मशहूर गीतकार पं. संतोष आनंद को दिया जाएगा स्वर्गीय सुरेंद्र दुबे स्मृति सम्मान 2020.. 1 जनवरी को 111111 रुपए की राशि के साथ किया जाएगा सम्मान.. स्मृति ग्रंथ ‘जा रहा हूं दूर इतना’ का भी होगा लोकार्पण..

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नई दिल्ली। देश के मशहूर एवं ख्याति प्राप्त गीतकार पंडित संतोष आनंद को विश्व विख्यात हास्य कवि एवं संवेदनशील गीतकार स्वर्गीय सुरेंद्र दुबे स्मृति सम्मान 2020 से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान 1 जनवरी 2020 को राजस्थान के केकड़ी में आयोजित सम्मान समारोह में दिया जाएगा। इस अवसर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया है।

सुरेंद्र दुबे स्मृति संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष चंद्र प्रकाश दुबे ने यह घोषणा करते हुए बताया कि स्वर्गीय सुरेंद्र दुबे की द्वितीय पुण्यतिथि पर 1 जनवरी को सुरेंद्र दुबे जी के गृहनगर राजस्थान के केकड़ी नगर पालिका के सार्वजनिक मंच पर भव्य सम्मान समारोह और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर देश के मशहूर एवं ख्याति प्राप्त गीतकार पंडित संतोष आनंद को यह सम्मान दिया जाएगा। इस आयोजन के लिए गठित कमेटी के मानक सदस्य अंतरराष्ट्रीय कवित्री एवं लेखिका डॉ कीर्ति काले और कवि एवं साहित्यकार कैलाश मंडेला ने निर्णय लिया कि स्वर्गीय दुबे हास्य कवि होने के साथ-साथ एक संवेदनशील गीतकार भी थे। अतः इस साल यह पुरस्कार किसी प्रतिष्ठित गीतकार को दिया जाएगा। इसी क्रम में संतोष आनंद का नाम तय किया गया है। अनेकों प्रतिष्ठित पुरस्कारों में सम्मानित हिंदी काव्य मंच एवं हिंदी फिल्मों में चर्चित गीतकार संतोष आनंद ने अनेक फिल्मों के लिए अमर गीतों की रचना की है।

संतोष आनंद की प्रमुख गीते

  • जिंदगी की न टूटे लड़ी, प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
  • नाव कागज की गहरा है पानी
  • एक प्यार का नगमा है
  • पुरवा सुहानी आयी रे.. आदि कविताएं लिखी।

देश के नामचीन कवियों एवं महत्वपूर्ण व्यक्तियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया जाएगा। गत वर्ष यह पुरस्कार देश के लब्ध प्रतिष्ठित हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा नई दिल्ली को प्रदान किया गया था। इस पुरस्कार के अंतर्गत 111111 रुपए एवं प्रतीक चिन्ह आदि दिए जाते हैं। देशभर में किसी कवि की स्मृति में व्यक्तिगत संस्था द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों में या सबसे बड़ी राशि का पुरस्कार है। जन महोत्सव के रूप में आयोजित होने वाले इस आयोजन की तैयारियां हो रही है। इस अवसर पर डॉ कीर्ति काले एवं कैलाश मंडेला के संपादन में निर्मित श्री सुरेंद्र दुबे स्मृति ग्रंथ जा रहा हूं दूर इतना का भी लोकार्पण किया जाएगा।