ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के लिए सोलर, विंड, बायो एनर्जी और हाइड्रो पावर है बेहतर विकल्प… वर्कशॉप के जरिए भावी इंजीनियरों को दिए गए टिप्स…

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दुर्ग 27 फरवरी, 2020। नई पीढ़ी को ऊर्जा के महत्व और संरक्षण के बारे में जागरुक करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण के दुर्ग जोन कार्यालय द्वारा श्री शंकराचार्य ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट जुनवानी भिलाई, भारती इंजीनियरिंग कॉलेज पुलगांव चैक, दुर्ग और भिलाई इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कार्यशाला आयोजित की गई। इन कार्यशालाओं में इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल शाखा के भावी इंजीनियरों ने जाना कि वर्तमान और भविष्य की जरूरत के हिसाब से नवीनीकरण ऊर्जा के स्रोत के प्रति जागरूकता कितनी जरूरी है। क्रेडा के जिला प्रभारी टी. आर. ध्रुव ने कार्यशाला में बताया कि परंपरागत बिजली उत्पादन की अपेक्षा सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, समुद्र तटों पर ज्वारीय ऊर्जा आदि का उपयोग कर पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आएगी।

कार्यशाला में बताया गया कि छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से उत्पन्न कार्बनडाई ऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन से आज विश्व के सामने ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज जैसी विकराल समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।ऐसे में विश्व भर की आबादी की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो एनर्जी और हाइड्रो पावर बेहतर विकल्प के रूप में हमारे सामने हैं। कार्यशाला में छात्रों ने कार्यशाला में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उन्होंने न केवल देश की ऊर्जा जरूरतों को समझा बल्कि पर्यावरण की रक्षा में नवीनीकरण योग्य ऊर्जा का महत्व भी जाना।

कार्यशाला में बताया गया कि विश्व में नवीनीकरण योग्य ऊर्जा की इंस्टॉलेशन केपेसिटी ( वर्ष 2017 के अनुसार ) 921 गीगा वाट है। जिसमें से 70 गीगावाट भारत का हिस्सा है। भारत सरकार का लक्ष्य है। वर्ष 2022 तक इसे 175 गीगावाट करने का है। जिसमें से 100 गीगावाट सोलर,60 गीगावाट विंड पावर,10 गीगावाट बायो एनर्जी और 5 गीगावाट हाइड्रो पावर का हिस्सा है।

क्रेडा से मिली जानकारी के मुताबिक सोलर एनर्जी के इस्तेमाल में छत्तीसगढ़ राज्य में दुर्ग जोन सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इसी प्रकार सरकारी उपक्रम और कार्यालय, व्यावसायिक प्रतिष्ठान ,घरों आदि में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में भारत विश्व भर में पहले नंबर पर है। कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा प्रेजेंट एनर्जी सिनेरियो, बेसिक्स ऑफ थर्मल एंड इलेक्ट्रिकल एनर्जी, एनर्जी एफिशिएंट टेक्निक और ऊर्जा बचाने के तरीकों की केस स्टडी के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। इसके अलावा वर्तमान में ऊर्जा की आवश्यकता के बारे में जानकारी देते हुए भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत एवं विश्व के अन्य देशों में ऊर्जा के उपभोग (खपत) तुलनात्मक जानकारी दी गई तथा भविष्य में ऊर्जा की आवश्यकता एवं पूर्ति हेतु विकल्प के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। इसके अलावा ऊर्जा के नवीन स्त्रोत में क्रेडा द्वारा निरंतर किये जा रहे प्रयासो के बारे में सभी उपस्थित इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों एवं शिक्षक को अवगत कराया गया। प्रमुख वक्ता के रूप में एम.सी. जैन, आर. पी. एस. कुसवाहा एवं धर्मेन्द्र विश्वकर्मा एनर्जी आडिटर द्वारा ऊर्जा संरक्षण के विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डाला गया।