चुप थे तो चल रही थी जिंदगी लाजवाब… खामोशियां बोलने लगी तो बवाल हो गया…

0
138

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार) ) 

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने पहले सीबीआई को अपने राज्य में आपरेट करने की इजाजत यानि कंसेंट वापस ले लिया था और अब एनआईए के खिलाफ छग सरकार सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई है। सरकार के सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कानून, 2008 यानि एनआईए एक्ट को असंवैधानिक करने का अनुरोध सर्वोच्च न्यायालय से किया गया है ज्ञात रहे कि ऐसी करने वाली छत्तीसगढ़ पहली राज्य सरकार हैं।
छग की भूपेश बघेल सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा बनाये गये राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून को असंवैधानिक ठहराने की पहल शुरु की है। सूत्रों की माने तो जब इसका गठन किया गया था तब आतंकवादी गतिविधियां, मानव तस्करी तथा साईवर क्राईम को इसके दायरे में रखा गया था पर बाद में केंद्र में बनी मोदी सरकार ने इसका दायरा बढ़ा दिया है और यही विरोध का कारण बना है। छग सरकार ने केरल द्वारा संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दिये जाने के एक दिन बाद ही यह याचिका दायर की है। छग सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत ही यह वाद दायर किया है। अनुच्छेद 131 के अंतर्गत केन्द्र के साथ विवाद के मामले में राज्य सीधे उच्चतम न्यायालय में वाद दायर कर सकता है। राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून संविधान के अनुरूप नहीं है और संसद के विधायी अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं क्योंकि यह कानून राज्य पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच के लिए केंद्र एक जांच एजेंसी के सृजन का अधिकार देता है जबकि यह संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य का विषय है। यहां यह बताना भी जरूरी है कि इस कानून को यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार लेकर आई थी।
याचिका में छग सरकार की तरफ से कहा गया है कि मौजूदा स्वरूप में एनआईए न सिर्फ कानून के माध्यम से जांच कराने (राज्य सरकार) का अधिकार छीनता है बल्कि यह केंद्र को निरंकुश, स्वयं निर्णय लेने का मनमाना अधिकार देता है। याचिका में कहा गया है कि इन अधिकारों के इस्तेमाल के बारे में कोई नियम नहीं है जिसकी वजह से केंद्र को किसी भी समय कोई कारण बताये बगैर ही इसके अधिकारों के इस्तेमाल की छूट प्रदान करता है। ज्ञात रहे कि देश के सबसे बड़े राजनीतिक नक्सली झीरम हत्याकांड, विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड सहित नॉन मामले की जांच एनआईए ही कर रहा है।

सीबीआई पहले ही बैन…

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के बनते ही राज्य में सीबीआई को राज्य में आपरेट करने की इजाजत (कंसेंट) वापस पहले ही ले लिया है। इसके अनुसार राज्य में सीबीआई को बैनकर दिया है। इसके पहले आंध्रप्रदेश की पूर्व चंद्राबाबू नायडू सरकार तथा पश्चिम बंगाल की ममता बेनर्जी सरकार भी यह कदम उठा चुकी है।
छग सरकार ने उस समय केंद्र सरकार से कहा था कि राज्य के मामले सीबीआई को जांच के लिए न दिये जाएं। छग सरकार ने गृह मंत्रालय के कार्मिक जनशिकायत एवं पेंशन मामलों के मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय को पत्र भेजा था जिसमें उल्लेख था कि छग सरकार ने 2001 (अजीत जोगी सरकार के समय) राज्य के मामलों की जांच के लिए सीबीआई को जो सहमति दी थी वह वापस ली जाती है। छग सरकार सहमति के आधार पर सीबीआई को छग में जांच के लिए अधिकृत किया था। सरकार के सूत्रों की मानें तो किसी भी प्रकरण की जांच की अनुशंसा राज्य सरकार करती थी और उसी के आधार पर सीबीआई जांच कराई जा सकती थी सहमति वापस लेने का मतलब है कि सीबीआई राज्य में सीधे किसी भी मामले की जांच अब नहीं कर पाएगी। यहां यह बताना जरूरी है कि सीबीआई की स्थापना 1946 में दिल्ली स्पेशल पुलिस स्थापना एक्ट 1946 के जरिये हुई थी तब इसके दायरे में दिल्ली और बाकी केंद्र शासित राज्य आते थे लेकिन इस कानून के सेक्शन 6 के मुताबिक दूसरे किसी भी राज्य में कार्यवाही करने के लिए राज्य की लिखित इजाजत लेना अनिवार्य होता है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात सन 2001 में तत्कालीन जोगी सरकार ने सीबीआई को जनरल इजाजत दी थी उसे भूपेश सरकार ने वापस ले लिया है। इस फैसले के बाद सीबीआई केंद्र सरकार के अफसरों के खिलाफ तो कोई भी कार्यवाही कर सकती है पर यदि राज्य में सर्च करना है, छापा मारना है तो उसे राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी, अब छग सरकार की इजाजत वापसी के बाद सीबीआई राज्य में कोई जांच आपरेट नहीं कर पाएगी.

दो दाऊजी… एक बाबा..

छत्तीसगढ़ की राजनीति के केंद्र बिंदू भाजपा की पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह की सरकार में 2 बाबा तथा एक जोगी बने हुए थे पर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2 दाऊजी, एक बाबा राजनीति के केंद्र में है…। एक बाबा तथा एक जोगी अब कुछ नेपथ्य में नजर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ की डॉ. रमन सिंह सरकार की तीसरी पारी में चाऊंर वाले बाबा (डॉ.रमन सिंह) बाद में दारू वाले बाबा (सरकार द्वारा शराब बेचने के कारण) चर्चा में थे तो तब के नेता प्रतिपक्ष टीएस बाबा (वर्तमान में भूपेश सरकार के पावरफूल मंत्री) भी चर्चा में रहे। वहीं छग के पहले मुख्यमंत्री जोगी (अजीत जोगी) भी छग के केंद्र बिन्दू रहे थे। एक छोटे से गांव के निवासी डॉ. रमन सिंह, मोतीलाल वोरा को लोकसभा में पराजित कर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्यमंत्री बनकर फिर छग में 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहे, गरीबों को सस्ता चांवल योजना शुरू करने के कारण चाऊंर वाले बाबा के रूप में च्र्चित हुए थे पर पिछले विस चुनाव में भाजपा को केवल 15 (अब 14) विधानसभा में सफलता मिलने तथा हाल ही में सभी 10 नगर निगमों में भाजपा की पराजय के बाद कुछ नेपथ्य में चले गये हैं तो जोगी कांग्रेस का गठन करने वाले अजीत जोगी ने प्रदेश में तीसरी राजनीतिक शक्ति बनने का प्रयास तो किया पर उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिली, वे तथा उनके पुत्र कई विवादों में है।
छग की 15 सालों बाद 68 विधानसभा (उपचुनाव के बाद 69) सीटों पर जीत का परचम लहराने वाली कांग्रेस की सरकार बन गई है और रमन सरकार में नेता प्रतिपक्ष रहे टीएस बाबा छग में पावरफूल मंत्री बन गये वे मुख्यमंत्री बनते बनते रह गये। उनका नाम जरूर टीएस सिंहदेव है पर उनके साथ ‘बाबाÓ उपनाम जुड़ा है और क्षेत्र की जनता के साथ उनके परिचित इस राजा साहब को बाबा साहब ही कहते हैं। उन्हें बचपन से ही ‘बाबाÓ कहा जाता है। देश के सबसे अमीर विधायक/मंत्री के रूप में उनकी गिनती होती है। उन्हें राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता एमएम सिंहदेव अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके हैं तो माता देवेन्द्र कुमारी देवी प्रकाशचंद सेठी के मंत्रिमंडल में वित्त राज्यमंत्री तो अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में लघु सिंंचाई मंत्री भी रह चुकी हैं। वही बाबा की बहन आशादेवी हिमाचल मंत्रिमंडल की सदस्य रह चुकी हैं तथा कांग्रेस की पावरफूल नेत्री हैं।
छग की राजनीति में वर्तमान में दो दाऊजी चर्चा में है। बड़े दाऊजी तथा छोटे दाऊजी…। यह बात और है कि आजकल छोटे दाऊजी..। यह बात और है कि आजकल छोटे दाऊजी ही प्रदेश/देश में छाये हुए हैं हालांकि बड़े दाऊजी अनुभवी होने के साथ कांग्रेस की राजनीति में अच्छी जान-पहचान रखते हैं। छग की राजनीति में बड़े दाऊजी डॉ. चरणदास महंत है। उनके पिता बिसाहूदास महंत, अविभाजित म.प्र. के कांग्रेस अध्यक्ष के साथ कई विभागों के मंत्री रहे तो डॉ. चरणदास महंत अविभाजित म.प्र. में कई विभागों के मंत्री रहे, छग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे, डॉ. मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के सदस्य भी रहे और छग में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बनते बनते विधानसभा के अध्यक्ष बन गये, वहीं उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत सांसद भी बन चुकी हैं। डॉ. चरणदास महंत छग की वर्तमान राज्यपाल सुश्री अनसुइया उइके के साथ ही अविभाजित म.प्र. में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें अब केवल राज्यसभा सदस्य ही बनना बचा है।
इधर छग में छोटे दाऊजी के नाम से चर्चित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आजकल छाए हुए हैं। कभी दिग्विजय सिंह तथा अजीत जोगी के मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके भूपेश बघेल की राजनीतिक परिपक्वता तथा राजनीतिक शैली दोनों नेताओं की नजर भी आ रही है। कभी वे दिग्विजय स्टाईल में हंसी ठिठौली करते नजर आते हैं तो कभी अजीत जोगी की स्टाईल में कठोर तेवर भी दिखाने में पीछे नहीं रहते हैं। लगभग एक साल की सरकार में उनकी कार्यशैली मूलत: छत्तीसगढ़ी सरकार की परिलक्षित हो रही है। वे छत्तीसगढिय़ा मूल्यों, संस्कार को स्थापित करने पक्षधर हैं तो यहां के किसान, गरीबों के लिए केन्द्र से सीधे ठकराने में भी पीछे नहीं है। लोकसभा चुनाव में जरूर वे कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं दिला सके पर नगरीय निकाय विशेषकर 10 नगर निगमों में कांग्रेस का महापौर/सभापति बनवाना उनकी कार्यशैली तथा जनता के बीच उनके कार्यों की परीक्षा पर खरा उतरने का का परिचायक है। अफसरशाही पर भी उनका नियंत्रण लगभग ठीक -ठाक ही है।

और अब बस….

0 एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी के बाद यह स्पष्ट हो गया की सीएम की गुड बुक में आईएएस डी डी सिंह, कोमल सिद्धार्थ परदेसी भी हैँ.

0 फरवरी माह में प्रदेश का 28 वां जिला पेण्ड्रारोड अस्तित्व में आ जाएगा।

0 छग में भाजपा नेतृत्व के बदलने के संकेत अभी से मिल रहे हैं।