इंडियन नेवी ने चीन के जासूसी जहाजों को पकड़ा,विमान P-8I ने यह तस्वीरें ली,देखिए ..

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16 सितंबर 2019 ,नई दिल्ली।  भारतीय नौसेना ने चीन की चोरी को फिर पकड़ा है। नौसेना के P-8I ने दो चीनी युद्धपोतों को ट्रैक किया है। भारतीय नौसेना के P-8I जासूसी विमान ने दक्षिणी हिंद महासागर क्षेत्र में जासूसी कर रहे चीनी युद्धपोत जियान-32(Xian-32) को ट्रैक किया है। चीनी युद्धपोत जियान-32 की यह तस्वीर उस वक्त ली गई जब चीनी जहाज जियान 32(Xian-32) श्रीलंका की समुद्री सीमा में प्रवेश करने वाला था, नौसेना के निगरानी विमान P-8I ने यह तस्वीरें ली हैं।

ANI द्वारा एक्सेस की गई एक्सक्लूसिव तस्वीरों में चीनी लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक जियान-32(Xian-32) को इस महीने के शुरू में श्रीलंका की समुद्री सीमा पानी में प्रवेश करने से पहले दक्षिणी हिंद महासागर क्षेत्र से गुजरते हुए देखा जा सकता है।

चीनी जहाजों की निगरानी
वर्तमान में हिंद महासागर क्षेत्र(Indian Ocean Region) में चीन के सात युद्धुपोत तैनात है, जिनमें 27,000 टन से अधिक वजनी एक जहाज भी शामिल है। भारतीय नौसेना, पी -8 आई पनडुब्बी रोधी जंगी जासूसी विमानों और अन्य निगरानी वाले यंत्रों से चीन के इन जहाजों को ट्रैक करने का काम कर रही है। जिससे चीन की हर नापाक चाल का पता लगाया जा सके।

भारतीय नौसेना के P-8I पनडुब्बी रोधी युद्ध और निगरानी विमान ने तस्वीरों को क्लिक किया है, जो चीनी जहाजों की गतिविधियों पर लगातार नज़र रख रहे हैं। एलपीडी के अलावा, चीनी युद्धपोतों में काउंटर-पाइरेसी एस्कॉर्ट टास्क फोर्स के तीन-तीन पोत और काउंटर-पाइरेसी एस्कॉर्ट टास्क फोर्स 33 शामिल हैं। जो अदन की खाड़ी में तैनात हैं।

चीन की चालबाजी पर नजर
सूत्रों ने कहा है कि हिंद महासागर में चीनी जहाजों की मौजूदगी के दौरान उनपर लगातार नजर रखी जा रही है, खासकर तब जब वे भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र और क्षेत्रीय जल के करीब से गुजरते हैं। सूत्रों ने बताया कि चीनी नौसेना ने अदन की खाड़ी में एंटी-पायरेसी ड्रिल को अंजाम देने के नाम पर इस समुद्री इलाके में लगभग छह से सात युद्धपोतों की तैनाती की है लेकिन वहां की आवश्यकताओं को देखते हुए चीन की ये तैनाती जरूरत से ज्यादा लगती है।

सूत्रों ने कहा कि चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PMLA) की नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी शक्ति दिखा रही है, क्योंकि वे इस खास इलाके में अपना प्रभाव फैलाना चाहते हैं जहां से उनका अधिकांश व्यापार हो रहा है।