अंबेडकर अस्पताल में लॉकडाउन के दौरान पैदा हुए जुड़वां बच्चे कोरोना और कोविड, माता-पिता ने कहा…

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रायपुर। कोरोना और कोविड ये दो ऐसे शब्द है जिसने पूरी दुनिया को घुटने पर ला दिया है। ये दो शब्द दूसरों के मन में भय पैदा कर सकते हैं। लेकिन रायपुर के दंपत्ति द्वारा अपने नवजात जुड़वा बच्चों का नाम कोरोना और कोविड की अफवाह सोशल मीडिया पर चल पड़ी है। लेकिन इसमें कहीं कोई सच्चाई नहीं है। हर तरफ से आ रहे फोन और पूछताछ से नवजातों के माता-पिता हलाकान हो गए हैं। एक पत्रकार से चर्चा में परिवार के करीबी लोगों का कहना है कि जुड़वा बेटे और बेटी का नाम कोविड और कोरोना रखने पर कोई विचार ही नहीं है। पता नहीं कहां से यह हल्ला मच गया है।

हालांकि यह भी है कि न्यूयॉर्क टाइम के दिल्ली ब्यूरो के रिपोर्टर तक ने अंबेडकर अस्पताल से संपर्क कर इस बारे में जानकारी मांगी गई। कई वेबसाइट ने तो कोरोनो और कोविड की कहानी को इसी अंदाज में पेश भी कर दिया। हालांकि कई मीडिया की वेबसाइट ने भी इस खबर की पुष्टि करते हुए खबर प्रकाशित की है। जिसमें बताया गया कि विपरीत परिस्थितियों का सामना कर अस्पताल तक पहुंचे दंपती ने अपने बच्चों का नाम कोरोना वायरस के नाम पर कोरोना और कोविड रख दिया है।

माता-पिता का कहना है कि बच्चों का नाम उनकी परेशानियों पर जीत और अस्पताल के सहयोग, दोनों को याद दिलाते रहेंगे. हालांकि, दंपती ने यह भी कहा कि वे बाद में बच्चों के नाम बदल सकते हैं. बच्चों की मां प्रीति ने बताया कि उन्होंने जुड़वां बच्चों, एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि अब हम उन्हें कोविड और कोरोना कह रहे हैं। प्रीति वर्मा ने कहा कि बच्चों का जन्म कई कठिनाइयों का सामना करने के बाद हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस दिन को यादगार बनाना चाहते थे, इसलिए हमने बालिका को कोरोना और बालक को कोविद नाम देने का फैसला किया।

बच्चे की मां प्रीति वर्मा कहती है कि वे इस बच्चों को जिंदगी भर नहीं भूल सकती शुक्रवार की शाम से पेट में दर्द हुआ ऐसे में रायपुर के अंबेडकर अस्पताल तक पहुंचने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी।

रिश्तेदार बता रहे हैं साहसिक फैसला

प्रिति वर्मा ने बताया कि 26 मार्च की देर रात अचानक गंभीर दर्द का अनुभव हुआ किसी तरह मेरे पति ने 102 महतारी एक्सप्रेस सेवा के तहत संचालित एक एंबुलेंस की व्यवस्था की। विनय वर्मा ने कहा कि बंद के कारण सड़कों पर वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं थी हमने विभिन्न स्थानों पर पुलिस ने रोक दिया था लेकिन उन्होंने मेरी हालात को देखते हुए हमें जाने दिया। मां और बच्चे तीनों स्वस्थ हैं। बच्चों को बधाई देने फोन कर रहे दोस्त और रिश्तेदार भी बच्चों के नामकरण को साहसिक फैसला बता रहे हैं।

यहां तक कि अस्पताल के कर्मचारियों ने भी डिलीवरी के बाद उत्साह में उन्हें इसी नाम से बुलाना शुरू कर दिया था.’’ दंपती मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तथा रायपुर के पुरानी बस्ती इलाके में किराए के मकान में रहते हैं। अस्पताल की जनसंपर्क अधिकारी शुभ्रा सिंह ने बताया कि मां और दोनों नवजात शिशुओं को बीते मंगलवार को छुट्टी दे दी गई थी तथा वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। सिंह ने बताया कि अस्पताल पहुंचने से पहले दंपती के लिए कठिन समय था क्योंकि कोई भी मदद करने वाला उनके साथ नहीं थाय़ उनकी दो वर्ष की एक बेटी भी है। उनके रिश्तेदार यहां आने वाले थे लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं आ सके।