राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विमान को लेकर एयरस्पेस खोलने से पाक का इनकार..

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नईदिल्ली 7 सितंबर, 2019। पाकिस्तान ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए एयरस्पेस खोलने से इनकार कर दिया है। भारत से संबंध सुधारने का दिखावा करने वाले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस बात की जानकारी दी है। कुरैशी ने शनिवार को कहा कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान किसी भी हाल में भारत को अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दे सकता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया के दौरे पर जाने वाले हैं।
कश्मीर के मुद्दे पर बौखलाए पाकिस्तान ने एक बार फिर से कुछ ऐसा कदम उठाया है, जिसकी जितनी भी आलोचना की जाए कम होगी।
शाह महमूद कुरैशी ने फैसले की दी जानकारी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भारत के ‘हालिया व्यवहार’ को इस फैसले की मुख्य वजह बताया है। कुरैशी ने एक बयान में कहा, ‘भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी थी। ये उनके राष्ट्रपति के विदेश दौरे से जुड़ा हुआ था, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी है।’ कुरैशी ने बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ये फैसला लिया है।
राष्ट्रपति के विमान को लेकर एयरस्पेस खोलने से पाक का इनकार
रामनाथ कोविंद सोमवार को तीन देशों की यात्रा पर रवाना होने वाले हैं। इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया का दौरा करेंगे। राष्ट्रपति इस दौरे में इन देशों के साथ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर भारत का पक्ष रखेंगे। जिसके लिए पाकिस्तान के एयरस्पेस के इस्तेमाल की इजाजत मांगी गई थी। हालांकि, पाकिस्तान ने इससे साफ इनकार कर दिया है। पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर मोदी सरकार के हालिया फैसले के बाद से इस तरह का रवैया अख्तियार कर रखा है।

कश्मीर मुद्दे को लेकर नाराज पाकिस्तान ने लिया फैसला
बता दें कि पिछले महीने ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 खत्म करने का अहम फैसला लिया। इस फैसले के साथ ही भारत ने ये भी साफ कर दिया कि जम्मू-कश्मीर पर लिया गया फैसला हमारा आंतरिक मामला है, इस मुद्दे पर पाकिस्तान को सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। बावजूद इसके पाकिस्तान लगातार कश्मीर के मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा रहा है। हालांकि, उसको इस कदम के लिए कहीं से भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। जिससे पाकिस्तान की सरकार बौखलाई हुई है।