रायपुर 09 अप्रैल, 2019। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से चर्चा और विचार-विमर्श के बाद घोषणा पत्र को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में किए जाने वाले वायदों को लेकर आपत्ति नहीं है, लेकिन दलों को ऐसे वायदों से बचना चाहिए जो मतदाताओं के विवेकपूर्ण, निष्पक्ष और स्वतंत्र परिवेश में मताधिकार के इस्तेमाल को गलत ढंग से प्रभावित करती है।
- राजनीतिक दल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-126 के अनुसार घोषणा पत्र जारी करने की प्रतिबंधित अवधि यानि मतदान समाप्ति के 48 घंटे के दौरान अब घोषणा पत्र जारी नहीं कर पाएंगे।
- विभिन्न चरणों में मतदान की स्थिति में यह मनाही प्रत्येक चरण के मतदान की समाप्ति के 48 घंटे के दौरान लागू रहेगी।
- इसका उल्लंघन अब आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।
- आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को पत्र लिखकर नए निर्देशों और प्रावधानों के बारे में सूचित किया है।
- आयोग ने पत्र में कहा है कि पारदर्शिता, सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर और वायदों की विश्वसनीयता के लिए घोषणा पत्र से विवेकसम्म्त और तर्कपूर्ण वायदों की झलक मिलनी चाहिए।
- घोषणा पत्र की बातों को पूर्ण करने के तरीकों और इसके लिए वित्तीय व्यवस्था के संकेत भी इसमें हो।
- मतदाताओं का भरोसा जीतने की कोशिश उन वायदों के आधार पर की जानी चाहिए जिन्हें पूरा किया जाना संभव हो।
- आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को लोकसभा एवं विधानसभा निर्वाचन के दौरान घोषणा पत्र संबंधी नए निर्देश और आचार संहिता के नए प्रावधानों का ध्यान रखने कहा है।