राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश को किया संबोधित, कहा- आज विश्व-पटल पर भारत के योगदान की सराहना होती है और पूरे विश्व में, हमारे देश को विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, और भी कई बाते कही….

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25 जनवरी 2019, नई दिल्ली। 70 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्र के नाम संबोधित किया है। देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह देश के सभी नागरिकों के लिए स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को याद करने का एक अवसर है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हम सब अपने गणतन्त्र की यात्रा में, तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि संवैधानिक आदर्शों के वाहक के रूप में आगे बढ़ते हुए, हम भारत के लोग, अपने गणतन्त्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने में निश्चित रूप से सफल होंगे।

– देश के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक लक्ष्यों को लोकतांत्रिक माध्यमों से, समावेशी लक्ष्यों को समावेशी साधनों से, करुणा और संवेदना से जुड़े लक्ष्यों को करुणा और संवेदना के जरिए तथा संवैधानिक लक्ष्यों को संविधान सम्मत साधनों से प्राप्त करना ही, हमारे गणतन्त्र की मूल आस्था है।

– आज विश्व-पटल पर भारत के योगदान की सराहना होती है और पूरे विश्व में, हमारे देश को विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

– राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारी यही सोच, संयुक्त राष्ट्र के शांति-मिशनों में, जलवायु परिवर्तन के मामले में, मानवीय सहयोग प्रदान करने में, या फिर प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत पहुंचाने में भी दिखाई देती है। हमारी संस्कृति, परम्परा और जीवन-आदर्शों में लोक-सेवा का बहुत अधिक महत्व है।

– हम सबके हृदय में, उन व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति सदैव सम्मान का भाव रहा है, जो अपने सामान्य कर्तव्यों की सीमाओं से ऊपर उठकर लोक-सेवा के लिए समर्पित रहते हैं।

– सभी वर्गों और सभी समुदायों को समुचित स्थान देने वाले राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए, हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें हर बेटी-बेटे की विशेषता, क्षमता और प्रतिभा की पहचान हो, और उसके विकास के लिए हर तरह की सुविधाएं और प्रोत्साहन उपलब्ध हों।

– हमारे महान गणतंत्र ने एक लंबी यात्रा तय की है। लेकिन अभी हमें बहुत आगे जाना है। खासकर, हमारे जो भाई-बहन विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं, उन सबको साथ लेकर हमें आगे बढ़ना है। 21वीं सदी के लिए, हमें अपने लक्ष्यों और उपलब्धियों के नए मानदंड निर्धारित करने हैं।

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