23 जनवरी 2019, रायपुर। सीएजी की रिपोर्ट में ई-टेंडरिंग घोटाले को लेकर राज्य सरकार ने संशोधित आदेश जारी किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने यह आदेश जारी किया है। ईओडब्ल्यू तीन महीने में अपनी जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट पेश कर देगा। CAG रिपोर्ट में ई-टेंडरिंग घोटाले में करोड़ों की अनियमितता उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू को जांच का जिम्मा सौंपा है। आज इस मामले में राज्य सरकार ने जांच का संशोधित आदेश जारी कर दिया है।
आदेश में लिखा है-
-गौरतलब है कि जनसंपर्क विभाग ने 250 करोड़ रूपए के आबंटित बजट की तुलना में 400 करोड़ रूपए खर्च कर दिए थे।
-नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 1459 टेंडरर्स के लिए एक ही ई-मेल आईडी का 235 बार इस्तेमाल हुआ। जबकि सभी के लिए यूनिक आईडी देने का प्रावधान था।
-मेल आईडी का इस्तेमाल 309 ठेकेदारों ने किया। 17 विभागों के अधिकारियों ने 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटर का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने में किया, जिनका इस्तेमाल वापस उन्हीं को भरने के लिए हुआ था।
-10 लाख से 20 लाख के 108 करोड़ के टेंडर पीडब्लूडी व जलसंसाधन विभाग ने प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअल जारी किए।
-जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकले उन्हीं से वापस भरे। ऐसा 1921 टेंडर में हुआ। इनकी कुल लागत 4601 करोड़ रुपए थी।
-टेंडर के लिए 79 ठेकेदारों ने दो पैन नंबर का इस्तेमाल किया। एक पैन पीडब्लूडी में रजिस्ट्रेशन और दूसरा ई-प्रोक्योरमेंट के लिए। ये आईटी एक्ट की धारा 1961 का उल्लंघन है।
-टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी, एक दूसरे के संपर्क में थे। 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5 टेंडर जमा करने दिए गए। ई-टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए चिप्स ने पर्याप्त उपाय नहीं किए।