जीएसटी विवाद पर बोले सिंहदेव- राज्यों का हाथ मरोड़ने का काम कर रही हैं केंद्र सरकार.. जमकर बरसें GST मंत्री…

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रायपुर : जीएसटी राशि के भुगतान को लेकर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है। ऐसे में वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने क्षतिपूर्ति नहीं दिए जाने पर सवाल खड़े किये हैं। मंगलवार को वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से चर्चा करते हुए वाणिज्यिक कर मंत्री सिंहदेव ने कहा कि जीएसटी की क्षतिपूर्ति के लिए राज्यों का कर्ज लेना सही नहीं है। इसके लिए आवश्यक राशि की व्यवस्था केंद्र सरकार अपने संसाधनों या फिर कर्ज के जरिए करे।


सिंहदेव ने कहा, आरबीआई से कर्ज के नाम पर केंद्र सरकार राज्यों के ऊपर बोझ डाल रही है। महामारी में ऐसा करना क्रूरता है। जीएसटी क्षतिपूर्ति राज्यों का अधिकार है। इसकी क्षतिपूर्ति की जगह विकल्प भेजना केंद्र सरकार ने ना सिर्फ अपने और राज्य सरकारों के बीच के करार को तोड़ा है, बल्कि सहकारी संघवाद पर भी भीषण प्रहार किया है। उन्होंने लिखा, महामारी के इस काल में ऐसा करना और भी क्रूर है।

सिंहदेव ने कहा- केंद्र के दोनों प्रस्तावों से राज्य सहमत नहीं
सिंहदेव ने बताया कि सोमवार देर शाम उनकी पंजाब, दिल्ली, केरल, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक हुई थी। सभी राज्यों ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के दोनों प्रस्तावों (जीएसटी सेस कमी और लोन) को अस्वीकार कर दिया है। साथ ही निर्णय लिया गया है कि केंद्र सरकार को राज्यों के लिए यह संवैधानिक दायित्व नहीं सौंपना चाहिए।

ये कमी ‘एक्ट ऑफ गॉड’ नहीं, जैसा केंद्र सरकार सुझाव दे रही
उन्होंने बताया कि राज्यों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि केंद्र को कमी को पूरा करना चाहिए। महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल खुद के एजेंडे को आगे बढ़ने से बेहतर है कि जीएसटी परिषद में आम सहमति के माध्यम से इसे आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कमी ‘एक्ट ऑफ गॉड’ नहीं है, जैसा कि केंद्र सरकार सुझाव दे रही है। कहा, छत्तीसगढ़ में सालाना 38-40% की कमी है।

इस कारण विवाद : जीएसटी कानून के तहत, राज्यों को एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्षों में राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की गारंटी दी गई है, लेकिन राजस्व साझेदारी की मौजूदा फॉर्मूला के तहत केंद्र सरकार राज्यों के जीएसटी का हिस्सा दे पाने में सक्षम नहीं है। और राज्यों पर लोन लेने का दबाव बनाया जा रहा है। ताकि लोन की मदद से जीएसटी का बकाया जीएसटी काउंसिल में जमा कराया जा सकें।

यह है कानून : जीएसटी क्रियान्वयन होने के बाद राजस्व में कमी होने पर संविधान में राज्यों को क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। हालांकि, प्राकृतिक आपदा, कोविड-19 या आर्थिक मंदी जैसे कारणों से नुकसान होने पर संविधान या जीएसटी कानूनों के तहत क्षतिपूर्ति भुगतान की कोई बाध्यता नहीं है, क्योंकि ये कारण जीएसटी के क्रियान्वयन से संबंधित नहीं हैं।

राज्यों की मांग : कई राज्यों ने इस क्षतिपूर्ति की भरपाई भारत सरकार के संचित निधि कोष से करने की मांग की है। लेकिन संसद ने 2017 में इस तरह के संशोधन को खारिज कर दिया था, जिसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में आने वाली कमी को भारत के संचित निधि कोष से भुगतान किये जाने का प्रावधान था।