विशेष लेख: लड़ेगा तो जीतेगा, उतिष्ठ जागृत प्राप्त वरण्यबोधक… ये भारत में लागू नहीं होता… PM मोदी के भाषण पर त्वरित टिप्पणी…

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लड़ेगा तो जीतेगा, उतिष्ठ जागृत प्राप्त वरण्यबोधक… ये भारत में लागू नहीं होता… प्रधानमंत्री जी ने सबसे सरल रास्ता अपनाते हुए आज पुनः 3 सप्ताह के लिए लॉक डाउन बढ़ा दिया, साथ ही साथ आज जब हम 10 हजार पार कर चुके है। उसको आकड़ों में बहुत कम बताते हुए दूसरे देशों से तुलना कर डाली और साथ ही सरकार और देशवासियों की पीठ भी ठोक दी ।

करोड़ो आँखे पिछले 3 दिनों से अपने नमो नमो का इंतजार कर रही थी कि वो आएंगे और सकंट मोचक बन कर उनको जीवन दयनीय शक्ति प्रदान करँगे। दो वक्त की रोटी की गारंटी देंगे पर ये क्या उन्होंने तो वही कर डाला जो भारत का एक अनपढ़ साधन विहीन आदमी भी गांव में बैठ कर कर सकता था। मजदूरों की निगाहें प्रधानमंत्री का उद्बोधन समाप्त होने के बाद भी इंतजार करती रही कि उनकी मजदूरी के लिए कुछ तो व्यवस्था की जायेगी। चाट ठेला वाला 21 दिनों से घर में सो नहीं पाया था एक आशा थी कि आज उसको ठेले लगाने और अपनी 2 वक्त की रोटी के लिए कुछ सहारा मिलेगा। सोनार की दुकान के बाहर बैठ कर साफ सफाई करने वाला आशा से देख रहा था कि प्रधानमंत्री जी उनको भी दो वक्त की रोटी की कुछ तो व्यवस्था करेंगे, रिक्शा वाला, ऑटो वाले, तांगे वाले, ई रिक्शा वाले आँख और हाथ मलते राह गए पूरा परिवार सकते में आ गया कि अब हमारा क्या होगा। मिस्त्री, किसान, घर में काम करने वाली बईया और यहां तक चाय वाला भी प्रधानमंत्री जी से सिर्फ और सिर्फ अपनी दो वक्त की रोटी की गारंटी की आशा किये थे।

छात्र छात्राओं के बारे में तो प्रधानमंत्री जी के पास सोचने का भी समय नहीं मिला। वे बस देखते रह गए कि अब प्रधानमंत्री जी उनके भविष्य के बारे कुछ तो बोलेंगे, घर की ग्रहड़ी ये सुन कर स्तब्ध रह गई कि पुनः 3 सप्ताह सीमित साधनों से परिवार की आवश्यकता की पूर्ति करनी होगा। नौकरी पेशे वाले ये सुन कर हताश हो गए कि अब वो तीन सप्ताह अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पायंगे। डेली नीड्स वाले कपड़े की दुकान वाले, लघु उद्योग वाले, बिजली के समान वालो को तो कुछ समझ मे ही नहीं आ रहा कि उनका भविष्य का क्या होगा। उनकी बैंकों से लिया गया लोन को कैसे भरेंग और अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करँगे। दो वक्त की रोटी की चिंता समाज के हर वर्ग को गहरे सदमे में डाल दी , उनको हर तरफ अंधकार ही अंधकार नजर आ रहा ।

समर्थन प्रधानमंत्री जी के निर्णय का ये बोल कर सही बतायंगे की जान है तो जहान है । समर्थकों के इस उत्तर का भी प्रतिउत्तर बड़ी आसानी से दिया जा सकता है कि ताली बजाने से, घण्टी बजाने से , शंख बजाने से, टॉर्च दिखाने से , दिया जलाने से, अमिरिका की घुड़की के डर से दवाई देने से फिर ये कयास लगाने से की जब कोरोना की दवाई बनेगी तो अमिरिका हमको दे देगा।

इन सब से कोरोना न डरेगा न जलेगा ओर न बाहर होगा, और न अमिरिका आपको कोरोना की दवाई देगा ( हमारा टेस्ट किट वापस नही किया ) कोरोना तो दूर होगा उसके विरुद्ध लड़ाई लड़ने से, कोरोना भागेगा सेनिटाइजर की उपलब्धता बढ़ाने से, वेंटिलेटर की सुविधा बढ़ाने से, लोगो को जागरूक करने से, टेस्ट की संख्या बढ़ाने से, इसोलेशन की सुविधाएं बढ़ाने से, सेनेटाइजर की सुरंगे बनाने से, बन्द किसी भी बीमारी का स्थायी इलाज नहीं।

यदि बंद जारी रहा तो कोरोना से अधिक लोग बेरोजगारी और भुखमरी से मर जायँगे ओर देश की स्थिति बहुत विपरीत हो जायेगी क्योकि
भूख इंसान को हैवान बना देती है……….।

त्वरित टिप्पणी : गुमनाम व्यक्ति द्वारा लिखा गया विशेष लेख