24 अगस्त2019,नई दिल्ली। देश में 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी है, हर घर में विराजमान होंगे गणपति जिसके लिए पूरे देश में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। बुद्धि, ज्ञान और विघ्नविनाशक के रूप में पूजे जाने वाले श्री गणेश जी के स्वागत के लिए इस समय उनके भक्तगण पूरी तरह से तैयार हैं, गणपति बप्पा तो विघ्नहर्ता हैं, वो तो सबकी समस्याओं का अंत करते हैं, तो चलिए इस बार हम इस उत्सव पर पर्यावरण की समस्याओं का भी अंत करने का प्रण लेते हैं और घर पर मिट्टी से बनाते हैं इकोफ्रेंडली गणेश, जो कि हमारे साथ-साथ पर्यावरण को भी अपनी कृपा से कृतार्थ करेंगे।
इन सामग्री विधि का उपयोग करें..
थोड़ी सी काली मिट्टी (2 कटोरी),मिट्टी सानने के लिए पानी,तुअर की दाल,चावल के कुछ दाने,पेंसिल की छीलन..
सबसे पहले मिट्टी में पानी डालकर उसे आटे की तरह हल्के हाथों से सान लीजिए। यह मिट्टी थोड़ी गीली-थोड़ी सख्त हो, ताकि शरीर के अलग-अलग हिस्से एक-दूसरे से चिपकाए जा सकें। अब सनी हुई मिट्टी में से आधी से ज्यादा मिट्टी लेकर उससे दो गोले बनाएं। एक छोटा-एक थोड़ा बड़ा।
बड़े गोले को नीचे रखकर, छोटे गोले को थोड़ा सा चपटा करके उसे बड़े गोले पर फिट कर दें। यह हो गया गणपति बप्पा का पेट और सिर। बाकी बची मिट्टी से पांच बेलनाकार आकृति बनाएं, यह हैं गजानन के हाथ, पैर और सूंड। सूंड वाले हिस्से को हाथों से शेप देते हुए थोड़ा सा लंबा कर लें और हल्का सा नीचे से घूमा दीजिए। इसे बप्पा के सिर वाले हिस्से पर अच्छे से लगा दीजिए।
ऐसे बनाएं बप्पा की आंखें बड़े गोले के ऊपरी
दोनों किनारों पर हाथों को खड़ी स्थिति में पानी की सहायता से हल्के से मोड़कर चिपका दें। बड़े गोले के निचले दोनों किनारों पर पैरों को बैठी हुई स्थिति में ‘वी” के शेप में चिपका दें। अब पेंसिल की छीलन को बप्पा के कान बनाकर चिपका दें और मुकुट की जगह भी इसे चिपका दें। आंखों की जगह तुअर की दाल के दो दाने लगा दें और दांतों की जगह चावल के दाने।
ऐसे करें विसर्जन गणपति बप्पा की
मूर्ति तैयार है, इसे सूखने के लिए छांव में ही रखें। इनका विसर्जन घर में ही किसी थाली में रखकर, मूर्ति पर पानी डालकर कर सकते हैं और इस पानी को पौधों में डाल सकते हैं, जो कि उनके भोजन का काम करेगा।