मिली है, जिसमें 35 सेंटीमीटर, 19 सेंटीमीटर और 7 सेंटीमीटर की ईंटें शामिल है।
  • साथ ही स्थल के दूसरी ओर एक ओर टिला दिखाई दे रहा है।
  • इसमें लोक पूजा के स्तूप की संभावना दिख रही है।
  • उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से वृषोत्तम साहू ने स्थल का सर्वेक्षण किया था।
  • शर्मा के अनुसार यहां मौर्य काल में बसाहट आरंभ हो चुका था तथा सोमवंशी शासकों के काल में यहां मंदिरों का निर्माण कराया गया होगा।
  • मौके पर पुरातत्व विभाग के उप संचालक जेआर भगत ने स्थल की प्राचीनता के संबंध में ईंटों के जमाव के आधार पर अभिमत दिया है।
  • साथ ही बताया कि उत्खनन में 7वीं सदी के अवशेष स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने की संभावना है।
  • उत्खनन कार्य से छत्तीसगढ़ में 18 सौ साल से पहले की व्यापार व्यवस्था और प्रशासनिक इकाईयों का प्रमाण मिल सकता है।

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