कल गीता जयंती : गीता के इन उपदेशों में हैं परेशानियों से छुटकारा पाने का समाधान…..

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रायपुर, 13 दिसम्बर 2021। गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है। गीता के उपदेश में समस्त जीवन का सार छिपा हुआ है। हर वर्ष अगहन के महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर गीता जयंती मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी तिथि पर ही द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अपने शिष्य अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस कारण से हर साल मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गीता जयंती के तौर पर मनाया जाता है। यही एक ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। पूरे विश्व में और किसी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती है। इस साल गीता जयंती 14 दिसंबर 2021 को मनाई जा रही है।

गीता के उपदेश में मोह के क्षय होने यानी खत्म होने की बात कही है, इसीलिए इस दिन को पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा कहा गया। श्रीमदभगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के मन में महाभारत के युद्ध के दौरान पैदा होने वाले भ्रम को दूर करते हुए जीवन को सुखी और सफल बनाने के लिए उपदेश दिए थे। एकादशी और गीता जयंती एक ही दिन होने के कारण इस तिथि पर पूरे दिन उपवास रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा आराधना करते हुए हर तरह के मोह से मुक्ति की कामना की जाती है। गीता जयंती के मौके पर आइए जानते हैं गीता के कुछ उपदेश, जिनका पालन करने पर व्यक्ति का मोक्ष और शांति की प्राप्ति होती है।

चिंता का त्याग करना

गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि कभी भी व्यक्ति को व्यर्थ की चिंता नहीं करनी चाहिए। हर किसी को एक न एक दिन मरना है, आत्मा न तो पैदा होती है और न ही ये मरती है। आत्मा अमर है। इसलिए व्यर्थ की चिंता से मुक्ति होकर कर्म के रास्ते पर बढ़ना चाहिए।

क्रोध पर नियंत्रण करना

क्रोध करने से सभी तरह के कार्य बिगड़ने लगते हैं। गीता का उपदेश देते हुए भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं क्रोध करने से इंसान का पतन आरंभ हो जाता है। क्रोध करने से लगातार भ्रम की स्थिति बनने लगती है। क्रोध करने से व्यक्ति अच्छे और बुरे परिणाम में फर्क करना भूल जाता है जिस कारण से मनुष्य की तर्क शक्ति क्षीण हो जाती है। और वह अपना नैतिक पतन के राह पर चल देता है।

मन पर रखें काबू

गीता के उपदेश में बताया गया है अगर व्यक्ति अपने मन पर काबू करना सीख लेता है तो वह हर तरह की बाधा को आसानी से पार कर सकता है। इसलिए मनुष्य को हर हाल में अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए।

कर्म करते रहना

गीता का उपदेश देते हुए भगवान कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को ज्ञान और कर्म को एक समान रखना चाहिए। कर्म करते हुए फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।