प्रस्तुति बंद होने से तंगहाली में दिन काट रहे लोक कलाकार राजकुमार यादव

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गरियाबंद@ परमेश्वर कुमार साहू। कोरोना वायरस के चलते देश में लाकडाउन मार्च माह से चल रहा है जिसके कारण गरियाबंद जिला के लोक कलाकार अपने कला की प्रस्तुति नहीं दे पा रहे हैं वह सभी प्रदेश शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सेनीटाइजर का उपयोग कर तो रहे हैं साथ ही दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं ताकि शीघ्र कोरोना वायरस देश से नष्ट हो जाए। गत ढाई महीने से लोक कला की प्रस्तुति नहीं हुई है कलाकार अपने घरों में ही समय गुजार रहे हैं इनके कारण पालन पोषण की समस्या आ गई है कलाकारी ही इनके आय का साधन है। प्रस्तुति नहीं देने के कारण गंभीर आर्थिक संकट से यह कलाकार जूझ रहे हैं।

कला परंपरा के प्रदेश अध्यक्ष डीपी देशमुख ने बताया कि प्रदेश के करीब तीन लाख से भी अधिक लोक कलाकार तंगहाली में दिन काट रहे हैं। जगराता, लोककला मंच, भजन संध्या, रामायण, पंडवानी आदि के माध्यम से विभिन्न अवसरों पर लोक संस्कृति से लबरेज ये कलाकार बेबाक प्रस्तुति देकर ना सिर्फ प्रदेश का नाम रोशन करते हैं बल्कि इससे हुई आमदनी से वह अपना जीवकोपार्जन भी करते हैं किंतु अब लोक कलाकारों का गुजारा मुश्किल हो गया है। प्रदेश शासन को इनके आर्थिक परिस्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

कला परंपरा के जिला अध्यक्ष एवं लोकगायक राजकुमार यादव ने बताया कि चूंकि कलाकारों का कोई अलग से प्रदेश स्तरीय संगठन नहीं है

जिसके कारण वह अपनी मांग को शासन प्रशासन तक किसी बैनर तले नहीं रख पा रहे हैं। जिसके कारण आज गंभीर रोजी-रोटी की समस्या आ पड़ी है।

इस संवाददाता ने जिले के लोक कलाकार जिनमें फुलझर के हारमोनियम प्लेयर तथा गायक गौकरण मानिकपुरी का हाल जाना। उन्होंने बताया कि कलाकारी से जो आय प्राप्त हो जाती थी उन्हीं से ही घर खर्चा चलता था किंतु अब वह भी बंद हो गया है समझ नहीं आता क्या करें।

हमारी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब चल रही है ऐसे समय में सरकार व जिला प्रशासन को हमारी सुध लेनी चाहिए। लोकगायिका गायत्री राजपूत ने बताया कि मेरे परिवार में 6 सदस्य हैं

चुनाव के समय से गायकी व मंच संचालन के द्वारा मिले पैसे से अभी तक गुजारा चल रहा था किंतु अब वह भी खत्म हो गया है परिवार के पालन पोषण की चिंता लगी हुई है।

हास्य लोक कलाकार एवं कवि कमलेश कौशिक ने बताया कि कलाकारी के अलावा मैं सलून भी चलाता हूं। कोविड 19 के चलते सैलून की दुकान खोलने पर प्रतिबंध है

जिसके चलते अब नहीं मेरी कलाकारी चल रही है और सैलून की दुकान से आय का साधन पूरी तरह से बंद हो गया है जिससे परिवार में पैसों की बड़ी दिक्कत आ रही है।

फागूराम, चेतन साहू, हिम्मत सिंहा, भागवत सेन आदि कलाकारों ने बताया कि वायरस के चलते भविष्य में भी कार्यक्रम की प्रस्तुति होना मुश्किल है जिसे देखते हुए प्रदेश के संस्कृति विभाग को विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए। संतोष कुमार सोनकर,टीकमचंद सेन, रामकुमार देवांगन, दीपक श्रीवास, तुला राम साहू ने कहा कि कला यूं ही नहीं प्राप्त होता, उनके लिए कठिन साधना करनी पड़ती है। प्रदर्शन से ही इनके साधना को प्रतिफल मिलता है।

करोना संकट रुकावट पैदा की है किंतु एक दिन अच्छा समय जरूर आएगा धैर्य रखने की आवश्यकता है परंतु इस धैर्यकाल में कुछ आर्थिक पैकेज के साथ कलाकारों के आर्थिक संकट को दूर किया जा सकता है इस पर शासन को गंभीर होना चाहिए।