स्पेशल स्टोरी: रिसाली नगर निगम का परिसीमन हुआ, सरोज और ताम्रध्वज पारिवारिक सदस्यों के महत्वकांक्षा में जुटे

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स्पेशल स्टोरी

नवगठित नगर निगम रिसाली के सभी 40 वार्डों का परिसीमन हो गया है अब भाजपा और कांग्रेस की पूरी कोशिश रहेगी कि नगर निगम पर उनकी पार्टी का कब्जा हो जाए। इसकी शुरुआत राज्यसभा सांसद सरोज पांडे ने दिल्ली पब्लिक स्कूल रिसाली चौक के सौंदर्यीकरण करने की घोषणा के साथ ही कर दी है। अभी सिर्फ चर्चा में है कि सरोज पांडे अपने भाई राकेश पांडे या भाभी चारुलता पांडे की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने की कोशिश में लग गई है दूसरी तरफ गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू अपने पुत्र जितेंद्र साहू को महापौर के रूप में देखना चाहते हैं। रिसाली नगर निगम के गठन के पीछे मंत्री ताम्रध्वज साहू का ही प्रयास रहा है।

पार्षद ही चुनते हैं महापौर

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय निकायों में प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से अध्यक्ष और महापौर चुनने की प्रक्रिया को समाप्त करते हुए वार्ड पार्षद के माध्यम से अध्यक्ष और महापौर चुने जाने के नियम बनाएं और इसी नियम का परिणाम है कि प्रदेश के सभी नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर एवं ज्यादातर नगर पालिका एवं नगर पंचायतों में कांग्रेस के अध्यक्ष काबिज हैं। इसलिए रिसाली नगर निगम एवं भिलाई नगर निगम में महापौर बनाने के लिए पार्षदों की संख्या पर दोनों नेताओं को अत्यधिक ध्यान देने की जरूरत पड़ेगी। सामान्यत: यह देखा गया है कि राज्य में जिसकी सरकार रहती है उसी के पार्षद और महापौर बनते हैं जो इस बात को नगरीय निकायों के पिछले चुनाव प्रमाणित करती है।

फुलप्रूफ रणनीति बनाने की जरूरत

राज्यसभा सदस्य सरोज पाण्डेय और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के सिर्फ यह सोच लेने की उनकी पसंद का ही महापौर बन जाएगा इतना आसान नहीं है। पार्षद प्रत्याशियों का चयन और नगरीय निकाय क्षेत्र के मतदाताओं का झुकाव काफी महत्वपूर्ण है। नगरीय निकाय क्षेत्र के विकास में सरकार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहती है यदि उसी दल का महापौर बनता है तो नगरीय निकाय क्षेत्र का विकास बहुत आसानी से होने लगता है, विपरीत स्थिति में महापौर को काम करने में अत्यधिक दिक्कत होती है हालांकि राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे अकेले ऐसी महापौर रही हैं, जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में भी बेहतर तालमेल बनाकर दुर्ग का विकास करने में सहायक साबित हुई हैं।

पार्षद का चुनाव सबसे कठिन

सामान्यत: नेता यह कटाक्ष करते हैं की पार्षद का चुनाव तो जीत नहीं सकते और चले हैं विधायक और सांसद बनने? दरअसल में पंच सरपंच और पार्षद का चुनाव विधायक और सांसद बनने की अपेक्षा अत्यधिक कठिन होता है इस चुनाव को जीतना इतना आसान नहीं होता है। कम मतदाता, व्यक्तिगत परिचय, प्रत्याशियों की अपनी छवि बहुत मायने रखती है। इसीलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों को पार्षद प्रत्याशी का चयन करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ेगी ताकि उनके प्रत्याशी अपनी छवि के माध्यम से चुनाव जीतने की स्थिति में रहे।

40 वार्डों का परिसीमन

छत्तीसगढ़ सरकार ने रिसाली नगर निगम के 40 वार्डों का परिसीमन कर दिया है राजपत्र में इसका प्रकाशन भी हो चुका है। राजपत्र में परिसीमन के प्रकाशन के बाद राजनीतिक सक्रियता भी बढ़ने की संभावना है सरोज पांडे ने पार्क सौंदर्यीकरण के लिए अभी डेढ़ करोड़ की राशि की घोषणा की है तथा नगर निगम क्षेत्र में भाजपा को जीताने के लिए कमर कस ली है।