स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में खुलासा.. जगदलपुर में चमकी बुखार नहीं जापानी बुखार से हुई बच्चे की मौत.. दो बच्चों की जांच में आई निगेटिव.. जानिए क्या हैं प्रशासन की रिपोर्ट.. 

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रायपुर 21 जून, 2019। बिहार के बाद छत्तीसगढ़ में चमकी बुखार के फैलने की खबर आ रही थी। ऐसी खबरों थी जगदलपुर में चमकी बुखार से एक बच्चे की मौत हो गई और दो बच्चे पीड़ित है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट ने बच्चे की मौत चमकी बुखार से नहीं। ब्लकि जापानी बुखार से मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में बुखार से पीड़ित तीन बच्चों का जांच कराया गया था। जिसमें केवल 01 बच्चे में ही जापानी इन्सेफेलाइटिस पॉजीटिव पाया गया। बाकी दो बच्चों का निगेटिव रिपोर्ट रहा।रायपुर 21 जून, 2019। बिहार के बाद छत्तीसगढ़ में चमकी बुखार के फैलने की खबर आ रही थी। ऐसी खबरे थी कि जगदलपुर में चमकी बुखार से एक बच्चे की मौत हो गई और दो बच्चे पीड़ित है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट ने बच्चे की मौत चमकी बुखार से नहीं ब्लकि जापानी बुखार से मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में बुखार से पीड़ित तीन बच्चों का जांच कराया गया था। जिसमें केवल 01 बच्चे में ही जापानी इन्सेफेलाइटिस पॉजीटिव पाया गया। बाकी दो बच्चों का निगेटिव रिपोर्ट रहा।

  • जानकारी के अनुसार जापानी बुखार से पीड़ित बच्चे का नाम भुवनेश्वर उर्फ भवानी था। 4 साल का मृत बच्चा बकावंड ब्लाक के चोलनार गांव का रहने वाला था। जांच रिपोर्ट में भुवनेश्वर को जापानी इन्सेफेलाइटिस पॉजिटिव पाया गया। जिसकी गुरुवार रात 8 बजे जापानी इन्सेफेलाइटिस की वजह से मौत हो गई थी।  
  • बताया जा रहा है कि मृतक भुवनेश्वर 10 जून से बुखार से पीड़ित था। परिजनों ने मितानिन के साथ मरीज को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बस्तर में इलाज के लिए लाया गया। जहां डॉक्टरों ने इलाज किया।
  • मरीज की स्थिति में सुधार नहीं होने पर उसे 18 जून को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल जगदलपुर रेफर किया गया। मरीज का उपचार विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा मेकॉज में किया गया।
  • लेकिन इलाज के दौरान 20 जून को भुवनेश्वर की की मौत हो गयी। वहीं अन्य दो बच्चे की इलाज के बाद एक बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। और दूसरे बच्चे की स्थिति में सुधार देखते हुए, आज डिस्चार्ज किया जा सकता है।

मरीज के परिजनों की कराई गई जांच

जिले और ब्लाक स्तरीय कॉम्बेट टीम ने आज चोलनार गांव के छोटेमुण्डरापारा में मरीज और उनके परिजनों से मुलाकात कर 88 व्यक्तियों की जांच की गई। जिनमें 18 लोग मरीज के संपर्क में आये थे उनकी भी जांच की गई। जिसमें बुखार का कोई लक्षण नहीं पाया गया। चोलनार के छोटेमुण्डरापारा के सभी घरों में एडिज मच्छर मारने के लिए छिड़काव किया गया है। तथा चोलनार तथा आस-पास के गांव में भी सभी घरों में छिड़काव करने के निर्देश दिया गया है।

मितानिनों से अपील, स्वास्थ्य केंद्र में दे सूचना

कॉम्बेट दल को प्राप्त जानकारी अनुसार मरीज परिवार के सदस्य अधिकांश समय अपने मायके उड़ियापाल बकावण्ड जो कि उड़ीसा सीमा के पास है में रहती थी। उक्त ग्राम में कॉम्बेट टीम द्वारा भेंट किया गया। उड़ियापाल में कोई भी रोगी नहीं मिले। ग्राम उड़ियापाल में भी किटनाशक का छिड़काव किया जा चुका है। ग्राम में स्थित समस्त परिवार के सदस्यों को मच्छर दानी का उपायोग करने की सलाह दी गई है। आस पास में पानी जमा न होने देने एवं किसी को भी बुखार होने पर इसकी सूचना मितानिन एवं नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में देने की अपील की गई है। चिकित्सकीय दलों द्वारा पूरे क्षेत्र की सतत निगरानी की जा रही है एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा नियंत्रण एवं बचाव हेतु विस्तृत दिशा निर्देश समस्त जिलों में जारी किये गये है।

ये मामला जापानी इन्सेफेलाइटिस का है ना कि चमकी बुखार

यह प्रकरण जापानी इन्सेफेलाइटिस का है ना कि चमकी बुखार हैं। जापानी इन्सेफेलाइटिस पूर्व में भी बस्तर क्षेत्र में पाया गया है जिसपर विभाग के द्वारा तत्परता के साथ चिकित्सा सुविधा तथा रोकथाम की कार्यवाही की गयी है।

इस संबंध में बस्तर जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रो में रोग प्रविबंधात्मक कार्यवाही तथा चिकित्सा हेतु दिशानिर्देश जारी किया जा चुका है तथा मेडिकल कॉलेज जगदलपुर डिमरापाल में संपूर्ण जांच और उपचार की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।

जानें जेई और एईएस में क्या है फर्क

अभी तक बस्तर में जापानी इंसेफेलाइटिस पीड़ित बच्चे मिल रहे थे और इससे बच्चों की मौतें भी हो रही थी लेकिन अब एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से पीड़ित बच्चों के हॉस्पिटल आने के बाद दोनों बीमारियों को लेकर लोगों में भ्रम पैदा हो गया है। इस संबंध में जब माइक्रोबायलाजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर एसके मजूमदार से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि जेई बुखार का एक कारण है। जेई का वायरस ढूंढा जा चुका है जबकि एईएस एक लक्षण है।

यह निमोनिया, साधारण सर्दी खांसी और बुखार में भी डेवलप हो जाता है। बिहार में यहां लीची की वजह से बच्चों में ये डेवलप हो गया तो यूपी में इसके डेवलप होने के दूसरे कारण थे। बस्तर में निमोनिया के बाद यह एक बच्चे में डेवलप हुआ। जेई और एईएस में सबसे बड़ा फर्क यह है कि जेई के होने के स्पष्ट कारण, उसके वायरस की खोज की जा चुकी है जबकि एईएस में एक इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम है जो कभी भी किसी भी कारण से हो सकता है। इसके फैलने का एक तरीका नहीं है।

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