गरियाबंद। सामाजिक कार्यकर्ता व साहू समाज युवा प्रकोष्ठ रायपुर संभाग के कार्यकारी अध्यक्ष रूपसिंह साहू ने केंद्र व राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि देश के करोड़ों लोगो की भावनाओं एवं श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए आस्था के केंद्र धार्मिक स्थल एवं मंदिरों को अविलंब खोला जाए श्री साहू ने आगे कहा कि भारतीय संस्कृति मे दिन की शुरुआत ही शंख एव घंटियों की आवाज तथा मंत्रों से होती है। यह सभी धर्मो के ग्रंथ भारतीय सनातन के मानने वाले लोग विभिन्न ना अवसरों पर नियमित रूप से ईश्वर के प्रति अपनी अपनी आस्था प्रकट करने मंदिर एवं धार्मिक स्थलों पर जाते रहते हैं जब लाकडाउन शुरू हुआ। तब से राज्य व केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए समझता कार्यालय दुकानों एवं मंदिरों को बंद करने का आदेश जारी किया लेकिन जैसे-जैसे लॉक डाउन मे ढील दी गई है। वैसे दुकानों कार्यालय के खुलने का क्रम शुरू हुआ आज छोटी से छोटी दुकाने एवं निजी संस्था ने उद्योग लघु उपयोगी एवं कुटीर उद्योग खुलने लगी है। ऐसे मे अब यहां आवश्यक हो जाता है की लोगों का आस्था का केंद्र धार्मिक स्थल एवं मंदिरों को देवी स्थलों को भी नियमों के तहत खोला जाए। ताकि देश एवं प्रदेश के करोड़ों श्रद्धालु गण अपने इष्ट देव व मंदिरों के दर्शन पूजन कर सके हमारा देश धर्मा और संस्कृति प्रधान देश होने के नाते जब सभी दुकान कार्यालय ऑफिस कुटीर उद्योग खुलने लगे हैं तो धार्मिक स्थलों को भी अविलंब शुरू किया जाए। इस दौरान सोशल डिस्टिसीग और मास्क के प्रयोग को अनिवार्य किया जाए तथा सभी श्रद्धालु गानों को सभी मंदिरों में पहले से ही सैनिटाइज किया जाए।
देश के करोड़ों लोगों की दिनचर्या एवं भावनाएं धार्मिक क्रियाकलाप एवं भारतीय सनातन के अनुसार रीति-रिवाजों से जुड़े हुए हैं ऐसे में राज्य व केंद्र सरकार से मांग की है कि वे सभी धार्मिक स्थल एवं मंदिरों में लगे प्रतिबंध को नियमों में शिथिल करते हुए तत्काल प्रभाव से हटा कर मंदिरों एवं धार्मिक स्थल को खोलने की पहल करने की आग्रह एवं पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ शासन मुख्य सचिव आरपी मंडल को मांग की गई। छत्तीसगढ़ के लगभग 15 से 20 हजार पंडित व पुजारी को मंदिर एवं धार्मिक स्थल लगातार 3 महीनों से बंद होने से पुजारी अपने परिवार व पेट चलाने में कई प्रकार की कठिनाइयों के सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में भुखमरी के कारण जल्द से जल्द मंदिर एवं धार्मिक स्थलों को खोला जाए ताकि पंडित एवं पुजारी अपना दिनचर्या का हिस्सा पूजा स्थल में ही अपना परिवार चलाने लायक रोजी रोटी कमाने की शुरुआत कर सकें।