राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रधानमंत्री मोदी ने किया देश को संबोधित, जानिए क्या बोले मोदी

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नई दिल्ली | राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा से सम्बन्धित प्रस्तावों को लेकर आयोजित सम्मेलन ‘कॉन्क्लेव ऑन ट्रांसफॉर्मेशनल रिफॉर्म्स इन हायर एजुकेशन अंडर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी’ को प्रधानमंत्री संबोधित कर रहे हैं। इस संम्मेलन का आयोजन मानव संसाधन विकास मंत्रालय (नया नाम शिक्षा मंत्रालय) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग – यूजीसी (नया नाम हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इडिया – एचईआईसी) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इस सम्मेलन में शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन भी उपस्थित रहे।

हर देश अपनी शिक्षा नीति को अपने नेशनल गोल्स के साथ मिलाकर आगे बढ़ता है। देश का एजुकेशन सिस्टम आने वाली पीढ़ियों को फ्यूचर रेडी रखे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का आधार यही सोच है। यह नये भारती को तैयार करने वाली नीति है।

देश के युवाओं को नई सदी में जिस शिक्षा नीति की जरूरत है यह उसे पूरा करती है।

भारत के नागरिकों को सशक्त करने पर जोर दिया गया है।नये समय की जरूरतों के हिसाब से छात्र पढ़ेंगे तो नेशन बिल्डिंग में कॉन्सट्रक्टिव भूमिका अदा कर पाएंगे।

हाऊ टू थिंक पर दिया बल
इस शिक्षा नीति में ‘हाउ टू थिंक’ पर बल दिया गया है, जबकि पुरानी नीति में ‘व्हाट टू थिंक’ जोर था। हर स्टूडेंट को अवसर मिलना चाहिए वह अपने पैशन को पूरा कर सके। अपने मनपसंद कोर्स को ज्वाइन करें और जरूरत पड़े तो छोड़ दे। कई बार कोर्स जॉब के अनुसार न होने के कारण छात्रों को असुविधा होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए नई नीति में मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एक्जिट का ऑप्शन दिया गया है। इससे छात्र मनपसंद डिग्री या कोर्स को ज्वाइन करने के लिए वर्तमान कोर्स के छोड़कर ज्वाइन कर सकें।

जरूरी था बदलाव
बच्चों के घर की भाषा एवं पढ़ाई की भाषा समान होने से पढ़ाई बेहतर होती है। इसीलिए 5वीं कक्षा तक के बच्चों को उनकी भाषा में पढ़ाई को अनुमति दी गयी है, ताकि उनकी नींव मजबूत हो।