ओडिशा के जिस रास्ते से क़मार जनजाति के लोग लाते थे राशन… लॉकडाउन के कारण कर दिया ब्लॉक.. अब पहाड़ों के बीहड़ से गुजरकर ढोना पड़ेगा 70 किलो राशन

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गरियाबंद@ मनमोहन नेताम। मैनपुर विकासखण्ड के इंदाग़ाव ग्राम पँचायत के आश्रित ग्राम अमली में 200 से ज्यादा आबादी में कमार जनजाति के लोग नीवास करते हैं।मुख्य्यालय इंदागव से 60 कार्ड धारी परिवार को राशन ले जाना होता है ।इंदाग़ाव आने के लिए उंन्हे पहाड़ों में बने उबड़ खाबड़ रास्तों पर 3 से 4 किंमी का सफर तय करना होता है।पर जब कोई भारी सामान या राशन ले जाना होता है तो,ओड़िसा के नूवापडा जिले के तालाकोट सेंदूरसील के रास्तों से लगभग 20 किंमी की दूरी तय कर वाहनों से ले जाते है। इन दिनों जिला सीमबन्दी के चलते ओड़िसा वालो ने उस रास्तों को बन्द कर दिया है। दूसरे राज्यो से आवाजाही भी नही हो सकेगी।इंदाग़ाव के सरपँच राजमन सोरी जनजाति परिवार से है,अमली गांव में रहते है।उनका कहना है कि दो माह का राशन यानी एक ब्यक्ति को 70 किलो वजन उठाकर पहाड़ों के रास्ते जाना सम्भव नही है। इससे पहले ओड़िसा के रास्ते होकर पुरूष वर्ग ट्रेक्टर व बाइक से राशन ले जाते थे। मार्ग अवरुद्ध होने के कारण अब तक असमंजस में पड़े परिवार राशन लेने नही पहूँचे है।मामले में एसडीएम अंकिता सोम ने कोल रिसीव नही किया पर मैनपुर सीईओ नरसिंह ध्रुव ने कहा कि वाकई यह एक समस्या है,प्रशासनिक पहल कर राशन ले जाने गाड़ी की अनुमति मांगी जाएगी।

जनपद सदस्य दे कर आये थे राशन

इनकी समस्या को ध्यान में रखते हुए जनपद सदस्य दीपक मंडावी व कन्हया माँझी अमली के ग्रामीणों को राशन व सामग्री भेंट कर आये थे।लौट कर इस समस्या से प्रशासन को अवगत कराया था,पर अब तक कोई पहल नही किया गया है।          

हर हाल में करते है मतदान

30 साल पुराने जनजातियों के इस बस्ती में रहने वाले 160 मतदाता हर साल विकास की आस में सभी चुनावो में भाग लेते है।पहट 5 बजे से पहाड़ी रास्तों से होकर विकास के लिए वोट डालने आते है।विगत 10 वर्षों से वे उस पगड़न्ड़ी पर रास्ते व पुल की मांग करते आ रहे है,जंहा से पैदल वोट देने आते है।अब तक इनकी समस्या का स्थायी समाधान नही हो सका है।