हर रोज निकल आते हैं नये पत्ते.. यादों के दरख्तों मे क्यूं पतझड़ नहीं होते…

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वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय की कलम से

किसी भी आईपीएस का सपना होता है कि वह डीजीपी बने, सीआरपीएफ, बीएसएफ का डीजी, पुलिस अकादमी हैदराबाद का डायरेक्टर बने तो यह तो सपने सच होने जैसा है। वैसे पहले सीबीआई का डायरेक्टर भी बनना बड़ी बात थी पर कुछ वर्षों से इस पद पर राजनीति प्रभावी हो गई है। बहरहाल पुलिस अकादमी के संचालक, सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) तथा सीबीआई के संचालक पद पर तीन आईपीएस अफसर पदस्थ हो चुके हैं जिनका छत्तीसगढ़ से करीबी नाता रहा है।

छत्तीसगढ़ कॉडर के राजीव माथुर छत्तीसगढ़ के डीजीपी तो नहीं बन सके पर पुलिस अकादमी हैदराबाद में संचालक पद से सेवानिवृत्त हुए। वहीं छग (तब म.प्र.)में अपने आईपीएस प्रशिक्षण लेकर यातायात विभाग के डीएसपी का पदभार सम्हालने वाले ऋषि कुमार शुक्ला बाद में अलग राज्य बनने केबाद म.प्र. के डीजीपी भी बने तथा वर्तमान में सीबीआई के संचालक पद पर एक फरवरी 19 से कार्यरत हैं और 2 साल इस पद पर रहेंगे। वहीं 84 बैच के आईपीएस तथा 87-88 में रायपुर में एडीशनल एसपी ग्रामीण फिर शहर की जिम्मेदारी सम्हालने वाले विवेक जौहरी अभी बीएसएफ के डीजी के पद पर कार्यरत हैं। दुनिया का सबसे बड़ा निगहबान है बीएसएफ/ यह संगठन 6385 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा करता है। 1965 में भारत-पाक युद्ध के बाद देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए बीएसएफ का गठन किया गया था। बीएसएफ भारत का प्रमुख अर्धसैनिक बल है और दुनिया का सबसे बड़ा सीमा रक्षक है। बीएसएफ में 188 बटालियन और 2.4 लाख जवानों का संख्या बल है। 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बंगलादेश) ने पाक से अलग होने की मांग की थी तब बीएसएफ ने बंगलादेश सरकार के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान के साथ 1999 में हुए अघोषित कारगिल युद्ध के दौरान भी बीएसएफ ने अपनी बहादूरी का परिचय दिया था। बीएसएफ के डीजी विवेक जौहरी से हाल ही में 33 साल बाद करीब 2 घंटे तक अन-औपचारिक बातचीत हुए, पुरानी यादें भी ताजा हुई। उनका कहना है कि सीमा सुरक्षाबल का काम सीमा की सुरक्षा के साथ सीमाओं पर सीमापार से होने वाले अपराधों में अंकुश लगाना, अवैध गतिविधियां रोकना, सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा, सीमापार होने वाली खुफिया सूचनाएं जुटाना तो होता ही है साथ ही साथ आक्रमक कार्यवाही के साथ प्राकृतिक विपदाओं में राहत बचाव करना भी है वहीं विभिन्न परिस्थितियों में देश के अंदर त्योहारों, उत्सवों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस की मदद करना भी होता है। बीएसएफ का नारा ही है ‘जीवन पर्यन्त कत्वर्य’। बीएसएफ के पास हवाई विंग, समुद्री विंग, आर्टिलरी विंग, महिला विंग, ऊंट विंग भी है साथ ही साथ आपरेशनों के लिए संचार तथा सूचना तकनीक, इंजीनियरिंग, कानूनी एवं प्रशासनिक तकनीक, चिकित्सकीय तथा हथियारों से संबंधित सहायता तकनीक भी है। भारत-पाक सीमा पर 100 से अधिक महिलाएं भी तैनात हैं।

रायपुर की 87-88 की टीम और उल्लेखनीय सफलता…

अविभाजित म.प्र. के समय छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहर रायपुर का अपना अलग महत्व था। राजनीतिक प्रभावशाली क्षेत्र होने के कारण यहां अधिकारियों की पदस्थापना में विशेष सतर्कता बरती जाती थी। 87-88 के समय रायपुर में कलेक्टर के रूप में 1979 बैच के आईएएस सुनील कुमार की पदस्थापना थी जो बाद में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रदेश के मुख्य सचिव बने थे। अर्जुन सिंह, अजीत जोगी के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके साथ प्रमुख पदों पर पदस्थ सुनील कुमार को पंजाब का राज्यपाल बनने के बाद अर्जुन सिंह ने विशेषतौर पर अपने साथ रखा था। उनकी कार्यप्रणाली के कारण ही भाजपा शासनकाल में डॉ. रमन सिंह ने मुख्य सचिव बनाया था और सेवा निवृत्ति के बाद योजना आयोग का उपाध्यक्ष भी बनाया था। 1987-88 पुलिस अधीक्षक के रूप में 1973 बैच के आईपीएस सीपीजी उन्नी कार्यरत थे। वे बाद में छग राज्य के गठन के बाद म.प्र. कॉडर में चले गये और बाद में एडीजी के पद से सेवानिवृत्त हो गये उस समय डीजी के पद पर म.प्र. में भी सीमित थे इसलिए डीजी बनने से चूक गये। इन्हीं के कार्यकाल में एक एनकाउंटर भी रायपुर में हुआ था इसी कार्यकाल में 84 बैच के आईपीएस विवेक कुमार जौहरी रायपुर के एडीशनल एसपी बने, उनकी नियुक्ति गिरधारी नायक के स्थान पर की गई थी। वे ग्रामीण तथा बाद में शहर की जिम्मेदारी सम्हाली थी। उस समय सेना के कोटे से के.जी. बरूआ भी एडीशनल एसपी रहे तथा 86 बैच के आईपीएस डीएम अवस्थी एएसपी के पद कार्यरत रहे जो बाद में रायपुर के ही एसपी, आईजी होकर वर्तमान में छत्तीसगढ़ के डीजीपी के पद पर कार्यरत हैं।

कलेक्टर रायपुर के…..

छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहर रायपुर (जिले) में कलेक्टर रहे अजीत प्रमोद कुमार जोगी बाद में राजनीति में उतरकर राज्यसभा, लोकसभा होकर छग के पहले मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। तो नजीब जंग भी रायपुर के कलेक्टर रहे और बाद में दिल्ली प्रदेश के उप राज्यपाल के रूप में पदस्थ हुए तो सुनील कुमार तथा आर.पी.मंडल भी रायपुर में कलेक्टर रहे तथा बाद में मुख्य सचिव की जिम्मेदारी भी सम्हालने में सफल रहे। वर्तमान में मंडल छग के मुख्य सचिव हैं।

और अब बस..

  • कभी नायब तहसीलदार रहे डॉ. चरणदास महंत, म.प्र. मंत्रिमंडल, डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहकर आजकल छग विधानसभा के अध्यक्ष हैं।
  • रायपुर में सीएसपी तथा आईजी के रूप में पदस्थ रूस्तम सिंह बाद में म.प्र. में मंत्रिमंडल के सदस्य बने।
  • रायपुर के कलेक्टर ओ.पी. चौधरी ने इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव लड़ा पर वे असफल रहे।