कहीं बदलापुर की राजनीति तो नहीं चल रही है छुरा थाना के इलाके में! 5 दिन के अंदर छुरा थाना में 6 लोगों के खिलाफ एट्रोसिटीज का मामला हुआ दर्ज… वायरल ऑडियो का तो बदला नहीं… पर्दे के पीछे से कौन खेल रहा है पूरा खेल… जानिए सच….

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गरियाबंद@परमेश्वर कुमार साहू (छुरा)। अगर हम इतिहास में झांक कर देखें तो पता चलता है कि भारतीय पुलिस आज भी 1861 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए पुलिस अधिनियम के माध्यम से संचालित होती है। पुलिस प्रशासन का मूल काम समाज में अपराध को रोकना और कानून व्यवस्था को कायम रखना है। ब्रिटिश हुकूमत ने 1861 के पुलिस अधिनियम का निर्माण दरअसल भारतीयों के दमन और शोषण के मूल उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए किया था। इसलिए दमनकारी और शोषणकारी पुलिस अधिनियम की राह पर चलने वाली पुलिस व्यवस्था से स्वच्छ छवि की उम्मीद कैसी की जा सकती है? सच यह है कि इसी कारण से समाज में पुलिस का चेहरा बदनाम हुआ है।

गरियाबंद जिला में छुरा थाना हमेशा से ही सुर्खियों में रहने वाला थाना है। लगता है मानो विवादों का इस थाना का चोली दामन का रिश्ता है पिछले दिनों महिला कमांडो एवं फर्जी पत्रकार का समाचार छत्तीसगढ़ वॉच अखबार ने प्रकाशित किया था। जिसमें वायरल वीडियो से यह भी स्पस्ट हो रहा है कि इस वसूली के मामले में स्पस्ट रूप से एक सख्श द्वारा अपने आपको आई एन एच का पत्रकार बताते हुए अपनी आपको छुरा थाना प्रभारी से सीधे लेनदेन करवाने के साथ महिला कमांडो और आई एन एच के पत्रकार को महीना बांधकर किसी भी प्रकार के अवैध कारोबार का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इस सम्बंध में जब छतीसगढ़ वाच के पत्रकार ने पीड़ित परिवार ने पूरे मामले को लेकर लिखित शिकायत छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, छतीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक डी एम अवस्थी, कृष्ण कुमार वर्मा थाना प्रभारी को आवेदन सौंप कर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई है। अगर पूरा मामले की पड़ताल पूरी बारीकी से किया जाए तो क्षेत्र के कई ऎसे चेहरे बेनकाब हो जाएंगे जो क्षेत्र में विभाग के एजेंट की तरह कार्य कर रहे है। इस पूरे मामले को लेकर दोनों गाँव के वरिष्ठ लोगों ने ग्राम में बैठक रख ग्राम में गठित सारे 45 महिला कमांडो को बुलाया गया। मगर वसूली में लिप्त कमांडो और साथ मे फर्जी पत्रकार को छोड़कर बाकी महिला कमांडो बैठक में पहुंची और सारी घटना की जानकारी ग्राम वासियों को दी। जिसपर ग्रामीणों द्वारा फिर ग्राम के कोटवार से ग्राम काम बंद रख कर सभी लोगों को ग्राम मीटिंग में उपस्थित होने के लिए कहा गया। साथ ही छुरा थाना प्रभारी को भी मीटिंग में बुलाया गया लेकिन न तो थानेदार साहब आये न ही उनकी महिला कमांडो की वसूली टीम पहुंची। तब ग्राम बैठक में उपस्थित लोगों ने ग्राम में ही रहने वाली छत्तीसगढ़ वॉच की महिला पत्रकार को सारी घटना की जानकारी गरियाबंद जिले के पुलिस अधीक्षक एम आर आहिरे को दूरभाष पर देने को कहने पर महिला पत्रकार यामिनी चन्द्राकर द्वारा अपने मोबाइल से गरियाबंद एस पी को फोन लगाकर बताने पर उल्टे गरियाबंद एस पी ने महिला पत्रकार को धमकी भरे लहजे में धमकी देते हुए कहा गया की बेकार की बात मत करो महिला कमांडो सारे लोग यहां पे आये थे। समझ गए ज्यादा होशियारी गिरी मत झाड़ पुलिस जांच कर रही है इसमें गाँव वालों को भड़का के नेतागिरी करोगे तो दिक्कत में आ जाओगे। समझे बोलकर फोन काट दिए। अब यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि क्या जिला पुलिस विभाग के सबसे बड़े अधिकारी को एक महिला पत्रकार से कैसी बात करनी चाहिए ? पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा महिला पत्रकार को दी गई धमकी के 2 दिन बाद ही महिला पत्रकार पर एट्रोसिटीज का मामला दर्ज होंना इस बात को भी स्पस्ट करता है कि साहब सिर्फ धमकी नही देते जो बोलते है वो करते भी है।

यहां पर ये बताना लाजमी होगा कि छत्तीसगढ़ शासन गृह (पुलिस) विभाग, मंत्रालय, महानदी भवन, नया रायपुर.परिपत्र: 158 /सी-शाखा/2016,नया रायपुर, दिनांक 6 4/2/2016 में पत्रकारों पर होने वाले ज्यादातियों को रोकने तथा उनके विरूद्ध चल रहे आपराधिक प्रकरणों का उच्च स्तरीय पुनरावलोकन। प्रदेश में समय-समय पर पत्रकारों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने या गिरफ्तार करने की स्थिति में पत्रकारिता की स्वतंत्रता के मुद्दे पर सवाल उठते हैं शासन को कई बार इस प्रकार की शिकायतें भी प्राप्त होती है, कि किसी पत्रकार पर पुलिसकर्मियों द्वारा ज्यादती की गई है या उनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दुर्भावनावश कायम किया गया है।

(2) दिनांक 24 दिसंबर 1986 को जारी परिपत्र के तहत इस पर अंकुश लगाने हेतु कार्यवाही की गई थी, जिसे पुनः पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ द्वारा दिनांक 03.02.2006 को जारी कर पालन करने हेतु सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया गया था। पूर्व में मध्य प्रदेश शासन गृह पुलिस विभाग, कमांक 5911/8079/86/ उपरोक्त परिपत्र में दी गई व्यवस्था निम्नानुसार है जो यथावत् लागू रहेगी।

(अ)कर पुलिस मुख्यालय में कार्यरत उप पुलिस महानिरीक्षक (शिकायत) को भेजेंगे। संचालक, जनसंपर्क विभाग से प्राप्त हुये प्रकरणों में पुलिस मुख्यालय द्वारा आवश्यक कार्यवाही किये जाने के पश्चात इसकी सूचना संचालक, जनसंपर्क विभाग को देगें तथा प्रतिलिपि गृह विभाग को अंकित करेंगे। पत्रकारों पर ज्यादतियों होने की शिकायतों को संचालक, जनसंपर्क विभाग एकत्रित

(ब)जहां तक पत्रकारों के विरुद्ध कोई प्रकरण कायम किये जाने का प्रश्न है, इस संबंध में राज्य शासन ने यह निर्णय लिया है कि यदि किसी भी [चाहे वह अभिस्वीकृत पत्र प्रतिनिधि (accredited press correspondent) हो या न हो] के विरूद्ध कोई प्रकरण कायम किया जाता है तो उन प्रकरणों में चालान किये जाने के पूर्व प्रकरणों पर उपलब्ध साक्ष्य की समीक्षा संबधित पुलिस अधीक्षक एवं क्षेत्रीय उप पुलिस महानिरीक्षक कर लें और स्वयं को आश्वस्त कर ले कि कोई भी प्रकरण दुर्भावनावश या तकनीकी किस्म के स्थापित न किये जाये यदि उप महानिरीक्षक के मत में कोई प्रकरण दुर्भावनावश कायम किया गया पाया जाये तो तत्काल उनको समाप्त करने के निर्देष दिये जावे और संबंधित पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जावे यगैर समीक्षा किये हुये प्रकरणों का चालान न्यायालय में प्रस्तुत न किया जावें प्रत्येक तिमाही में क्षेत्रीय उप पुलिस महानिरीक्षक इस प्रकार के प्रकरणों की समीक्षा करके महानिदेशक पुलिस को सूचना भेजेंगे और पुलिस महानिदेशक से यह सूचना गृह विभाग को भेजी जाएगी। किंतु यहा पर गरियाबंद पुलिस प्रशासन द्वारा छत्तीसगढ़ शासन गृह(पुलिस) विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर के परिपत्र का पालन नही करते हुए अपनी बदलापुर की राजनीति रोटी सेकी जा रही है जो आज पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। इन सारे कारनामो को लेकर गाव का माहौल खराब हो चुका है जिसके चलते ग्राम के लगभग 35 महिला कमांडो ने अब महिला कमांडो से हटने का निर्णय लिया है और साथ ही पूरे मामले को लेकर ग्राम मोंगरा और ग्राम दादरगाव पुराना के ग्रामीण आज शनिवार को राजधनी पहुचकर गृह मंत्री से मुलाकात कर सारी घटना की शिकायत करने की बात कही है।

चार्ज लेते ही बोले थे महानिदेशक

छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने दावा किया था कि उनके नेतृत्व में खाकी अपनी पुरानी छवि सुधारकर लोगों का भरोसा जीतेगी। उन्होंने कहा ये भी कहा था कि लोगों का भरोसा जीतकर पुलिसिंग को सफल बनाने के लिए पुलिस को अपनी छवि बदलनी होगी।पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढ़ाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा व समय और परिस्थितियों के अनुसार पुलिसिंग में कसावट लाएंगे। साथ ही पुलिस कर्मियों की भावनाओं का भी ख्याल रखेंगे एवम पुलिस महकमा राज्य सरकार की मंशा के मुताबिक ही काम करेगी। उसके अनुसार ही आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। प्रयास रहेगा कि अपराधियों में पुलिस का खौफ हो और जनता में भरोसा जगे। खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने ये भी कहा था कि वे एक मददगार अफसर के रूप में 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे। उनकी कोशिश होगी कि कानून का उल्लंघन करने वालों को माफ न किया जाए।किन्तु पुलिस विभाग गरियाबंद के छुरा थाना में पदस्थ थानेदार कृष्ण कुमार वर्मा की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग चुका है जो कि सरकार और पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है और अपनी निजी दुश्मनी भुनाने सारे नियमों को तक पर रखकर पत्रकार व ग्राम प्रमुखों तक पर गलत तरीके से रिपोर्ट दर्ज कर प्रकरण तैयार कर रहे है जिससे छुरा क्षेत्र में पुलिस की छवि धूमिल हो रही है।