काम की खबर: भारतीय रेलवे ने टिकट बुकिंग और कन्फर्म सीट को लेकर उठाये ये 5 बड़े कदम, आप भी जानिये..

0
91

03 सितंबर 2019, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में हर रोज लाखों लोग सफर करते हैं और ऐसे में ट्रेन का कन्फर्म टिकट पाना कुछ लोगों के लिए काफी मुश्किल भरा हो जाता है। खासकर गर्मी की छुट्टियों और त्यौहारी सीजन में तो टिकट को लेकर लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि यात्रियों की सुविधा और टिकट बुकिंग को आसान बनाने के लिए रेलवे लगातार प्रभावी कदम उठाता रहता है। इस दिशा में भारतीय रेलवे ने ट्रेन निकलने की तारीख से 120 दिन पहले एडवांस बुकिंग खोलने के अलावा कन्फर्म सीट मिलने की संभावना बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। आइए जानते हैं रेलवे के वो पांच अहम कदम, जिनसे यात्रियों की यात्रा आसान हुई है।

1:- प्रीमियम ट्रेनों में हैंड-हेल्ड टर्मिनल

भारतीय रेलवे ने शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस जैसी अपनी प्रीमियम ट्रेनों में हैंड-हेल्ड टर्मिनल का कॉन्सेप्ट शुरू किया है। हैंड-हेल्ड टर्मिनल एक जीपीएस युक्त मिनी टैबलेट जैसी डिवाइस है, जो टीटीई को चलती हुई ट्रेन में सीटों की रियल-टाइम उपलब्धता को अपडेट करने के लिए दिया जाता है। इससे जहां यात्रियों को बाद के स्टेशनों से कन्फर्म सीट या बर्थ वाली ट्रेनों में सवार होने में मदद मिलती है, वहीं वेटिंग और आरएसी यात्रियों के लिए भी ये काफी मददगार है। हैंड-हेल्ड टर्मिनल की मदद से टीटीई को चलती हुई ट्रेन में टिकटों की जांच करते समय यह जानकारी मिल जाती है कि किस रिजर्व सीट पर कोई यात्री यात्रा नहीं कर रहा है। बर्थ की स्थिति टैबलेट डिवाइस पर अपडेट की जाती है और बर्थ को किसी वेटिंग या आरएसी यात्री को दे दिया जाता है।

2:- सार्वजनिक हुआ रिजर्वेशन चार्ट

एयरलाइंस स्टाइल पर चलते हुए भारतीय रेलवे ने हाल ही में अपने रिजर्वेशन चार्ट को सार्वजनिक करने का फैसला लिया है। इससे रेलवे चार्ट तैयार होने के बाद खाली बर्थ की स्थिति पता चल जाती है और यात्रियों को ज्यादा विकल्प मिल जाते हैं। यात्रियों के लिए पहला चार्ट ट्रेन के छूटने से 4 घंटे पहले ऑनलाइन हो जाता है, जबकि दूसरा चार्ट ट्रेन छूटने से 30 मिनट पहले उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा सभी श्रेणियों में ट्रेन के डिब्बों का लेआउट भी दिखाई देता है। यात्रियों के लिए इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि टीटीई अब विशेष आधार पर सीटों की उपलब्धता से इनकार नहीं कर सकता है।

3:- बॉयोमीट्रिक लिंकिंग

एक अनारक्षित कोच में सीट हासिल करना यात्रियों के लिए काफी परेशानी भरा होता है। यात्रियों की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने एक प्रयोग के आधार पर पश्चिमी रेलवे जोन के तहत एक नया बायोमेट्रिक सिस्टम लॉन्च किया है। रेलवे ने यह कदम खास तौर पर अनारक्षित कोचों में असामाजिक तत्वों द्वारा सीटों पर कब्जे की शिकायतें मिलने के बाद उठाया है। अब बायोमेट्रिक सिस्टम के तहत जनरल क्लास के टिकट खरीदने वाले यात्रियों को अपना फिंगरप्रिंट स्कैन करवाना होगा। इससे एक टोकन जैनरेट होगा, जिसे यात्रियों को ट्रेन में चढ़ते वक्त बॉयोमीट्रिक वेरिफिकेशन के दौरान आरपीएफ स्टाफ को दिखाना होगा। चूंकि ज्यादातर ट्रेनें अपने स्टेशन से छूटने के कुछ मिनट पहले ही प्लेटफॉर्म पर आती हैं, इसलिए इससे भगदड़ जैसी स्थिति से भी बचने में मदद मिलेगी।

4:- सीएनएफ प्रोबेबिलिटी की सुविधा

भारतीय रेलवे ने पिछले साल आईआरसीटीसी वेब पोर्टल को अपग्रेड करने के साथ ही सीएनएफ संभावना नामक एक नई सुविधा शुरू की थी। इस फीचर से यात्रियों को ट्रेन टिकट के कन्फर्मेशन का पूर्वानुमान लग जाता है, जिससे कन्फर्म सीट मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है। सीएनएफ संभावना चेक करने के लिए पहले आप अपने आईआरसीटीसी अकाउंट में लॉगिन करें और फिर आने-जाने के स्टेशन के साथ ही यात्रा की तारीख समेत बाकी डिटेल भरें। अब ‘फाइंड ट्रेन्स’ ऑप्शन पर क्लिक करें, जिसके बाद ट्रेनों की एक सूची आपके सामने आ जाएगी। इसमें से अपनी ट्रेन चुनें और इसके बाद ‘चेक अवेलेबिलिटी एंड फेयर’ पर क्लिक करें। अगर इसमें कोई सीट उपलब्ध ना दिखाए तो ‘सीएनएफ प्रोबेबिलिटी’ पर क्लिक करें। अगर कन्फर्म टिकट की संभावना कम है, तो यात्री दूसरी ट्रेन या यात्रा की तारीख चुन सकते हैं। इसके अलावा यात्री ‘विकल्प’ योजना को भी चुन सकते हैं जो एक वैकल्पिक ट्रेन में सीट दिलाने में मदद करती है।

5:- पीएनआर लिंकिंग

यात्रियों की ट्रेन यात्रा को ज्यादा आसान और बेहतर बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने एक बड़े कदम के तहत पीएनआर लिंकिंग की सुविधा शुरू की है। अब यात्री अपनी ट्रेन यात्राओं को कनेक्ट करने के लिए दो पीएनआर आपस में लिंक कर सकते हैं। नए नियम के मुताबिक यदि कोई यात्री टिकट के साथ यात्रा कर रहा है, (भले ही उसका रिजर्वेशन हो या ना हो) और अगर पहली ट्रेन के लेट पहुंचने के कारण उसकी दूसरी ट्रेन छूट जाती है, तो यात्रा किए गए हिस्से का किराया बरकरार रहता है और बाकी बची हुई रकम रिफंड के तौर पर वापस कर दी जाती है।