हिंदू धर्म में पितृपक्ष बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये वो समय होता है जब परिवार अपने पूर्वजों को याद करता है और पितरों की मुक्ति के लिए पूरे विधि विधान से श्राद्ध कर्म करता है। पंद्रह दिनों तक चलने वाला पितृपक्ष इस साल 13 सितंबर से शुरू हुआ। घर के वो बड़े बुजुर्ग जो परलोक जा चुके हैं उनका धन्यवाद करने के लिए ये 15 दिन बेहद पवित्र माने जाते हैं। इस दौरान कई परहेज और सावधानियां बरतनी पड़ती है ताकि पूर्वजों का आशीर्वाद मिल सके।
पितृपक्ष में खानपान का बहुत महत्व होता है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को भी भोज कराया जाता है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक ऐसी कुछ चीजें हैं जिनका सेवन पितृपक्ष में नहीं करना चाहिए। जानते हैं पितृपक्ष में क्या नहीं खाना चाहिए।
गाय का दूध
पितृपक्ष के दौरान गाय का दूध पीने से बचना चाहिए। खासतौर से वो गाय जिसने हाल ही में जन्म दिया है उसके दूध से विशेष रूप से बचना चाहिए।
बासी भोजन
इस दौरान आपके भोजन का संबंध आपके पूर्वजों से होता है। श्राद्ध के दिन तर्पण किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि पूर्वज इसे स्वीकार करें। इन 15 दिन के अंतराल में आप ताजा भोजन ही करें। संभव हो तो फ्रिज में रखे खाने से भी बचे।
चना और चने से बनी चीजें
श्राद्ध में चने का सेवन नहीं करना चाहिए। चने से तैयार दूसरी चीजें, जैसे सत्तू आदि भी भोजन में शामिल करने से बचें।
साग, मूली, लौकी, खीरा
श्राद्ध में सरसों का साग, मूली, लौकी और खीरा ना तो स्वयं खाएं और ना ही दूसरों को खाने के लिए दें। मसूर दाल पितृपक्ष में मूंग और उड़द की दाल का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन 15 दिनों तक मसूर की दाल से परहेज करें।
पितृपक्ष में खाना बनाते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
- श्राद्ध में खीर का खास महत्व रहता है। ये गाय के दूध से तैयार होना चाहिए। सिर्फ इस बात का ध्यान रखें कि जिस गाय का दूध आप इस्तेमाल कर रहे हैं उसने हाल ही में बच्चा ना जन्मा हो।
- आप भोजन बनाने के लिए सफ़ेद की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
- श्राद्ध के दौरान खाना बनाने वाले अपना चेहरा पूर्व की तरफ रखकर भोजन तैयार करें।