परशुराम जयंती आज: भगवान परशुराम जी के जीवन से सीखें ये चार बातें……. जानें शुभ मुहूर्त व उनसे जुड़ी मान्‍यताएं……

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CG METRO | वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस बार परशुराम जयंती आज 14 मई 2021 शुक्रवार के दिन है। भगवान परशुराम का जन्म त्रेता युग में ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान परशुराम जगत के पालनहार विष्णुजी के अवतार हैं। वे भले ही ब्राह्मण कुल में जन्मे, लेकिन उनके कर्म क्षत्रियों के समान थे। भगवान परशुराम के जीवन हमें कई अच्छी चीजों की प्रेरणा मिलती है।

माता-पिता का सम्मान

भगवान परशुराम ने हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान किया और उन्हें भगवान के समान ही माना। माता-पिता के हर आदेश का पालन भगवान परशुराम ने किया। हमें भी जीवन में हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी हर आज्ञा का पालन करना चाहिए। जो व्यक्ति माता-पिता का सम्मान करते हैं, भगवान भी उनसे प्रसन्न रहते हैं।

दान की भावना

धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने अश्वमेघ यज्ञ कर पूरी दुनिया को जीत लिया था, लेकिन उन्होंने सबकुछ दान कर दिया। हमें भगवान परशुराम से दान करना सीखना चाहिए। अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार भी दान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि दान करने से उसका कई गुना फल मिलता है।

न्याय सर्वोपरि

भगवान परशुराम ने न्याय करने के लिए सहस्त्रार्जुन और उसके वंश का नाश कर दिया था। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का मानना था कि न्याय करना बहुत जरूरी है। इसलिए उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन भी है कि भगवान परशुराम सहस्त्रार्जुन और उसके वंश का नाश नहीं करना चाहते थे, परंतु उन्होंने न्याय के लिए ऐसा किया। भगवान परशुराम के लिए न्याय सबसे ऊपर था। हमें भी जीवन में न्याय करना चाहिए।

विवेकपूर्ण कार्य

भगवान परशुराम ने गुस्से में आकर कभी भी अपना विवेक नहीं खोया। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम का स्वभाव गुस्से वाला था, परंतु उन्होंने हर कार्य को संयम से ही किया। हमें भी जीवन में सदैव विवेक और संयम बना के रखना चाहिए।

परशुराम जयंती शुभ मुहूर्त

वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि आरंभ- 14 मई 2021 (शुक्रवार) सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर
वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि समाप्त- 15 मई 2021 (शनिवार) सुबह 08 बजे

पूजा-विधि

परशुराम जयंती के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर नदी नहीं जा सकते पानी की बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

इसके बाद धूप दीप जलाकर व्रत करने का संकल्प लें।

भगवान विष्णु को चंदन लगाकर विधि-विधान से उनकी पूजा करें। फिर भगवान को भोग लगाएं।आप चाहे तो परशुराम जी के मंदिर जाकर उनके दर्शन भी कर सकते हैं लेकिन कोरोना काल में ऐसा करने से बचें और उन्हें मन में ही याद करें। इस दिन व्रत करने वाले लोगों को किसी तरह का कोई अनाज नहीं खाना चाहिए।

परशुराम से जुड़ी मान्यताएं

शिव भक्त थे परशुराम

परशुराम भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। वे दिन-रात शिव की अराधना करते थे। शिव भगवान भी परशुराम से प्रसन्न रहते थे। कहा जाता है कि परशुराम ने धरती पर 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। मान्यता है कि आज ही के दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी।

गुस्से में गणेश भगवान को दिया था दंड

परशुराम को न्याय का देवता कहा जाता है। साथ ही ये उग्र प्रवृत्ति के माने जाते हैं। भगवान गणेश भी उनके क्रोध से वंचित न रह सके थे। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जब परशुराम भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे, तो भगवान गणेश ने उन्हें शिव से मिलाने के लिए मना कर दिया था। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से गणपति का एक दांत तोड़ दिया था। इसके बाद से भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगें।

हर युग में हैं मौजूद

आज भी ऋषि परशुराम को अमर माना जाता है। कहा जाता है कि परशुराम हर युग में मौजूद रहे हैं। वे त्रेतायुग से लेकर द्वापरयुग में भी थे। पुराणों के अनुसार, परशुराम ने न सिर्फ महाभारत का युद्ध, बल्कि भगवान श्रीराम का समय भी देखा था।

शिव ने दिया परशु अस्त्र

परशुराम की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠषि था। ऐसा कहा जाता है कि परशुराम ने पिता के कहने पर अपनी मां का वध कर दिया था, जिस वजह से उन पर मातृ-हत्या का पाप लगा। इसके बाद परशुराम ने भगवान शिव की तपस्या की और मातृ-हत्या के पाप से मुक्ति पा ली। इसके साथ ही भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया था। इस कारण उन्हें परशुराम कहा गया।