अब गलत जानकारी देकर टैक्स चोरी नहीं कर सकेंगे, फॉर्म-16 में किए कई जरूरी बदलाव, आप देते हैं टैक्स तो जानिए क्या हुए बदलाव, एक्सपर्ट सीए पीयूष जैन बता रहे नए नियम…

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20 अप्रैल 2019 भिलाई। भिलाई सहित कई जगहों पर कर्मचारियों द्वारा आय का गलत ब्यौरा देकर टैक्सचोरी के कई मामले सामने आए। इस तरह के फ्रॉड के बाद आयकर विभाग ने फॉर्म 16 में कई बदलाव किये गये। जिसमें वेतन के अलावा भत्तों और अन्य स्त्रोंतों से आय की जानकारी भी देनी होगी। सीए भिलाई ब्रांच के पूर्व चेयरमेन सीए पियूष जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ वर्षों पूर्व भिलाई के सेक्टर 10 स्थित एक कर सलाहकार के यहाँ रेड कर आयकर विभाग ने बड़े पैमाने में आयकर चोरी का भंडाफोड़ किया था और 5000 से ज्यादा BSP एवं सरकारी कर्मचारियों को नोटिस भेज उनका केस खोला था। ऐसे ही कई मामले भिलाई के बाद पूरे भारत में सामने आये जहां आयकर विभाग ने पाया कि करचोरी में सभी जगह एक जैसा ही तरीका अपनाया गया। जिसमें नियोक्ता द्वारा फॉर्म 16 की जानकारी को कम दर्शा कर या अन्य स्रोतों से आय छुपाया गया था या बिना बचत के सबूत के आयकर विवरणी में बचत की छूट ली गयी थी। इन्हीं सब बिंदुओं को संज्ञान में लेकर अब आयकर विभाग ने फॉर्म-16 के फॉर्मेट में काफी ज्यादा बदलाव किया है। सीए पियूष जैन ने बताया कि यह फॉर्म जारी करने वाले (नियोक्ता/employer) को अब इसमें कर्मचारी के बारे में ज्यादा जानकारियां देनी होंगी। कर्मचारी को उसकी प्रॉपर्टी से हुई कमाई जैसे किराया आदि, उसे दूसरे नियोक्ताओं (यदि साल में एक से ज्यादा जगह नौकरी की हो तो) की ओर से मिले भुगतान की डिटेल अब फॉर्म-16 में दी जाएगी। अन्य स्रोतों से आय जैसे ब्याज, डिविडेंड, खेती से आय आदि की जानकारी भी अब कर्मचारियों को डिक्लेरेशन के माध्यम से नियोक्ता को देनी होगी और सभी आय को संज्ञान में लेकर नियोक्ता कर की गणना कर  सैलरी से कटौती कर सकेगा साथ ही फॉर्म 16 में इसकी विस्तृत जानकारी दे सकेगा।इससे आयकर विभाग को टैक्स चोरी की जांच में मदद मिलेगी।

अब नियोक्ता को सैलरी में से किस मद में कितनी कटौती हुई, यह बताना पड़ेगाश्री जैन ने बताया कि नए फॉर्म-16 में अलग-अलग टैक्स सेविंग्स स्कीम के तहत किए गए निवेश, उससे जुड़ी कटौतियां, कर्मचारी को मिले अलग-अलग भत्तों और दूसरे स्त्रोतों से हुई आय का ब्यौरा भी शामिल होगा। साथ ही धारा 80C से लेकर 80U तक हर धारा में ली गयी छूट को अलग से दर्शाना होगा। साथ ही स्टैण्डर्ड डिडक्शन की छूट भी नियोक्ता को फॉर्म 16 में अलग से देनी होगी। 

आयकर विभाग द्वारा संशोधित फॉर्म-16 इसी साल 12 मई से प्रभावी हो जाएगा। यानी वित्त वर्ष 2018-19 का रिटर्न संशोधित फॉर्म के आधार पर भी भरना होगा। इससे कई नियोक्ताओं को परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है क्योंकि सभी ने पिछले वर्ष तक उस समय के लागू कानूनानुसार सैलरी की गणना और डिक्लेरेशन को लिया था तथा खुद का सॉफ्टवेयर आदि भी उसी आधार पर बनवाया था। अब नए नियम के हिसाब से सॉफ्टवेयर आदि में बदलाव भी करना पड़ सकता है। फॉर्म 16 आयकर की धारा 203 के प्रावधानों के अनुसार दिया जाता है इसलिए इसमें की गई गलती पर विभाग द्वारा पेनलटी लगाई जा सकती है।सभी नियोक्ता(सरकारी, गैर सरकारी आदि) अपने कर्मचारियों के लिए वित्त वर्ष खत्म होने के बाद फॉर्म-16 जारी करते हैं। इसलिए यह नियम अब सभी के लिए एक समान लागू होगा तो सरकारी विभागों को ज्यादा सतर्कतापूर्वक फॉर्म 16 बनाना होगा। इसमें कर्मचारियों के टीडीएस की जानकारी होती है। फॉर्म-16 के आधार पर ही कर्मचारी अपना आयकर रिटर्न भरते हैं। नियोक्ता आमतौर पर जून में फॉर्म-16 जारी करते हैं।

फॉर्म-16 में बदलाव का असर क्या होगा ?भिलाई सीए शाखा के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ सीए पीयूष जैन के मुताबिक रिटर्न फाइलिंग के स्टैंडर्डाइजेशन के लिए फॉर्म-16 में बदलाव किया गया है। कई बार फॉर्म-16 और रिटर्न फाइलिंग के आंकड़ों में फर्क देखा जाता है। लेकिन, फॉर्म-16 में कर्मचारी के निवेश और आय की सभी जानकारियां होंगी तो ऐसा नहीं होगा। अब कर्मचारियों पर अतिरिक्त जिम्मेदारी होगी कि नियोक्ता को अपनी आय की सही जानकारी दे इससे कर चोरी भी बचेगी साथ ही यदि कर्मचारी अपने सर्विस नियम के अतिरिक्त कुछ कार्य कर रहा है आय के लिए तो वह भी नियोक्ताओं को पता चल जाएगा।

  • जिन अलाउंस पर टैक्स छूट मिलती है वो मिलती रहेगी लेकिन नियोक्ता को सभी मदों में की जाने वाली कटौती का पूरा ब्यौरा फॉर्म-16 में देना होगा। जैन के मुताबिक इन अलाउंस पर टैक्स छूट मिलती है- 
  • • डेली अलाउंस• ट्रैवलिंग • कन्वेंस• हेल्पर• एकेडमिक • यूनिफॉर्मसवाल- सीटीसी के अलावा दूसरे भत्ते जैसे मोबाइल का अलाउंस आदि टैक्सेबल इनकम में माने जाएंगे ? एक्सपर्ट का जवाब- मोबाइल अलाउंस पर टैक्स छूट नहीं मिलती, जिन अलाउंस पर छूट मिलती है उन्हीं को क्लेम कर पाएंगे
  • सवाल- कर्मचारी ने टैक्स में छूट लेने के लिए 1 लाख रुपए का निवेश किया लेकिन नियोक्ता को फाइनल डिक्लेरेशन देने के वक्त 70 हजार के सूबत पेश कर पाया तो क्या रिटर्न फाइल करते वक्त बाकी 30 हजार पर क्लेम कर पाएगा?एक्सपर्ट का जवाब- कर्मचारी पहले की तरह अब भी ऐसा कर सकेंगे। निवेश वास्तविक होना चाहिए। जांच के दायरे में आए तो आयकर विभाग सबूत मांग सकता है।

फॉर्म 24 क्यू में भी बदलावनियोक्ता आयकर विभाग को यह फॉर्म देता है। इसमें अब उन गैर-संस्थागत इकाइयों का पैन नंबर भी बताना होगा जहां से कर्मचारी ने घर खरीदने या बनाने के लिए लोन लिया है।

31 जुलाई तक रिटर्न फाइल करना हैइनकम टैक्स विभाग वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म नोटिफाई कर चुका है। सैलरीड के अलावा ऐसे लोग जिनके खातों का ऑडिट नहीं होना है उन्हें 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल करना है। अन्यथा पेनाल्टी आदि की कार्यवाही विभाग द्वारा की जाएगी। फॉर्म 16 और कर्मचरी/करदाता द्वारा जमा आयकर विवरणी(रिटर्न्स) को आयकर विभाग द्वारा सॉफ्टवेयर के माध्यम से मिलान किया जाएगा और अंतर पाए जाने पर या अनुचित टीडीएस रिफंड लिए जाने पर विभाग द्वारा केस स्क्रूटनी के लिए खोला जा सकेगा साथ ही कर चोरी जानकारी छुपाया पाए जाने पर पेनलटी आदि की कार्यवाही की जा सकेगी।

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