आदिवासियों को लाख से लखपति बनाने की योजना आदिवासी ब्लॉक में पूरी तरह से फेल..

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02 सितंबर 2019, छुरा@परमेश्वर कुमार साहू। गरियाबंद जिले में आदिवासियों के लिए शुरु हुई योजना अब दम तोड़ती हुई नजर आ रही है। गरियाबंद जिला के छुरा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पण्डरीपानी, गिधनी, गायडबरी, लोहझर, जरगांव, रवेली, पिरपरछेडी, तालेसर, ओनवा, खैरझिटी, कनेसर, रवेली सहित अनेकों गांवों में वनवासी परिवारों को लाख से लखपति बनाने स्वर्ण जयंती रोजगार योजना को ग्रहण लग गया। इन इलाकों में आदिवासियों को लाख से लखपति करने की योजना पूरी तरह फेल होती नजर आ रही है।

उल्लेखनीय है की शासन की मंशा रही है कि स्वर्ण जयंती रोजगार योजना के तहत वनवासी आदिवासी परिवारों को इस अभिनव महत्वांकांक्षी योजना से स्वरोजगार व आत्मनिर्भर बनाना प्रदेश सरकार की प्रमुख प्राथमिकता रही थी। इन प्रयासों से आदिवासी ग्रामीणों के लिए रोजगार के नये अवसर खुलने की अपार संभावना थी। लेकिन यह योजना कुछ ही समय मे टाय-टाय फीस हो गई।

गौरतलब है की स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के तहत जिला मुख्यालय के अंतर्गत सभी वन परिक्षेत्रों में लाख पालन कार्य हेतु वर्ष 2009-10 में पोषक वृक्ष कुसुम, पलास, बेर हितग्राहियो का सर्वे, समूह गठन, नम्बरिंग कराकर कर बैंको में बकायदा खाता खुलवाया गया।

लेकिन आज तक उनके क्रियांन्वित करने के लिए किसी भी जिम्मेदार अधिकारी से लेकर आला जनप्रतिनिधियो ने कोई रुचि नहीं दिखाई इससे आदिवासी परिवारों में गैरजिम्मेदारी रवैया से काफी नाराजगी है। वही हितग्राही परिवार अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। प्रशासन यदि समय रहते हितग्राही परिवारो को लाख बीज कीट प्रदान करता है तो आदिवासीयो को अपने पुस्तैनी धंधें को लाख पालन खेती के माध्यम से आत्मनिर्भर व स्वरोजगार होने से कोई रोका नहीं जा सकता। पाण्डुका वन परिक्षेत्र द्वारा सर्वे किया गया, खाता खुलवाया गया व पेडों का नम्बरिंग करवाया पर नहीं हो पाई लाख की खेती की तैयारी। शासन को इसकी जिम्मेदारी तय करनी चाहिये की आखिरकार वनवासी परिवारों के साथ धोखा क्यों हुआ।

बता दें की प्रदेश के वनमंत्री ने हाल ही में विभागीय समीक्षा के दौरान अफसरों से कहा की ऐसी कार्य योजना बनाये की वनवासियों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। उन्होने कहा की जंगलो के आसपास रहने वाले वनवासियों को वनों का लाभ मिलना चाहिये। वन मंत्री के निर्देश के बाद प्रधान मुख्य वन सरंक्षक ने बैठक में उपस्थित सभी डीएफओ से वनवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के सम्बंध मे सुझाव लिए।

लघु वनोपज प्रसस्ंकरण ईकाईया और वन आधारित उद्योगों को शामिल करने पर जोर दिया गया। वही इस मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हुआ।

योजना धरातल पर, क्रियांवयन पर अमल नहीं

जिला मुख्यालय गरियाबंद सभी वन परिक्षेत्रों में लाख पालन के माध्यम से खेती से आत्मनिर्भर व हितग्राहियों को स्वरोजगार बनाने स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना की फाईल लगभग 7 वर्षो से कहीं कोने में धूल फांक रही है। वही अगर विभागीय मंत्री कहीं धूल खाते फाईल को साफ कराये तो योजना स्वतः धरातल पर आ जायेगा।

लाख से बनती है चिप

लाख की मांग राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफी रहती है। इसके पीछे कारण है की कई विशेष चीजों को बनाने में उपयोग किया जाता है। जैसे की लाख से मोबाइल का चिप तैयार किया जाता है, जिससे लोग गाने, विडियो रिकार्डिंग, फोटो स्टोर करने मे करते है। लाख का इस्तेमाल पेंट निर्माण, पानी जहाज के लिकेज बाईट चिपकाने के लिए, गोंद बनाने, सोने चांदी के बारीक कार्य, चूडी निर्माण, डाक विभाग के सील लगाने सहित कई कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है।