दुर्ग, 14 जून 2019। नरूवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी ऐसी योजना है जिसमें पुरखों के ज्ञान की विरासत है और यह परंपरा के रूप में मिली है, आप लोगों के साथ बैठने से आपके समृद्ध विचारों का लाभ मिलता है और हम इस योजना में और भी उपयोगी बातें सम्मिलित करते हैं। यह बात मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा ने पाटन और दुर्ग ब्लाक के माडल गौठान का निरीक्षण करने के दौरान ग्रामीणों से चर्चा करते हुए कही। इस दौरान राज्य योजना आयोग के सदस्य के. सुब्रमणियम एवं कलेक्टर अंकित आनंद भी मौजूद थे। माडल गौठान में दरी बिछाई गई और देर तक किसानों के बीच योजना के बेहतर क्रियान्वयन के संबंध में बातें हुईं। दोनों ओर से अनुभव साझा किए गए। निष्कर्ष यह निकला कि पुरखों का अनुभव और कृषि तथा पशुपालन की आधुनिक समझ को साथ में क्रियान्वित करते हुए ऐसा माडल गौठान तैयार कर लिया जाए जो पूरे गांव की तकदीर बदल दे। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र ठाकुर भी उपस्थित थे।
छोटी-छोटी बातों पर विस्तार से दी जानकारी
माडल गौठानों के निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने चारागाह में नेपियर बरसीम आदि लगाने के निर्देश दिए। चारागाह में उचित जल निकासी के निर्देश दिए। इस बात की आशंका को देखते हुए कि चारागाह फसल क्षेत्र में कन्हार मिट्टी होने की वजह से कीचड़ फैल सकता है, यहां पर मुरूमीकरण के निर्देश दिए गए। अधिकारियों ने ग्रामीणों से कहा कि गौठान आपका है। आप सबको मिलकर इसे चलाना है। सहभागिता से बड़ी सफलता मिलती है।
तकनीकी निर्देश भी
गौठान के सीपीटी बंड में तिल, राहर की फसलें एवं सुबबूल के पौधे के रोपण के निर्देश दिए गए। रोपित पौधों को सपोर्ट देने बांस की व्यवस्था करने की बात कही गई। चारा वाले मचान को जीआई तार से मजबूती से बांधने के निर्देश दिए गए। गौठान में वर्मी बेड में छ्नी व शेड वाली मशीन लगाने के निर्देश दिए गए। गौठान में जल निकास के लिए ड्रेनेज चैनल बनाने के निर्देश दिए गए।
रूरल इंडस्ट्रियल पार्क पर हो काम
अधिकारियों ने कहा कि गांव की तकदीर बदलने ग्रामोद्योग को बढ़ावा देना भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए पाहंदा में रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के लिए शेड तैयार करने हेतु निर्देश दिए। किस तरह के ग्रामोद्योग पनप सकते हैं इस पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
ग्रामीणों ने कहा, खूब करेंगे मेहनत
ग्रामीणों ने बताया कि योजना का क्रियान्वयन जिस तरह से हो रहा है। वे काफी खुश हैं। पशुधन संवर्धन के लिए इससे विशेष मदद मिलेगी। चारागाह विकसित होने से जानवरों के चारागाह के लिए विशेष व्यवस्था हो जाएगी। गोबर खाद से भूमि की ऊर्वरा शक्ति बनी रहेगी। अधिकारियों ने बताया कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित होगी और न्यूनतम निवेश में प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रबंधन से अधिकतम आर्थिक लाभ के अवसर उपलब्ध कराएगी।