सदन में उठा सारकेगुड़ा न्यायिक रिपोर्ट के लीक का मामला.. चर्चा कराने की मांग.. बीजेपी का जोरदार हंगामा.. सदन के अंदर जमकर नारेबाजी की.. जाने क्या थी वो रिपोर्ट..

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रायपुर। विधानसभा में शून्य काल के दौरान विपक्ष ने सारकेगुड़ा कांड का मामला उठाया। पूर्व सीएम रमन सिंह ने सारकेगुड़ा न्यायिक जांच रिपोर्ट लीक होने का मामला उठाया। उन्होंने न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया।

डॉ. रमन सिंह ने सदन में विधानसभा की अवमानना की सूचना दी। उन्होंने कहा कि सारकेगुड़ा की रिपोर्ट मीडिया के माध्यम से सदस्यों को पढ़ने को मिल रही है। विपक्ष ने सदन में इस मामले को लेकर चर्चा की मांग की। सदन में बीजेपी ने जोरदार हंगामा किया और सदन के अंदर नारेबाजी की।

बता दें कि रविवार को सारकेगुड़ा कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है।

क्या थी यह रिपोर्ट पढ़िए..

बीजापुर के सारकेगुड़ा में CRPF और ज़िला पुलिस के द्वारा कथित मुठभेड़ की न्यायिक रिपोर्ट सामने आई। घटना 2012 की है जब बीजापुर जिले के उसूर ब्लाक के बासागुड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत सारकेगुड़ा क्षेत्र में 28 और 29 जून 2012 की दरमियानी रात कथित रूप से पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस घटना में 17 ग्रामीण मारे गए थे। इनमें कुछ नाबालिग बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे। ग्रामीणों में पीड़ित पक्षकारों का दावा रहा है कि बीज पंडुम त्योहार मनाने गांव के लोग बैठक करने देर शाम एक जगह एकत्र हुए थे जहां फोर्स ने पहुंचकर ग्रामीणों की भीड़ पर फायरिंग कर दी थी जबकि पुलिस का कहना रहा है कि नक्सली ग्रामीणों की बैठक ले रहे थे। फोर्स के पहुंचने पर ग्रामीणों की आड़ लेकर नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर थी, जिसके जवाब में फोर्स को फायरिंग करनी पड़ी थी। इस घटना की देश-विदेश में काफी चर्चा हुई थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने घटना की जांच के लिए जस्टिस व्हीके अग्रवाल की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय विशेष न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था।

किन लोगों की हुई थी मौत

जानकारी के अनुसार सारकेगुड़ा कांड में मारे गए ग्रामीणों में काका राहुल 12 वर्ष कोत्तागुड़ा, काका सरस्वती 12 साल कोत्तागुड़ा, हपका मिट्टो 15 साल सारकेगुड़ा, कुंजाम मल्ला 17 साल सारकेगुड़ा, कोरसा बिचेम 16 साल सारकेगुड़ा, मड़कम रामविलास 16 साल राजपेंटा, इरपा सुरेश 15 साल राजपेंटा व मड़कम दिलीप, इरपा दिनेश, इरपा नारायण, इरपा मुन्ना, इरपा धम्मैया, मड़कम नागेश, मड़कम सुरेश सभी राजपेंटा, सारके रमन्ना तथा माड़वी आयतू सारकेगुड़ा एवं काका समैया कोत्तागुड़ा शामिल थे। घटना में मड़कम सोमा, काका चेंटी, इरपा सुरेश, इरपा चिन्नका, छोटू हपका, काका पार्वती तथा काका रमेश घायल हुए थे।

30 लोगों की हुई है गवाही

सारकेगुड़ा कांड की जांच के लिए जस्टिस व्हीके अग्रवाल की अध्यक्षता में 11 जुलाई 2012 को विशेष न्यायिक जांच आयोग गठित किया गया था। आयोग ने पीड़ित पक्ष के 17 और फोर्स एवं अन्य 13 लोगों को मिलाकर कुल 30 गवाहों का बयान दर्ज किया है। आयोग के गठन के बाद कई महीनों तक पीड़ित पक्षकारों की ओर से गवाह बयान दर्ज कराने सामने नहीं आए थे। बाद में आयोग की अपील व कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल पर पीड़ितों की ओर से गवाहों ने शपथ देकर बयान दर्ज कराया था।

सूत्रों के अनुसार राज्य शासन की ओर से सारकेगुड़ा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट मिलने को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। शासन रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है। शासन द्वारा रिपोर्ट की एक प्रति गृह मंत्रालय को भी भेजे जाने की खबर सामने आई है। न्यायिक जांच आयोग के निष्कर्षों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।

लखमा के नेतृत्व में पहुंचा था कांग्रेस दल

28-29 जून को जिस समय सारकेगुड़ा घटना सामने आई थी, उस समय यहां जगदलपुर में गणपति रिसार्ट में कांग्रेस की बड़ी बैठक के लिए पार्टी के कई बड़े नेता शहर में मौजूद थे। तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष स्वर्गीय नंदकुमार पटेल ने 30 जून को सारकेगुड़ा घटना की जांच के लिए कवासी लखमा के नेतृत्व में दल का गठन किया था। दल ने घटनास्थल जाकर जांच कर रिपोर्ट पीसीसी को सौंपा था। ज्ञात हो कि 2012 से 2019 के बीच सारकेगुड़ा के अलावा एड़समेटा, टीएमटीडी, झीरम व श्यामगिरि कांड की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है जिसमें सारकेगुड़ा कांड की ही रिपोर्ट आई है।

कमीशन ने कुछ महत्वपूर्व सुक्षाव भी दिए हैं….

सुरक्षाबल के जवानों को बेहतर ट्रेनिंग दी जाए और उनके लिए आधुनिक सैन्य सामान उपलब्ध कराया जाए।
बुलेट प्रूफ जैकेट, नाइट विजन डिवाइस, ड्रोन आदि सामान उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है। ताकि वे स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें और विषम परिस्थितियों में संतुलन न खोएं और जल्दी में कोई कदम न उठाएं।
खुफिया नेटवर्क को मजबूत और भरोसेमंद बनाने का सुझाव दिया है।
सुरक्षाबल के जवानों को स्थानीय लोगों से बेहतर रिश्ते बनाने पर जोर देने का सुझाव।
सूचना तंत्र मजबूत करने का सुझाव।
जवानों को मानसिक रुप से मजबूत बनाने के लिए भी ट्रेनिंग दी जाए ताकि वे मुश्किल परिस्थितियों में भी संतुलन न खोएं।