बरसों से कांले झंडे को सलाम करने वाले नक्सली अब स्वतंत्रता दिवस पर फहराएंगे तिरंगा.. प्रशासन तैयारियों में जुटी..

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12 अगस्त 2019, दंतेवाड़ा। बरसों से जंगलों में भटकते काले झंडे को सलाम करने वाले नक्‍सली स्‍वतंत्रता दिवस पर तिरंगा लहराएंगे। इतना ही मुख्‍य समारोह में सबके सामने परेड के बाद राष्‍ट्रीय ध्‍वज को सलामी देंगे। इसके लिए वे पूरी तन्‍मयता से तैयारी में जुटे हैं। हाइस्‍कूल मैदान के परेड रिहर्सल में रोज पहुंचकर शामिल हो रहे हैं। उनका कहना है कि संगठन में कभी हम तिरंगा उतारकर काला झंडा फहराते थे।

तब नक्‍सली लीडर हमें गुलाम बताते थे, लेकिन काला झंडा धोखा है। असल आजादी तो तिरंगे के नीचे है। यहां किसी तरह का भय नहीं, सब भाईचारे के साथ रहते हैं। स्‍वतंत्रता दिवस के मुख्‍य समारोह में इस बार स्‍कूली बच्‍चे और फोर्स के साथ नक्‍सली कॉडर के जवान भी शामिल हो रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें पांच महिलाएं भी शामिल हैं। परेड और तिरंगे की सलामी को लेकर इनमें गजब का उत्‍साह है। वे कहती है कि भोले- भाले ग्रामीणों को गुमराह कर नक्‍सली लाल- काला झंडा थामने मजबूर करते हैं।

स्‍वतंत्रता दिवस 15 अगस्‍त पर यूं तो पूरे में देशभक्ति का जलवा रहता है, लेकिन इस बार छत्‍तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में अलग उत्‍साह नजर आ रहा है। इनमें पुलिस विभाग का परेड खास रहेगा। देश में यह पहला मौका होगा जब जिले के मुख्‍य समारोह में तिरंगे को अन्‍य जवानों के साथ आत्‍मसमर्पित नक्‍सली भी सलामी देंगे। इसके लिए वे अधिकारियों से दिशा निर्देश लेकर मैदान पसीना बहा रहे हैं।

परेड की खास बात यह भी है कि पहली बार जिले में परेड का कमान महिला अधिकारी डीएसपी दिनेश्‍वरी नंद और टूआईसी के तौर पर एएसआई अनिता मेश्राम कर रही हैं। वहीं परेड में सबसे पहले महिला कमांडोज ही नजर आएंगी। डीआरजी की महिला कमांडोज के साथ जिला बल और सीआरपीएफ बस्‍तर बटालियन की युवतियों के साथ अन्‍य जवान कदमताल मिलाएंगे।

साल भर पहले नक्‍सल पंथ से तौबा कर समाज की मुख्‍यधारा में जुड़ने के लिए परेड में शामिल होकर खुद का धन्‍य होना बताती हैं। उनका कहना है नक्‍सल संगठन में गोली चलाना, बेगुनाहों के साथ मारपीट करना और हमें गुलाम बताते काला झंडा फहराने कहा गया था। लेकिन हकीकत ऐसा नहीं है।

असल में नक्‍सलियों का काला झंडा एक धोखा है। सही मायने में जिंदगी राष्‍ट्रीय ध्‍वज के नीचे ही है। जिंदगी का उजाला तिरंगे के सम्‍मान और उसके आसमां में लहराना ही है। काला और लाल झंडा लेकर हम जंगल में छिपते- घुमते जिंदगी काट रहे हैं। यहां स्‍वतंत्रता है, आजादी है। जंगल में भटकते कभी परिवार के पास वक्‍त नहीं गुजारा। तिरंगे के नीचे आकर परिवार और समाज के साथ सुकुन भरी जिंदगी मिली है।

पुरूषों से कम नहीं, डीआरजी की महिला कमांडोज

डीएसपी व परेड कमांडर दिनेश्‍वरी नंद ने बताया कि जिले में डीआरजी की महिला विंग तैयार करने के बाद पुलिस का कई सफलताएं मिली है। स्‍वतंत्रता दिवस के मुख्‍य समारोह की परेड में शामिल होकर सलामी देंगी। इनमें सरेंडर कॉडर की महिलाएं भी शामिल हैं। महिला कमांडोज की युवतियां अब रोड ओपनिंग, सर्चिंग और आपरेशन पर निकल रही हैं। ये पुरूष जवानों के साथ पैदल ही नहीं बाइक और साइकिल पर भी सवारी कर बीहड़ों में नक्‍सलियों को पस्‍त कर रही हैं। पिछले छह माह में एक दर्जन से अधिक इनामी नक्‍सलियों को मुठभेड़ में मार गिराने, गिरफ्तार करने सहित उन्‍हें समर्पण के लिए मजबूर करने में इनका महत्‍वपूर्ण रोल रहा है।

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