पारिवारिक विवाद में प्रशांत मिश्रा ने किया आत्महत्या का प्रयास, निगम का कहीं कोई रोल नहीं, कोर्ट में होगा संपत्ति विवाद का निराकरण: आयुक्त सुंदरानी

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भिलाई 3 जुलाई, 2019। प्रॉपर्टी विवाद से जुड़े एक मामले में बुधवार को प्रशांत मिश्रा नामक व्यक्ति ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। यह कोशिश भिलाई निगम कैंपस में बुधवार को की। सुसाइड की कोशिश से पहले प्रशांत ने एक नोट भी लिखा। जिसमें निगम आयुक्त एसके सुंदरानी और उपायुक्त अशोक द्विवेदी का जिक्र है। इस प्रयास के लिए दोनों को जिम्मेदार बताया है। इस मामले में भिलाई-3 पुलिस ने प्रशांत के खिलाफ आत्महत्या का प्रयास करने के मामले में धारा 304 के तहत जुर्म दर्ज किया है।इस मामले में आयुक्त एसके सुंदरानी ने अपना पक्ष दिया है।  सुंदरानी ने कहा, ये पूरा विवाद पारिवारिक है। इसमें निगम का कोई रोल नहीं है। पूर्व के कार्यकाल में नामांतरण हुआ है। चूंकि संपत्ति का विवाद है तो इसका समाधान कोर्ट में हो सकता है। इसलिए हमने कोर्ट जाने कहा है। प्रशांत के बारे में डॉक्टर से बात हुई है। प्रशांत ठीक है। 

आत्महत्या के प्रयास से पहले क्या लिखा है प्रशांत ने…

  • प्रशांत ने आत्महत्या का प्रयास करने से पहले सुसाइडल नोट लिखा है। जिसमें कहा है, मैं अशोक द्विवेदी और निगम आयुक्त दोनों के वीडियो अपलोड कर रहा हूं ताकि लोग देख सकें कि एक ईमानदार व्यक्ति के साथ निगम अधिकारी किस तरह का रवैया रखते हैं। मेरी आत्महत्या का कारण निगम आयुक्त और राजस्व अधिकारी द्विवेदी है। जिनको मैंने पूरे दस्तावेज बता दिया है समझा दिया की मेरी संपत्ति पर जोड़े गए नाम गलत है। वो ये बात समझ भी गए कि सारी गलती निगम की है। इसके बाद भी मुझे ही कोर्ट जाने की सलाह दे रहे है। मेरी निगम की सम्पत्ति को परिवार का मामला बता रहे है जबकि मेरी इस संपत्ति मेरे पिता की संपत्ति से अलग है। इन दोनों के साथ मेरा बड़ा भाई अशोक मिश्रा भी मेरी मौत का जिम्मेदार है। जिसने मेरी जामुल की पैतृक संपत्ति को इकलौता वारिस बताते हुए धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर हड़प लिया जिसका मामला जामुल थाने में लगा हुआ है। 
  • शांत ने यह भी लिखा है कि, मैं अपने भाई अशोक मिश्रा और अपनी-बहनों की झूठी शिकायतों के अलावा भिलाई नगर निगम से न्याय न मिलने के कारण पिछले 3 साल से मानसिक शारीरिक और आर्थिक रूप से बुरी तरह से टूट चुका हूं। अब आत्महत्या के अलावा कोई चारा नही बचा है। सारा टैक्स मैं अपने अकेले नाम से 1999 से जमा करते आ रहा हूं। मेरी मां भाई बहनों ने मेरे पिता की मौत 2008 के बाद उनके बनाये सारे पैसे और सोना चांदी हड़प लिए। ये कहते हुए की तुम्हारे पास अपना मकान दुकान है, फिर 2011 में मेरे पिता की बनाई सर्कुलर मार्किट वाला मकान दुकान अपने नाम कर लिये। 

मेरे भाई के द्वारा अपने छोटे साले सतीश बाजपेई जो कि cisf में किसी बड़े पद पर है उसके माध्यम से मुझ पर बीएसपी में चोरी के झूठे आरोप लगा कर या किसी भी तरह से जेल भेजने की धमकी दी जाती  है और इधर निगम आयुक्त भी मेरे परिवार के साथ मिलकर मेरे सारे प्रमाणित दस्तावेज देखने के बाद भी मेरी सम्पत्ति में गलत तरीके से जोड़े गए नाम को हटाने की जगह मुझे ही कोर्ट जाने की नोटिस दे रहे है ।

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