कृषि कानून की वापसी के ऐलान से किसान बेहद खुश, बोले- देर से ही सही भावनाओं का हुआ सम्मान, जानें कानून रद्द करने की क्या है संवैधानिक प्रक्रिया?

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रुड़की, 19 नवम्बर 2021। कृषि में सुधार के लिए लाए गए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार वापस लेने का ऐलान किया है। इससे उत्तराखंड के किसानों में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। हरिद्वार जिले के किसान संगठनों ने इसपर खुशी जाहिर करते हुए इसे अपनी जीत बताया है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार का आभार भी जताया है।

पिछले साल केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लागू किए थे।

इसको लेकर हरिद्वार जिले के किसान भी विरोध कर रहे थे, लेकिन अब जब पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया तो वे बेहद खुश हैं। भारतीय किसान यूनियन रोड गुट के प्रदेश अध्यक्ष पदम सिंह रोड ने कहा कि यह कृषि कानून काले कानून के समान थे। केंद्र सरकार ने देर से ही सही इन कानूनों को वापस लेकर किसानों की भावनाओं का सम्मान किया है। इसलिए वह सरकार को बधाई देते हैं कि

समय से इन कृषि कानूनों को वापस लेकर अच्छा कदम उठाया है।

वहीं, उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड ने कहा कि यह किसानों की जीत है। किसान कृषि कानून का विरोध कर रहा था। यहां तक कि भाजपा से जुड़े किसान नेता भी इस कानून के पक्ष में नहीं थे। भाकियू गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार अब

किसानों की बेहतरी के लिए काम करें उनको लाभकारी मूल्य दिलाने का काम करें।

हरिद्वार की बात की जाए तो यहां पर उत्तराखंड किसान मोर्चा भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न गुट के अलावा अन्य संगठन भी लगातार आंदोलन और धरना प्रदर्शन कर रहे थे। लक्सर में तो महापंचायत भी हुई, जिसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत भी किसानों को संबोधित करने के लिए आए थे। इसके साथ ही रुड़की तहसील मुख्यालय पर समय-समय पर विभिन्न किसान संगठन आंदोलन और धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।

अब कृषि कानून वापस होने से किसानों में खुशी का माहौल है।

केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने के फैसले का हरिद्वार के किसानों ने स्वागत किया है। कृषि कानून वापसी की मांग को लेकर बाहदराबाद टोल प्लाजा पर काफी समय से आंदोलन चल रहा था। लक्सर में भी किसान इसे लेकर पिछले काफी समय से आंदोलित थे। कृषि कानून वापस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा से उनमें हर्ष और उन्होंने इसे किसान एकता की जीत बताया है। साथ ही दावा किया है कि चीन सरकार के कृषि कानून वापस लेने से उनके आरोप सत्य साबित हुए किया कानून किसानों के खिलाफ है।